खाली हाथ पीड़ित
सिर्फ इंतजार
प्राकृतिक आपदा के पीड़ितों की झोली अक्सर खाली रह जाती है. सालों साल हक की लड़ाई जारी रहती है और कंपनी पर कार्रवाई और मुआवजे की लड़ाई का कोई अंत नहीं दिखता. आज भी फुकुशिमा, चेरनोबिल, भोपाल या डीप वॉटर होराइजन आपदाओं के पीड़ित हक से वंचित हैं
भोपाल, भारत
3 दिसंबर 1984, करीब 20 हजार लोग यूनियन कार्बाइड कारखाने में हुई गैस लीक में मारे गए. कई साल चली लड़ाई के बाद कंपनी ने 47 करोड़ अमेरिकी डॉलर का मुआवजा भारत को दिया. पीड़ितों तक और कम पहुंचा.
चेरनोबिल, यूक्रेन
26 अप्रैल 1986 चेरनोबिल में मरम्मत के दौरान रिएक्टर नंबर चार में भारी धमाका हुआ. 10 हजार लोग रिएक्टर पिघलने के असर से मारे गए. यूरोप के बाकी हिस्सों में रेडियोएक्टिव बादल से प्रदूषण फैला. आज भी दक्षिणी जर्मनी में रेडियोएक्टिव प्रदूषण के लिए जर्मन सरकार मुआवजा दे रही है.
बासेल, स्विट्जरलैंड
1 नवंबर 1986, बासेल के पास सांडोज नाम की रासायनिक उत्पादों की कंपनी के स्टोर हाउस में आग लग गई. इस्तेमाल पानी प्रदूषित हुआ और उसे रोटरडाम के पास राइन नदी में डाला गया. सात साल बाद अग्निशमन विभाग के पूर्व प्रमुख को दोषी करार दिया गया. सांडोज के किसी कर्मचारी पर मुकदमा नहीं हुआ.
प्रिंस विलियम साउंड, अलास्का
24 मार्च 1989, एक्सॉन वाल्डेज कंपनी के तेल टैंकर से 40 हजार टन कच्चा तेल रिसा. यह ठंडे बर्फीले समन्दर में फैल गया. तेल अब भी जमा है. कई पशु, मछलियां, पक्षी इसकी वजह से मर रहे हैं. तट पर रहने वाले 40 हजार निवासी क्षतिपूर्ति के लिए लड़ रहे हैं. पांच अरब का मुआवजा अमेरिकी अदालत तय करती है.
अजनालकोलार, स्पेन
25 अप्रैल 1998, लोस फ्रैलेस खदान में वह तालाब फूट पड़ा जिसमें जहरीला कीचड़ इकट्ठा किया जाता था. कचरा पास की नदी गुआदियामर में चला गया और प्राकृतिक रूप से संरक्षित इलाके डोनाना में भी. अदालत में तय 27.5 करोड़ यूरो के मुआवजे की लड़ाई अभी तक चल रही है.
बाइया मारे, रुमेनिया
20 जनवरी 2010, सोना निकालने के लिए बना गड्ढा टूटने से जहरीला कचरा थीस और डेन्यूब नदी के जरिए काले सागर में पहुंचा. आज भी इस इलाके का पानी और जमीन जहरीली है.
अटलांटिक तट, स्पेन
19 नवंबर 2002, प्रेस्टीज नाम के तेल टैंकर से रिसे 64,000 टन कच्चे तेल ने स्पेन, फ्रांस और पुर्तगाल के 2900 किलोमीटर तट को प्रदूषित किया. एक अरब का मुआवजा, लेकिन कौन भरेगा, कंपनी, जहाज या देश. बहस जारी है.
चुआंजोंगबेई, चीन
25 दिसंबर 2003, गैस निकालने के लिए बनी जगह पर धमाका होने के कारण जहरीले सल्फर का बादल आस पास के गांवों पर छा गया. 234 लोग मारे गए और 10 हजार बीमार हुए.
जिलिन, चीन
13 नवंबर 2005, केमिकल कारखाने में विस्फोट के बाद 100 टन बेंजोल सोनगुआ नदी में बह गया. यह पानी के साथ रूसी शहर चाबरोव्स्क में पहुंचा. चीन ने देरी से सूचना देने के लिए माफी मांगी.
मेक्सिको की खाड़ी, अमेरिका
20 अप्रैल 2010, धमाके के बाद डीपवॉटर होराइजन नाम का ऑयल प्लेटफॉर्म ध्वस्त हो गया. बीपी कंपनी के इस कुएं में विस्फोट में 11 कर्मचारी मारे गए और 75 करोड़ टन कच्चा तेल कई महीनों तक समंदर में बहता रहा.
कोलोंतार, हंगरी
4 अक्टूबर 2010, एल्युमिनियम जमा करने वाला टब टूट गया. 10 लाख घन मीटर जहरीली गाद कई गांवों में फैल गई. 10 लोग मारे गए. कंपनी को 50 करोड़ यूरो मुआवजा देने का आदेश दिया गया.
फुकुशिमा, जापान
11 मार्च 2011, भूकंप और सूनामी के बाद फुकुशिमा परमाणु संयंत्र का रिएक्टर पिघलने लगा. एक महीने बाद दुर्घटना और गंभीर हुई. पीड़ितों के लिए 25.6 अरब यूरो टेपको कंपनी ने जुटाए.