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बच्चों जितने बुद्धिमान कौवे

२ अप्रैल २०१४

'प्यासे कौवे और घड़े' की कहानी दुनिया के कई देशों में सुनाई जाती है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने प्रयोगों से सचमुच साबित कर दिया है कि कुछ कौवे सचमुच होशियार होते हैं. ठीक पुरानी ग्रीक कथा के जैसे.

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Galerie Krähen
तस्वीर: dapd

आपने भी बचपन में वह कहानी सुनी होगी जिसमें एक प्यासा कौवा घड़े से पानी पीने के लिए काफी जुगत लगाता है. अपनी छोटी सी चोंच से वह घड़े की तली तक नहीं पहुंच सकता था इसलिए कौवा छोटे छोटे पत्थर के टुकड़े घड़े में डालता है. यह कहानी असल में एक ग्रीक दंतकथा है जिसमें होता यह है कि घड़े में पानी ऊपर आ जाता है और कौवा अपनी प्यास बुझा लेता है. वैज्ञानिकों ने खुद परीक्षण कर इस कहानी की सच्चाई जानने की ठानी. प्रयोग के नतीजों में पाया गया कि इस मामले में कौवों की बुद्धिमत्ता एक पांच से सात साल की उम्र के बच्चे की टक्कर की है.

इस घटना में होने वाले पानी के विस्थापन की समझ को मापने के लिए न्यूजीलैंड की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन की केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों ने कई प्रयोग किए. इसके लिए उन्होंने छह ऐसे जंगली प्रजाति के कैलेडोनियन कौवों को चुना और उन पर छह तरह के प्रयोग किए. इन कौवों ने प्रयोगों में बिल्कुल वैसा ही बर्ताव किया जैसा कि पुरानी दंतकथा में बताया जाता है. इन छह प्यासे कौवों ने भी पानी के बर्तन में तब तक पत्थर के टुकड़े डाले जब तक पानी ऊपर नहीं उठ गया और वे पानी पी सके.

आमतौर पर पक्षी पौधों के सूखे तने या ऐसी चीजें ही इस्तेमाल करते हैं. पानी में पत्थर के टुकड़े डालते पक्षियों को नहीं देखा जाता है. इसलिए इस प्रयोग के शुरू होने से पहले इन छह कौवों को ट्रेनिंग दी गई ताकि वे पानी की ट्यूब में पत्थर डालें. प्रयोग में पानी से भरी एक ट्यब का इस्तेमाल किया गया जिसमें पत्थर के टुकड़े डालने से पानी का स्तर इतना ऊपर उठे कि कौवों की चोंच वहां तक पहुंचे. पानी की सतह पर कॉर्क के साथ बांधकर मांस का टुकड़ा रखा गया था जिसे खाने के लिए कौवों ने अपनी अक्ल और मेहनत का इस्तेमाल किया.

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तस्वीर: AFP/Getty Images

प्रयोग में पानी की नली के अलावा वहीं बालू से भरी नली भी रखी गई थी. पत्थर के टुकड़ों के साथ साथ कौवों के पास पानी पर तैरने वाली चीजें भी थीं. वैज्ञानिकों ने पाया कि कौवों के दिमाग ने कुछ इस तरह काम किया कि उन्होंने उस नली को चुना जिसमें मांस था. इसके अलावा कौवों ने चुन चुन कर तैरने वाली चीजों के बजाए पत्थर के टुकड़े ही नली में डाले जो पानी में डूब जाते हैं. कुल छह में से चार तरह के परीक्षणों में कौवे पास हुए लेकिन दो में फेल. इन प्रयोगों के नतीजे अमेरिका के एक वैज्ञानिक जरनल में 'प्लोस वन' में प्रकाशित हुए हैं. वैज्ञानिक मानते है कि कौवों की यह क्षमता असाधारण सूझबूझ का परिचय देती है.

आरआर/एएम (डीपीए)