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खतरनाक चीजों की रिसाइक्लिंग

योर्ग येलेनिक१६ जनवरी २०१५

केन्या में इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निपटारे से कमाई का कारोबार तेजी से फैल रहा है. लेकिन इनकी रिसाइक्लिंग में खतरा भी है. केन्या में इस पर बहस चल रही है और वह अफ्रीका का पहला देश बनने जा रहा है, जहां इसके लिए कानून होगा.

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तस्वीर: DW/Y. Yeebo

हर दिन यूरोप और एशिया से जहाजों में ऐसे कंटेनर आते हैं, जिनमें टीवी, कंप्यूटर और मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक कचरे भरे होते हैं. सोने और चांदी के अलावा इन उपकरणों में सीसे और पारे जैसे खतरनाक धातु भी होते हैं. इनका निपटारा पर्यावरण को ध्यान में रख कर किया जाना चाहिए. केन्या अफ्रीका का पहला देश बनने जा रहा है, जो इसके लिए कानून बना रहा है. वह इनके उत्पादकों से ही कचरे के निपटाने में लगने वाला खर्च लेना चाहता है.

जरूरी है कि रिसाइक्लिंग की प्लानिंग की जाए, तभी इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाया जा सकता है. ईस्ट अफ्रीका रिसाइक्लिंग की विक्की ओनदेरी कहती हैं, "हमारे पास फ्लोरेसेंट ट्यूब्स भी आती हैं जिनमें पारा होता है. जहरीले पारे को साफ करने में काफी खर्च होता है. इससे जुड़ा नियम भी है. हानिकारक तत्वों से प्रोडक्ट बनाने वालों को ही इनकी सफाई के लिए भी पैसा देना होगा, ताकि हम पर्यावरण को साफ रख सकें."

केन्या की राजधानी नैरोबी के एक रिसाइक्लिंग प्लांट में जॉयस नयाविरा भी काम करती हैं. उन्हें हर महीने 45 यूरो की कमाई होती है, जो केन्या के औसत स्तर के हिसाब से ठीक है. उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्हें मजदूरी नहीं करनी पड़ती, "पर्यावरण के लिहाज से हम कह सकते हैं कि हमने अच्छा काम किया, क्योंकि यह साफ है, पिछले साल से ज्यादा. ये अच्छा है."

पर्यावरण के लिहाज से यह निश्चित तौर पर अच्छा कदम है. जहरीले कचरे को ढंग से निपटाया जा रहा है. उत्पादक सफाई का खर्च दे रहे हैं. ये पहल मिसाल बन सकती है. केन्या के बाद इलेक्ट्रॉनिक कचरा साफ करने वाले दूसरे अफ्रीकी देश भी यह काम कर सकते हैं.