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क्या रुकेगा महिलाओं का शोषण सरोगेसी कानून से

विश्वरत्न श्रीवास्तव२६ अगस्त २०१६

भारत दुनिया भर में सरोगेसी का बड़ा केंद्र बन गया था और बदनाम हो रहा था. लेकिन अब इस पर कानून का पहरा रहेगा. भारत सरकार सरोगेसी के नाम पर चल रहे व्यापार पर लगाम लगाना चाहती है.

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Indien Leihmutterschaft - Surrogacy Centre India (SCI) clinic in Neu-Delhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार ने उस सरोगेसी विधेयक को मंजूरी दे दी है जिसमें व्यावसायिक रूप से सरोगेसी से बच्चे के जन्म पर पूरी तरह पाबंदी का प्रावधान है. प्रस्तावित कानून में केवल विवाहित भारतीय दंपतियों को ही बच्चे के लिए सरोगेसी तकनीक का इस्तेमाल करने की अनुमति होगी.

कारोबारी सरोगेसी पर पूरी रोक

कैबिनेट ने जिस सरोगेसी विधेयक को अपनी मंजूरी दी है उसमें कारोबारी सरोगेसी पर पूरी तरह रोक लगाने की बात है. सरोगेसी की अनुमति के लिए कुछ शर्ते लगायी गयीं हैं. इस तकनीक के जरिये बच्चा पैदा करने की अनुमति तभी दी जाएगी जब चिकित्सा और अन्य कारणों के चलते शादीशुदा दंपति के सामने इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं हो. अविवाहित और समलैंगिक दंपतियों को सरोगेसी की इजाजत नहीं होगी.

Indien Leihmutterschaft - Surrogacy Centre India (SCI) clinic in Neu-Delhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

इस नए विधेयक के अनुसार किसी महिला को एक ही बार सरोगेसी की अनुमति होगी. अविवाहित महिला को यह अनुमति नहीं होगी. सरोगेसी के लिए उम्र की पाबंदी जोड़ी गयी है. पुरुष के लिए उम्र की सीमा 26 से 55 के बीच रखी गयी है वहीँ महिलाओं के लिए 23 से 50 साल के बीच है. प्रस्तावित कानून में शादीशुदा जोड़े भी सरोगेसी का सहारा तभी ले सकते हैं जब शादी के पांच साल बाद भी उनके संतान ना हों. यह काम सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सा केन्द्रों में ही होगा.

सरोगेसी यानि किराये की कोख

जो दम्पत्ति किसी कारण से स्वयं बच्चा पैदा करने में असमर्थ होते हैं या ऐसे लोग जो सिंगल हैं और खुद का बच्चा चाहते हैं, ऐसी महिलाओं को ढूंढते हैं जो प्रजनन करने में सक्षम हों. इन्हें सरोगेट मां कहा जाता है. सरोगेट मां की बच्चेदानी में औरत के अंडों और आदमी के शुक्राणुओं को निषेचित कर दिया जाता है. इसके बदले सरोगेट मां को एक निश्चित रकम दी जाती है. बच्चा पैदा होने के बाद उसे उसके जैविक मां-बाप को सौंप दिया जाता है. इस सुविधा के दुरुपयोग के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. प्रस्तावित कानून के संसद से पारित होने के बाद इसमें मजबूर महिलाओं के शोषण की गुंजाइश नहीं रहेगी. सरोगेसी के बढ़ते व्यापार पर नकेल कसने का यह अब तक का सबसे बड़ा प्रयास है.

Indien Leihmutterschaft - Zydus Hospital in Anand Town
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky

कैबिनेट के फैसले के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज ने कहा कि सरोगेसी कुछ सेलेब्रिटी के लिए एक शौक बन गया है. वे कहती हैं कि जिनके बच्चे हैं वे भी सरोगेसी का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि उनकी पत्नियां गर्भधारण करना नहीं चाहती हैं. उन्होंने कहा कि जो चीज जरूरत के नाम पर शुरू की गई थी वह अब शौक बन गई है. दो बच्चों के पिता फिल्म स्टार शाहरुख खान ने अपने तीसरे बच्चे के लिए सरोगेसी का सहारा लिया था. आमिर खान का बेटा आजाद भी सरोगेट बेबी है. सरोगेट मां के जरिये बच्चा पैदा करने वालों में बिना शादी के पिता बने तुषार कपूर पर भी शामिल हैं.

सरोगेसी कारोबार पर असर

भारत में सरोगेसी कारोबार बहुत बड़ा है. देश में कमर्शियल सरोगेसी का कारोबार पिछले दशक में बहुत तेजी से बढ़ा है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अनुसार देशभर में दो हजार से ज्यादा प्रजनन केंद्र हैं. वहीं, 2012 में आयी यूएन की एक रिपोर्ट में ऐसे प्रजनन केन्द्रों की संख्या तीन हजार बताई गई थी. इसी रिपोर्ट के अनुसार भारत में सरोगेसी का वार्षिक कारोबार करीब 3,000 करोड़ रुपये का है. जानकारों के अनुसार यह आकड़ा अब और अधिक हो चुका है. सरोगेसी के लिहाज से महाराष्ट्र और गुजरात देश के दो बड़े राज्य हैं.

सरकार ने विदेशियों के लिए देश में किराये की कोख की सेवाएं लेने पर प्रतिबंध का प्रावधान विधेयक में किया है. जानकारों के अनुसार यह तेज़ी से बढ़ रहे सरोगेसी कारोबार के लिए बड़ा झटका है. हर साल हजारों विदेशी किराये की कोख की तलाश में भारत का रुख करते हैं. एक आकलन के मुताबिक विदेशों से आये दंपतियों के सरोगेसी के जरिये हर साल यहां 2000 बच्चे होते हैं.

सरोगेसी संबंधी मामलों को नियंत्रित करने के लिए कोई वैधानिक तंत्र नहीं होने के के कारण महिलाओं के शोषण के कई मामले सामने आये हैं. खासकर ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्रों में मजबूर और आर्थिक रूप से कमज़ोर महिलाओं को ‘कोख के व्यापार' में झोंक दिया जाता है. ऐसे मामलों से निपटने और सरोगेसी पर निगरानी के लिए बोर्ड बनाने की बात इस विधेयक में है. कानून तोड़ने पर सख्त सजा का प्रावधान भी है. बोर्ड के अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री होंगे और तीन महिला सांसद बोर्ड की सदस्य नियुक्त होंगी.