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क्यों लगाया अमेरिका ने इलेक्ट्रानिक उपकरणों पर प्रतिबंध?

२१ मार्च २०१७

अब दुनिया के चुनिंदा 10 हवाई अड्डों से अमेरिका जाने वाले यात्री इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अपने साथ लेकर विमान में नहीं बैठ सकेंगे. ट्रंप प्रशासन ने कहा कि आतंकी खतरों को ध्यान में रखते हुये यह फैसला लिया गया है.

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USA Sicherheitskontrollen Hartsfield-Jackson Atlanta International Airport
तस्वीर: picture-alliance/dpa/E. S. Lesser

अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (डीएचएस) ने कहा है कि जॉर्डन, मिस्र, तुर्की, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, मोरक्को और कतर के हवाई अड्डों से अमेरिका आने वाले यात्रियों के पास टैबलेट, पोर्टेबल डीवीडी प्लेयर्स, लैपटॉप और कैमरे समेत जो भी आकार में सेलफोन से बड़े उपकरण होंगे, उन्हें सामान के साथ जमा करना होगा. सेलफोन के अतिरिक्त किसी अन्य उपकरण को विमान के अंदर ले जाने की इजाजत नहीं होगी. 

जिन हवाईअड्डों पर ये बैन प्रभावी होगा, उनमें अम्मान, काहिरा, कुवैत सिटी, दोहा, दुबई, इस्तांबुल, अबु धाबी, कासाब्लांका, मोरक्को, रियाद और जेद्दाह के शामिल हैं. अधिकारियों ने कहा है कि इस निर्णय को राष्ट्रपति ट्रंप से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिये. डीएचएस के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार किसी खास देश को निशाना नहीं बना रही है बल्कि प्रशासन खुफिया तंत्र से मिली जानकारी के आधार पर ये कदम उठा रहा है. कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने छह मुस्लिम बहुल देशों पर यात्रा संबंधी प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया था.

हालांकि न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद इसे लागू नहीं किया जा सका था. मौजूदा निर्णय में भी जिन 10 हवाईअड्डों की बात की गई है वे सभी देश मुस्लिम बहुसंख्यक देश हैं.

अधिकारियों ने बताया कि कोई भी अमेरिकी एयरलाइंस इस प्रतिबंध से प्रभावित नहीं होगी क्योंकि इन हवाई अड्डों से उनका कोई भी विमान सीधे अमेरिका में प्रवेश नहीं करता. अधिकारियों ने साफ किया कि यह नियम अमेरिकी नागरिकों पर भी लागू होता है लेकिन यह विदेशी विमानों के चालक दल के सदस्यों पर लागू नहीं होता है. हालांकि अधिकारियों ने इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया कि यह फैसला सिर्फ अमेरिका आने वाले यात्रियों पर ही क्यों लागू होगा और अमेरिका से जाने वालों पर क्यों नहीं. हालांकि डीएचएस यात्रियों को मेडिकल उपकरण इस्तेमाल करने की इजाजत देगा. 

अमेरिकी सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि वह इस बात से चिंतित है कि आतंकवादी कर्मशल विमानों और ट्रांसपोर्टेशन हब को निशाना बना सकते हैं. साल 2015 में पेरिस की शार्ली एब्दो मैग्जीन पर हमले की जिम्मेदारी लेने वाले यमन के समूह एक्यूएपी ने अब अमेरिकी एयरलाइंस पर हमले की योजना बनाई है. खुफिया जानकारी के आधार पर यह बात कही गई है. साल 2010 में ब्रिटेन और दुबई में सुरक्षा अधिकारियों को यमन से अमेरिका भेजे जा रहे पार्सल बम की सूचना मिली थी.

इन सब खतरों को ध्यान में रखते हुए जुलाई 2014 में डीएचएस ने अमेरिकी उड़ानों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की थी.

एए/एके (रॉयटर्स)