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कौन उठाएगा कप

सचिन गौड़ (संपादन: अशोक कुमार)६ जुलाई २०१०

वर्ल्ड कप अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच रहा है. इस साल स्पेन का सिक्का चला है,जर्मनी जोश में है, नीदरलैंड्स में नगाड़े बज रहे हैं तो उरुग्वे ऊर्जा से ओतप्रोत है. वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चार टीमों पर एक नजर.

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तस्वीर: AP

जर्मनी

मिशाएल बलाक नहीं, रेने आडलर नहीं, रिटायर हो चुके ओलिवर कान नहीं....इसके बावजूद जर्मनी की युवा टीम के जोश, जज्बे और भरोसे में कमी नहीं. औसत टीम के तमगे के साथ टूर्नामेंट में शुरुआत करने वाली जर्मन टीम प्रीक्वॉर्टर फाइनल और क्वॉर्टर फाइनल में इंग्लैंड और अर्जेंटीना जैसे महारथियों को चित्त कर चुकी है. जीत भी धमाकेदार... स्कोरलाइन देखकर ही विपक्षी टीमों को सालों तक शर्मिंदगी का एहसास कराने वाली जीत....जर्मनी 4 इंग्लैंड 1, जर्मनी 4 अर्जेंटीना 0.

वर्ल्ड कप 2010 में जर्मनी की सबसे युवा टीम मैदान में उतरी है. युवा खिलाडियों को तैयार करने, उनके अंदर आत्मविश्वास भरने, जिम्मेदारी का एहसास दिलाने और जीत की आस बंधाने में कोच योआखिम लोएव की बड़ी भूमिका रही है. पोडोलस्की, ओत्जिल, म्यूलर, क्लोजे, श्वाइनश्टाइगर, फिलिप लाम, काकाउ, येरोम बोआतेंग की एकजुटता ने विरोधी टीमों को रक्षा पंक्ति में दरार डाल दी है.

Flash-Galerie Fußball Duelle Deutschland Argentinien
तस्वीर: AP

जैसे जैसे वर्ल्ड कप अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है, जर्मन टीम को लय और ताल में खेलते देखना उसके चाहने वालों को मंत्रमुग्ध कर रहा है. अब तो जर्मन टीम के आलोचक भी दबी जबान में स्वीकार रहे हैं कि वर्ल्ड कप के लिए सबसे तगड़ा दावा तो जर्मन टीम का ही है.

स्पेन

वर्ल्ड कप से पहले मजबूत चुनौती पेश करने वाली टीमों की बात हो रही थी तो स्पेन पहली चार टीमों में थी..लेकिन फीफा रैंकिंग में मौजूदा नंबर दो टीम स्पेन को स्विटजरलैंड के हाथों मिली हार ने झकझोर कर रख दिया. इससे झटके से बिना घबराए स्पेन ने विस्फोटक वापसी करते हुए होंडुरास, चिली, पुर्तगाल, पराग्वे को हरा कर अंतिम चार में अपनी जगह बना ली.

स्पेन का फुटबॉल इतिहास वर्ल्ड कप के मामले में कड़वी यादों का पुलिंदा है. अस्सी सालों में यह सिर्फ दूसरी बार है कि वो वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंचा है. इससे पहले स्पेन 1950 में ही आखिरी चार में जगह बनाने में कामयाब हुआ था. अब छह दशक बाद स्पेन एक नए रूप में नजर आ रहा है..एक ऐसी टीम जो अतीत की नाकामियों को भुलाकर भविष्य में फुटबॉल की दुनिया का ताज पहनने को आतुर है.

Fußball WM 2010 Spanien Portugal Flash-Galerie
तस्वीर: AP

कप्तान इकर कासियास, स्ट्राइकर डेविद विया, फर्नांदो टोरस और मिडफील्ड के जादूगर क्सावी दुनिया के सर्वश्रेष्ट खिलाडियों में गिने जाते हैं. लेकिन क्या स्पेनी फुटबॉल में पिछले 80 सालों से चले आ रहा सूखा खत्म हो पाएगा....यही सवाल सबकी जबां पर है.

नीदरलैंड्स

नीदरलैंड्स यानी हॉलैंड की टीम के बारे में कहा जाता है कि वो धमाके के साथ टूर्नामेंट में शुरूआत करती है. उसका खेल आतिशबाज़ी जैसा होता है और फिर जैसे जैसे वो टूर्नामेंट में आगे बढ़ती है, आतिशबाज़ी बुझ जाती है. लेकिन इस बार आतिशबाजी बुझी नहीं है बल्कि उसने पूरे देश को अपनी चमक, दमक और धमक से रोशन कर रखा है.

डेनमार्क, जापान, कैमरून को हरा कर नीदरलैंड्स अपने ग्रुप में टॉप पर पहुंचा और उसके बाद क्वॉर्टर फाइनल में उसने खिताब की दावेदार ब्राजील की चुनौती को ही शांत कर दिया. वेसली स्नाइडर, आर्यन रोबेन और रोबिन फ़ान पैरसी का आक्रामक खेल वर्ल्ड कप में दूसरी टीमों के खेल को खत्म कर रहा है. टीम सेमीफाइनल में है जहां उसका मुकाबला होना है उरुग्वे की टीम से. शानदार प्रदर्शन के बावजूद जंग कड़ी है और टीम के सितारे आर्यन रोबेन इस बात को स्वीकार करने से नहीं हिचकते.

Südafrika WM 2010 Fußball Niederlande gegen Slowakei Flash-Galerie
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नीदरलैंड्स की किस्मत ने वर्ल्ड कप में उसका साथ नहीं दिया है. 1974 और 1978 में फाइनल में पहुंचने के बावजूद खिलाड़ी वर्ल्ड कप को दूर से निहार कर, मन मसोस कर खामोश हो गए. 1998 में टीम का सफर सेमीफाइनल में ही समाप्त हो गया. ऐसे में नीदरलैंड्स के पास इस बार फिर मौका है. मौका इतिहास बदलने का, मौका इतिहास रचने का. वर्ल्ड कप सिर्फ दो कदम दूर ही तो है.

उरुग्वे

वर्ल्ड कप के पहले दौर से इटली और फ्रांस, दूसरे दौर से इंग्लैंड और क्वॉर्टर फाइनल से ब्राजील और अर्जेंटीना का बाहर होना अगर हैरान कर देने वाला है. तो उरुग्वे की टीम के शानदार प्रदर्शन ने भी विरोधी खेमों में हलचल पैदा कर दी है.

Flash-Galerie Fußball WM 2010 Südafrika Achtelfinale Uruguay vs Südkorea Freistoß
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टीम ने शुरुआत एक खामोश तूफान की तरह की लेकिन अब उरुग्वे एक आंधी की तरह बह रहा है. पहला मैच फ्रांस के साथ ड्रॉ खेलने के बाद उरुग्वे दक्षिण अफ्रीका, मेक्सिको, दक्षिण कोरिया और घाना को हरा चुका है.

1930 में पहला फीफा वर्ल्ड कप जीतने वाला उरुग्वे 1950 में भी विजेता बन कर उभरा लेकिन फिर उसके सितारे जमीन पर आ गिरे. 1970 में टीम फिर सेमीफाइनल में पहुंची पर वो प्रदर्शन अपवाद ही साबित हुआ. अगले 40 साल तक टीम वर्ल्ड कप में गुमनामी के अंधेरों में खोई रही है. चार दशक बाद यह पहली बार है जब उरुग्वे ने वर्ल्ड कप में अपनी मौजूदगी का एहसास कराया है और पूरी धमक के साथ कराया है.

डिएगो लुगानो, डिएगो फोरलान और लुइस सोरेत्ज जैसे सितारों के साथ ऐसा लगता है कि उरुग्वे इस बार वर्ल्ड कप जीतने को तैयार है और वर्ल्ड कप में बची अकेली लातिन अमेरिकी टीम को टक्कर अब यूरोपीय ताकतों से लेनी है.