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क्या रिश्ते होंगे बेहतर

२४ फ़रवरी २०१४

जर्मनी और इस्राएल की सरकारें द्विपक्षीय वार्ता के लिए मिल रही हैं. लेकिन क्या हाल में रिश्तों में आी खटास को इस बैठक के जरिए कम किया जा सकेगा.

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तस्वीर: dapd

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल अपने 16 मंत्रियों के साथ येरुशलम का दौरा कर रही हैं. सरकारी प्रवक्ता श्टेफान जाइबर्ट ने कहा, "ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है." जर्मन चांसलर लगभग अपने पूरे मंत्रिमंडल को लेकर इस्राएल गई हैं. दोनों देश शोध में सहयोग करना चाहते हैं. जर्मन इस्राएल दोस्ती के 50 साल होने पर समारोह की भी योजना पर सोच विचार किया जाएगा. मैर्केल पहले इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू और फिर राष्ट्रपति शिमोन पेरेस से मिलेंगीं. मैर्केल को इस्राएल और जर्मनी के बीच संबंधों को सुधारने के लिए राष्ट्रपति मेडल से नवाजा जा रहा है.

कैसे हैं रिश्ते

देखा जाए तो जर्मन इस्राएल रिश्ते इस वक्त कुछ खास अच्छे नहीं हैं. इस्राएली अखबार हारेत्स ने कुछ दिनों पहले लिखा कि दोनों देशों के बीच संबंध धरातल पर है. हारेत्स ने अपने इस विश्लेषण के लिए जर्मन पत्रिका डेयर श्पीगल के एक लेख का हवाला दिया जिसमें मैर्केल और नेतन्याहू के बीच मतभेद के बारे में लिखा गया है. लेख के मुताबिक दोनों एक दूसरे से फोन पर बातचीत करते वक्त चीख चिल्ला भी चुके हैं.

EU-Parlamentspräsident Martin Schulz in der Knesset
मार्टिन शुल्त्स से विवाद शुरूतस्वीर: picture-alliance/AP

दोनों सरकारों के बीच भी बहुत अंतर है. जर्मनी को इस्राएल की बस्तियों से जुड़ी नीति आपत्तिजनक लगती है. उधर इस्राएल पूर्वी येरुशलम और पश्चिम जॉर्डनलैंड में और बस्तियां स्थापित कर रहा है. इस सिलसिले में मैर्केल पहले भी अपनी आपत्ति जता चुकी हैं. जर्मनी का नाजी इतिहास भी साये की तरह दोनों देशों के रिश्तों में मौजूद है.

2020 के लक्ष्य

पिछले साल यूरोपीय संघ और इस्राएल के बीच रिश्ते काफी खराब हुए जब ब्रसेल्स ने अरबों डॉलर के शोध फंड "होराइजन 2020" का एलान किया. ईयू ने तय किया कि इस फंड का एक भी पैसा इस्राएल के कब्जे वाले इलाकों में नहीं जाएगा. पिछले साल नवंबर में दोनों पक्षों में समझौता हुआ. इस्राएल इस कार्यक्रम में हिस्सा ले सकता है लेकिन उसे अपनी बस्तियों को कानूनी रूप से सही नहीं ठहराना होगा. साथ ही कब्जे वाली बस्तियों में शोध का पैसा नहीं जाएगा.

जनवरी में जर्मनी ने भी तय किया कि वह इस्राएल के साथ अपनी साझेदारी में ईयू मापदंडों का इस्तेमाल करेगा और इन मापदंडों को इस्राएली कंपनियों पर भी लागू करेगा. इस्राएली कंपनियों को अब वादा करना होगा कि वह जर्मनी का पैसा केवल हरी सीमा के भीतर वाले हिस्से में लगाएंगे, यानी इस्राएल की अंतरराष्ट्रीय सीमा के भीतर.

इस्राएल का बॉयकॉट

Israel West Bank jüdische Siedlung Shilo
पश्चिम तट में इस्राएली बस्तियांतस्वीर: David Silverman/Getty Images

इस्राएली सरकार को डर है कि अंतरराष्ट्रीय बॉयकॉट से इस्राएली अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा. डेनमार्क के सबसे बड़े बैंक डांस्के बैंक ने इस्राएली बैंक हापोआलिम के साथ संबंध खत्म कर दिए हैं क्योंकि हापोआलिम इस्राएली बस्तियों में निर्माण के लिए उधार दे रहा है जो अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है. नॉर्वे का वित्त मंत्रालय भी इस तरह के संबंधों को तोड़ने की तैयारी में है.

फलीस्तीन के लिए इस तरह के बॉयकॉट फायदेमंद हैं. फलीस्तीन में इस्राएल के बॉयकॉट, विनिवेश और प्रतिबंधों पर काम कर रही मुहिम बीडीएस कई सालों से इस्राएली सामान पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही है. वह सांस्कृतिक और वैज्ञानिक धरोहरों को भी इस बॉयकॉट में शामिल कराना चाहती है. अंतरराष्ट्रीय कलाकार जैसे लेखिका ऐलिस वॉकर और रॉकबैंड पिंक फ्लॉयड के संस्थापक रॉजर वॉटर्स ने वहां कार्यक्रम करने से मना कर दिया है.

जर्मनी की भूमिका

जर्मन सोशल डेमोक्रेट्स के नेता मार्टिन शुल्त्स ने भी इस्राएली संसद क्नेसेट में अपने भाषण से इस्राएलियों को और सतर्क कर दिया है. उन्होंने फलीस्तीन और इस्राएल के बीच पानी के बंटवारे पर बात की और कहा कि फलीस्तीनियों को नुकसान पहुंच रहा है. इस्राएली वित्त मंत्री नाफ्ताली बेनेट ने शुल्त्स पर आरोप लगाया कि वह झूठी बातें फैला रहे हैं. लेकिन बेनेट ने ब्रसेल्स में शुल्त्स से मुलाकात के दौरान आपसी रिश्ते बहाल कर दिये. हो सकता है कि दोनों सरकारों की उच्च स्तरीय बैठक से संबंध फिर बेहतर हों.

रिपोर्टः बेटीना मार्क्स/एमजी

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी