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गर्भनिरोधक बचाते हैं अंडाशय के कैंसर से

एमजे/आरपी६ सितम्बर २०१६

पश्चिमी देशों में अंडाशय के कैंसर से मौत के मामलों में पिछले दशक में भारी कमी हुई है. रिसर्चरों का कहना है कि गर्भनिरोधक गोलियों के व्यापक इस्तेमाल से हो रही ये कमी अभी जारी रहेगी.

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तस्वीर: picture alliance / CTK

अमेरिका में अंडाशय के कैंसर से होने वाली मौतों में 2002 से 2012 के बीच 16 प्रतिशत की कमी आई है जबकि साइप्रस को छोड़कर 28 सदस्यों वाले यूरोपीय संघ में 10 प्रतिशत की कमी हुई है. कनाडा में कमी की दर 8 प्रतिशत रही. एनल्स ऑफ ओंकोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अंडाशय के कैंसर से होने वाली मौत की कम दर वाले जापान तक में दो प्रतिशत की कमी आई है. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार ऑस्ट्रिया और न्यूजीलैंड में गिरावट की दर 12 प्रतिशत रही.

रिपोर्ट के लेखकों का कहना है, "इस सकारात्मक रुझान की मुख्य वजह ओरल गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन है." रिपोर्ट के अनुसार मौत के मामलों में आई गिरावट की दर युवा और अधेड़ उम्र की औरतों में बुजुर्ग औरतों के मुकाबले ज्यादा है. और अमेरिका, ब्रिटेन तथा उत्तरी यूरोप में काफी वृहत है." रिपोर्ट के लेखकों के अनुसार ये वे देश हैं जहां ओरल गर्भनिरोधकों को बहुत पहले ही उपलब्ध करा दिया गया था और जहां इनका व्यापक इस्तेमाल होता है. गर्भनिरोधक गोलियों का अंडाशय के कैंसर से रक्षा में दीर्घकालिक असर होता है.

रिपोर्ट का कहना है कि रजोनिवृत्ति संबंधी मामलों में इलाज में हॉरमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी में आई कमी के अलावा कैंसर के बेहतर डायग्नोसिस और इलाज का भी इसमें योगदान हो सकता है. रजोनिवृत्ति से जुड़ी शरीर में गर्मी का अहसास होने या योनि में सूखापन जैसी बीमारियों में हॉरमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी होती है जिसमें एस्ट्रोजेन या प्रोजेस्टेरॉन का इस्तेमाल होता है. 2015 में हुए एक अध्ययन के अनुसार ये अंडाशय के कैंसर का खतरा 40 प्रतिशत बढ़ा देते हैं. इसके विपरीत माना जाता है कि गर्भनिरोधक गोलियां इस बीमारी से बचाती हैं जिसे साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि उसका पता काफी देर से चलता है.

लेकिन दूसरी ओर एक अन्य अध्ययन ने गर्मनिरोधकों को ब्रेस्ट कैंसर के बढ़े हुए खतरे के अलावा हार्ट अटैक और स्ट्रोक के साथ भी जोड़ा है. ताजा अध्ययन के अनुसार विभिन्न देशों में कैंसर से मौत में कमी के अनुपात में समानता नहीं है. इसमें अफ्रीका का कोई डाटा शामिल नहीं है. यूरोपीय देशों में हंगरी में 0.6 प्रतिशत की कमी आई तो एस्टोनिया में 28 प्रतिशत की जबकि बुल्गारिया में अंडाशय कैंसर से मौत के मामले बढ़े हैं. लैटिन अमेरिका में अर्जेंटीना, चिली और उरुग्वे में मौत में कमी हुई तो ब्राजील, कोलंबिया, क्यूबा, मेक्सिको और वेनेजुएला में वृद्धि हुई.

भारत में भी अंडाशय का कैंसर मां बनने की उम्र की महिलाओं और किशोरों में बड़ी समस्या के रूप में उभरा है. भारत में महिलाओं में कैंसर के मामलों में 4 प्रतिशत हिस्सा अंडाशय में कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने का है. ये बहुत ही आक्रामक होते हैं और महिलाओं की मौत का प्रमुख कारण हैं. आम तौर पर इसके लक्षणों को पेट की समस्या समझा जाता है और उस पर ध्यान नहीं दिया जाता. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के आधार पर रिसर्चरों ने कहा है कि 2020 तक अमेरिका में ओवरी कैंसर के मामलों में और 15 प्रतिशत की कमी आएगी, जबकि यूरोपीय संघ और जापान में कमी की दर 10 प्रतिशत रहेगी.