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मंथन 78 में खास

१४ मार्च २०१४

इस बार मंथन में नापेंगे आकाशगंगा और समझेंगे भारहीनता को. जानेंगे कैसे घर में ही बनाई जा सकती है कार.

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तस्वीर: OSVehicle

दुनिया भर में अंतरिक्ष के बारे में और जानकारी हासिल करने की न केवल होड़ लगी है, बल्कि देश अंतरिक्ष अभियानों पर और रिसर्च के लिए अरबों डॉलर खर्च करते हैं. भारत ही हर साल अंतरिक्ष विज्ञान के लिए करीब 70 अरब रुपये खर्च करता है. वहीं यूरोप ने 60 करोड़ यूरो का एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया है जिसके तहत गाइया नाम के टेलिस्कोप को अंतरिक्ष में भेजा गया है, जो अंतरिक्ष का आकार नापने में मदद कर रहा है. छह साल चलने वाले इस प्रोजेक्ट के बारे में आप देख सकेंगे शनिवार को मंथन में.

कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसे भारतीय मूल के अंतरिक्षयात्रियों के साथ भारत ने भी अंतरिक्ष में जम कर कदम रखे हैं. करीब पंद्रह साल पहले अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन बना, जिसमें भारत सहित दुनिया भर के अंतरिक्ष यात्री पहुंचते हैं. इसमें शामिल होने से पहले उन्हें लंबी तैयारी करनी पड़ती है. सबसे बड़ी चुनौती है, भारहीनता. जानेंगे कैसे तैयारी करते हैं अंतरिक्ष यात्री.

अंतरिक्ष की जानकारी लेकर चलेंगे नेपाल और जानेंगे कि कैसे वहां पारंपरिक तरीके से मधुमक्खियां पाली जाती हैं. इसकी मुश्किलें क्या हैं और इन मुश्किलों से पार पाने के लिए नेपाल के लोग क्या कर रहे हैं. मधुमक्खियों का संसार बड़े ही व्यवस्थित तरीके से चलता है. श्रमिक मक्खी कड़ी मेहनत करती है तो रानी मक्खी का काम सिर्फ अंडे देना है. इसीलिए मजदूरी करने वाली श्रमिक मक्खी जहां ज्यादा से ज्यादा 9 महीने तक जिंदा रह पाती है, वहीं रानी मक्खी कई साल जीती है. मधुमक्खियों के व्यवहार को समझ कर ही तो इंसान ने उन्हें पालतू बनाना सीखा है. वैसे मधुमक्खियों को पालना इतना आसान काम नहीं. शहद और मोम के अलावा पराग कण फैला कर ये खेती में भी अहम भूमिका निभाती हैं इसलिए उन्हें पालने के साथ ही उनकी सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है.

खुद ही बना लें कार

ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर यानि इंटरनेट का ऐसा प्लेटफार्म जहां कोई भी उस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सके. जैसे, विकिपीडिया, जिसे लोग पढ़ते हैं और नई जानकारी भी जोड़ सकते हैं. ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर से हर साल आम उपभोक्ताओं के करीब साठ अरब डॉलर बचते हैं. अब नई चीजों के लिए शुरूआती खाका खींचने की जरूरत नहीं और मनचाही चीज का सपना भी जल्द पूरा हो सकता है. और ये मनचाही चीज, छोटी मोटी नहीं, कार भी हो सकती है. शनिवार 15 मार्च के दिन डीडी नेशनल पर सुबह साढ़े दस बजे आप देख सकते हैं कि ये कार घर पर कैसे बनाई जा सकती है और इसकी दाम कितना बैठेगा.

एएम/ओएसजे