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गर्मी से झुलसते जर्मनी में आइसक्रीम की कमी

२१ जुलाई २०१०

गर्मी ने जर्मनी को कुछ ऐसा बेहाल किया कि यहां आइसक्रीम की ही कमी हो गई. सूरज की आग से खुद को बचाने के लिए लोग राहत की तलाश में है. पैर पानी में और मुंह में आइसक्रीम.

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ठंडा ठंडातस्वीर: AP

आइसक्रीम खाने वाले लोगों की संख्या के मामले में जर्मनी दुनिया में छठे स्थान पर आता है. लेकिन आज गर्मी की मार पड़ रही है तो इससे आइसक्रीम उद्योग को खनखन फायदा हो रहा है. घर के फ्रिज हों या कैफे, या फिर छोटी मोटी दुकानें, हर जगह आइसक्रीम की जबरदस्त मांग है.

इस बढ़ी मांग ने बहुत से लोगों को रोजगार तो दिलाया ही है, लेकिन कुछ आइसक्रीम फैक्ट्रियों में ऐसी हालत हो गई कि मैनेजमेंट के लोगों को आकर उत्पादन में मदद करनी पड़ी. यूरोप में मशहूर लांगनेसे और नेस्ले कंपनी की शोएलर मोएवन पिक आइसक्रीम की बड़ी मांग है. इसीलिए नेस्ले फिलहाल हर दिन 20 लाख आइसक्रीम बना रही है.

Deutschland Anuga 2009 Köln Messe Nahrungsmittelmesse
तस्वीर: AP

लांगनेसे कंपनी की भी यही हालत है. उसका कहना है, "गर्मियों के ठंडे दिनों की तुलना में फिलहाल हम पांच गुना ज्यादा आइसक्रीम बेच रहे हैं." जर्मनी के हेपेनहाइम में फिलहाल हर मिनट 500 लीटर आइसक्रीम तैयार हो रही है.

सबके मजे

जर्मनी की आर एंड आर आइसक्रीम कंपनी की फिलहाल बल्ले बल्ले है. वह इन गर्मियों में 14 हज़ार प्लेटें आइसक्रीम बना रही है जबकि सामान्य सीजन में उसके यहां केवल 6 हज़ार प्लेटें ही बनती थीं. कर्मचारियों को सात दिन काम करना पड़ रहा है. इसी कारण पार्ट टाइम काम करने वालों को भी काफी फायदा है. बड़ी ही नहीं, छोटी कंपनियां भी इससे लाभ उठा रही हैं. हैम्बर्ग के पास आपेन्सन में आइबैर आइस कंपनी है. उसके मालिक मार्टिन रूहेस को यह साल अच्छा होने की उम्मीद है.

आइसक्रीम की चाहत में आइसकैफे या दूसरे कैफे भी खूब चल रहे हैं. गर्मी से परेशान लोग कोल्डड्रिंक और आइसक्रीम की बहुत मांग करते हैं. बस छनाछन लक्ष्मी आइकैफे, आइसक्रीम कंपनियों पर बरस रही है.

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आइसक्रीम फलों के साथतस्वीर: picture alliance/dpa

दही की आइसक्रीम

भारत में दूध से बना आइसक्रीम पसंद किया जाता है जबकि जर्मनी सहित यूरोप के कई हिस्सों में दही और फलों वाला आइसक्रीम बहुत चाव से लोग खाते हैं. दही और छाछ वाले आइसक्रीम का फिलहाल यहां ट्रेंड है. लेकिन भारत की ही तरह, सुपर मार्केट में सब्जियां भले ही बहुत ऊंचे दामों पर बिक रही हों, लेकिन किसानों को उसका कोई फायदा नहीं होता. ऐसा ही कुछ जर्मनी में भी है. जर्मनी के उत्तरी हिस्सों में दूध का बहुत उत्पादन होता है. लेकिन आइसक्रीम की ब्रिकी बढ़ने का सीधा फायदा उन्हें नहीं बल्कि बड़ी बड़ी कंपनियों को हो रहा है.

मजे की बात यह है कि आइसक्रीम की कमी जर्मनी में हो रही है, पर जर्मन लोग इतना आइसक्रीम खाते ही नहीं. ठंडी ठंडी आइक्रीम खाने वालों में ठंडे ठंडे देश ही हैं. आइसक्रीम की सबसे ज्यादा खपत फिनलैंड में होती है. वहां हर आदमी साल मे कम से कम 12.9 लीटर आइसक्रीम खा जाता है तो नॉर्वे में 11.5 लीटर. तीसरे नंबर पर स्वीडन है और छठे नंबर पर जर्मनी है जहां हर व्यक्ति साल में छह लीटर आइसक्रीम खाता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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