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मंथन 184 में खास

३ जून २०१६

सूखे की मार इस साल सिर्फ भारत को ही नहीं पड़ी, बल्कि अफ्रीका में भी साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए हैं. लेकिन इसके लिए खुद हम ही जिम्मेदर भी है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Tödt

कोई भी चीज हमारे लिए कितनी जरूरी है, इसका अहसास हमें तब होता है, जब वो खराब होने लगती है. ऐसा हम अपनी सेहत के साथ भी करते हैं और कुदरत की सेहत के साथ भी. जब खूब कमजेरी हो जाती है, तो समझ आता है कि खाना ठीक से खाना चाहिए, जब जोड़ों में दर्द होने लगता है, तब पता चलता है कि कसरत करनी चाहिए. इसी तरह जब जमीन की उपज कम हो जाती है, तब जा कर समझ आता है कि हमने अपने छोटी छोटी बुरी आदतों से उसे कितना नुकसान पहुंचा दिया है.

अब भूगर्भ के पानी पर नजर

जमीन जरूरी है और उसके नीचे का पानी भी. इस साल जिस स्तर पर देश भर में सूखा पड़ा है, उसने पानी की अहमियत को भी उजागर किया है. जमीन के नीचे से पानी निकालने के कई तरीके होते हैं, जिनमें से एक है डाउजिंग. इसकी प्रैक्टिस करने वाले मानते हैं कि पानी जमीन के नीचे की परत में बहता है और उसे ड्रिल कर काटना ज़रूरी है ताकि पानी का पर्याप्त प्रवाह हो सके.

प्रोमो: मंथन 184

कंचों से संगीत

अगर आपको कंचे दे दिए जाएं, तो आप उनसे क्या करेंगे? ज़ाहिर है, खेलेंगे! लेकिन स्वीडन के मार्टिन मोलिन इनसे म्यूज़िक बनाते हैं. जी हां, इनके लिए कंचे खिलौने नहीं हैं, बल्कि म्यूजिक मशीन बनाने का एक ज़रिया हैं.

डार्विन के मेंढक

दुनिया भर में मेंढकों की साढ़े चार हज़ार से ज़्यादा प्रजातियां मौजूद हैं. ठंडे अंटार्कटिका को छोड़ दिया जाए, तो ये हर जगह मौजूद हैं. लेकिन चिली में डार्विन मेंढकों की जान खतरे में हैं. वजह है उनकी त्वचा पर होने वाला एक फंगस. वैज्ञानिक इन्हें बचाने की कोशिश में लगे हैं.

साइक्लिंग के ट्रेंड

यूरोप में लोग साल भर गर्मियों का इंतजार करते हैं क्योंकि यही कुछ दो तीन महीने होते हैं, जब अच्छे मौसम और खूबसूरत नज़ारों का मजा लिया जा सकता है. जुलाई में तापमान कुछ बीस से तीस डिग्री के बीच रहता है और ऐसे में साइकिल चलाने में भी खूब मजा आता है. और हर साल नई नई तरह की साइकिलों का फैशन आता है.

तो देखना ना भूलिये, मंथन, शनिवार सुबह 11 बजे सिर्फ डीडी नेशनल पर.