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मंथन 70 में खास

१६ जनवरी २०१४

सालाना करीब 1 अरब 30 करोड़ टन अन्न बर्बाद होता है. इतना जरूरतमंदों को मिले तो भुखमरी खत्म हो सकती है. जानिए तस्वीरें खींचकर कैसे खाने की बर्बादी रोकी जा रही है और कीड़ों को कैसे विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मनी जैसे विकसित देश में हर व्यक्ति एक साल में कम से कम 82 किलो खाना फेंक देता है. विकासशील देशों में खाने की इतनी बर्बादी नहीं होती, खासकर भारत और उसके पड़ोसी देशों में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शादी ब्याह या फिर अन्य आयोजनों में खाना हिसाब से बने और उसे बर्बाद होने से रोका जाए. खाने की बर्बादी की तरफ ध्यान खींचने के लिए एक फोटोग्राफर अनोखी कोशिश कर रहा है. ऑस्ट्रिया के फोटोग्राफर क्लाउस पिखलर की तस्वीरें आकर्षित तो करती हैं लेकिन जब उसकी असलियत सामने आती है तो लोगों के मन में थोड़ी घिन पैदा होती है. कूड़ेदान में जिस खाद्य सामग्री को फेंक दिया जाता है, पिखलर उन चीजों की तस्वीरें निकालते हैं. बिना बताए यह जान पाना मुश्किल है कि तस्वीर किस चीज की है. मंथन में मुलाकात होगी इस खास फोटोग्राफर से. इनकी तसवीरें जरूर आपका ध्यान खींचेंगी.

आप खाएंगे क्या?

लोगों को भूखे रहने से रोकने के लिए क्या कीड़े खिलाए जा सकते हैं? अगर संयुक्त राष्ट्र की मानें तो अगर लोग कीड़े खाने लगें तो दुनिया से भुखमरी मिट सकती है. सुनने में जरा अजीब लगता है लेकिन दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां कीड़ों से बना खाना लोग पसंद करते हैं. जर्मनी के शहर फ्रैंकफर्ट में खाने में कीड़े परोसे जा रहे हैं. लोग भी इन्हें शौक से खा रहे हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक आने वाले समय में कीड़े हमारा वैकल्पिक भोजन हो सकते हैं. मंथन में जानेंगे कि कितने फायदेमंद होते हैं कीड़े और साथ यह भी कि क्या भविष्य में हमारी थाली में कीड़े से बने व्यंजन शामिल हो सकते हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

बिजली बचाती बीयर कंपनी

जर्मनी की बीयर दुनिया भर में मशहूर है. लेकिन जर्मनी में बीयर बनाने में कड़ी मेहनत और काफी ऊर्जा की जरूरत पड़ती है. मंथन में जानेंगे कि जर्मनी के सैक्सनी में स्थित बीयर बनाने वाली कंपनी ऊर्जा का सही इस्तेमाल कैसे करती और सालाना लाखों रुपये कैसे बचा रही है. साथ ही मंथन में आप देख सकेंगे कि कैसे रेगिस्तान में खेती होती है. हम ले चलेंगे आपको मिस्र जहां रेगिस्तान में जंगल बसाने की कोशिश की जा रही है और ड्रिप सिंचाईं तकनीक की मदद से पेड़ लगाए जा रहे हैं. इस योजना में जर्मनी मिस्र की मदद कर रहा है. हरे भरे होते रेगिस्तान के अलावा बात होगी ऐसे घर की जो सिर्फ ढाई फुट चौड़ा है. दो कमरों के मकान के लिए लोग जिंदगी भर की कमाई लगा देते हैं. मंथन में मुलाकात होगी ऐसे आर्किटेक्ट से जिसने सिर्फ ढाई फुट चौढ़ाई वाला घर बनाया है. हालांकि इसे घर की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता इसलिए इसे कला कहा जा रहा है. शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी नेशनल पर मंथन में आपकी मुलाकात होगी इस खास घर में रहने वाले और इसे बनाने वाले से.

एए/आईबी

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