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गंगा यमुना उफान पर

१० सितम्बर २०१०

यूपी के गाजियाबाद जिले में 12 गांव और खेती की काफी जमीन पानी में डूब गई है. अधिकारियों ने और बाढ़ की चेतावनी दी. यमुना लगातार खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. बांधों से पानी छोड़े जाने से पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है.

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तस्वीर: CARE

हरिद्वार और बिजनौर बांधों से 2.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो इन गांवों में जा पहुंचा. लथिरा काकमोंध, गंगा नगर सहित 12 गांवों में बाढ़ आ गई है. जिला प्रशासन हालात पर नजर रखे है. एसडीएम एसके मौर्य ने कहा कि स्थानीय गांवों को बाढ़ की चेतावनी दी गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को हर संभव मदद दी जा रही है.

उन्होंने बताया कि हरियाणा से 80 हजार क्यूसेक पानी शुक्रवार को छोड़ा गया जिससे यमुना में पानी का स्तर बढ़ कर 205.60 मीटर पर पहुंच गया है. यह खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर है. अधिकारियों ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है.
यमुना ने खतरे का निशान गुरुवार को ही पार कर लिया. अधिकारियों को डर है कि शुक्रवार शाम तक पानी का स्तर 207 मीटर तक पहुंच सकता है क्योंकि पिछले तीन दिन में हरियाणा से नौ लाख क्युसेक पानी छोड़ा गया है.
दिल्ली सरकार का कहना है कि भारतीय समय के हिसाब से सुबह नौ बजे पानी 205 मीटर से ऊपर था. दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है.
दिल्ली के बाढ़ नियंत्रण मंत्री राज कुमार चौहान ने कहा कि यमुना के किनारों पर सौ पंप फिट किए गए हैं ताकि निचले इलाकों में घुसने वाले पानी को निकाल सकें.

पिछले महीने भी यमुना खतरे के निशान से ऊपर चली गई थी जिसके बाद अधिकारियों को बहुत सारे लोग राहत शिविरों में भेजने पड़े. दरअसल हाल के सालों में यमुना सिकुड़ गई है. दुनिया भर का कचरा यमुना में डाल दिया जाता है. उसकी सफाई की योजनाएं शुरू तो होती हैं लेकिन आगे नहीं जाती. गंगा की हालत भी ऐसी ही है. औद्योगिक कचरे से ये नदियां तो गंदी हो ही रही हैं. रही सही कसर पूजा और धार्मिक परंपराएं पूरी कर देती हैं. जलवायु परिवर्तन के इस दौर में बाढ़ से नुकसान नहीं होगा, तो क्या होगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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