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खसरे के टीके से हुआ कैंसर का इलाज

१६ मई २०१४

अमेरिका में खसरे के टीके से एक कैंसर पीड़ित महिला के इलाज में मदद मिली है. रिसर्चरों का दावा है कि यह तरीका कैंसर से निपटने की दिशा में अचूक इलाज साबित हो सकता है.

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तस्वीर: STR/AFP/Getty Images

इस इलाज को विकसित करने वाले डॉक्टर स्टीफन रसेल ने बताया, "हमें ऐसी थेरैपी मिल गई है जिसे मरीज को एक बार देने पर ज्यादा लंबे समय तक कैंसर को पनपने से रोका जा सकता है." उन्होंने कहा कि वह इसे एक जबरदस्त उपलब्धि मानते हैं.

इस थेरैपी को जिस महिला पर आजमाया गया उनकी उम्र 49 वर्ष है. वह अस्थिमज्जा के कैंसर से जूझ रही थीं. इसे मल्टिपल मायलोमा भी कहते हैं. ट्यूमर उनके माथे पर था, कैंसर उनकी अस्थिमज्जा के जरिए फैल रहा था. उन्हें मीजल्स वायरस की डोज, एमवी-एनआईएस दी गई जो कि मायलोमा प्लाज्मा कोशिकाओं के लिए घातक होती है.

खसरे के टीके की साधारण खुराक में मीजल वायरस की दस हजार इकाइयां होती हैं. जबकि इस रिसर्च में दी गई डोज में इकाइयों की संख्या सौ अरब थी. रसेल ने बताया कि खुराक देने के बाद महिला में कमाल का परिवर्तन देखा गया. हालांकि शुरुआत में कुछ मामूली विपरीत प्रभाव भी हुए, जैसे सिर में तेज दर्द होना. लेकिन धीरे धीरे उनके माथे पर से कैंसर गायब हो गया. कुछ और समय बाद कैंसर अस्थिमज्जा से भी साफ हो गया.

रसेल ने बताया कि पूरी तरह ठीक होने में महिला को नौ महीने लगे. जब उनके माथे का ट्यूमर दोबारा लौटता हुआ नजर आया तो डॉक्टरों ने उसका लोकल रेडियोथेरैपी से इलाज किया. मिनियापोलिस स्टार ट्रिब्यून में छपी रिपोर्ट के अनुसार यह महिला फिलहाल स्वस्थ है. वह उम्मीद कर रही हैं कि अगले महीने भी जब उनके डॉक्टर उनकी रिपोर्ट लेकर आएंगे तो यही कहेंगे कि कैंसर दोबारा नहीं पनपा, वह अब भी कैंसर मुक्त हैं.

हालांकि इस शोध के अंतर्गत एक अन्य महिला पर आजमाया गया यही तरीका कारगर साबित नहीं हुआ. उनकी टांगों पर ट्यूमर थे, इस इलाज से उन्हें दूर नहीं किया जा सका. इमेजिंग की उच्च तकनीक का इस्तेमाल करके डॉक्टरों ने उनके शरीर में मीजल वायरस की गतिविधि को देखा. उन्होंने पाया कि वायरस उन सभी हिस्सों पर आक्रमण कर रहा है जिन हिस्सों में कैंसर विकसित हो रहा है.

इससे पहले छोटी डोज में यह टेस्ट आजमाया जा चुका था, लेकिन इतनी ज्यादा डोज के साथ ये दोनों पहले मामले थे. इन दोनों ही मिहलाओं के मामले में कैंसर उस हद तक पहुंच चुका था जहां इसका इलाज किसी और तरीके से संभव नहीं रह गया था. इन परिणामों ने कैंसर से इलाज के लिए उम्मीद जगाई है. हालांकि इस तरह की थेरैपी के आम होने से पहले अभी बहुत रिसर्च और बाकी है.

एसएफ/आईबी (एएफपी)