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गलाकाट होड़ के बीच टोयोटा और सुजुकी ने हाथ मिलाया

१३ अक्टूबर २०१६

दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी टोयोटा सुजुकी के साथ पार्टनरशिप करेगी. कार बाजार में आने वाले तूफान से निपटने के लिए दोनों जापानी कंपनियों को हाथ मिलाना पड़ रहा है.

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Symbolbild - Sparsames Auto Citroen C1
तस्वीर: picture-alliance/dpa

टोयोटा और सुजुकी ने बुधवार को साझा बयान जारी कर पार्टनरशिप का एलान किया. दोनों कंपनियां पर्यावरण के लिहाज से बेहतर नई तकनीक साथ मिलकर विकसित करेंगी. सेफ्टी और इनफॉर्मेशन नेटवर्किंग में भी एक दूसरे का हाथ बंटाएंगी. जापानी कंपनी टोयोटा दुनिया की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी है. वहीं सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन छोटी और किफायती कारें बनाने में माहिर है.

टोयोटा के अध्यक्ष अकियो टोयोडा के मुताबिक दोनों कंपनियों का भविष्य अब ऐसे ही सहयोगों पर टिका है, "अब ये बेहद जरूरी हो चला है कि ऐसे साझेदार हों जिनका लक्ष्य और जज्बा एक समान हो."

जापान का कार उद्योग मुश्किल में है. मित्सुबिशी मोटर्स की धोखाखड़ी पता चलने के बाद सुजुकी की कारों की गड़बड़ भी सामने आई है. अच्छे माइलेज के लिए मशहूर सुजुकी की कारें भी निर्धारित मात्रा से ज्यादा हानिकारक गैसें छोड़ रही हैं. जापान सरकार ने सुजुकी को आदेश दिया है कि वह अपनी कारों की समीक्षा करे और उन्हें नियमों को मुताबिक ढाले.

Partnerschaft Toyota BMW
टोयोटा बीएमडब्ल्यू से पार्टनरशिप कर चुकी हैतस्वीर: picture-alliance/dpa

घर में मुश्किलें हैं ही ऊपर से बाहर से भी कड़ी चुनौती मिली रही है. यूरोप और अमेरिका के कार निर्माता इलेक्ट्रिक कारों पर बहुत ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक इलेक्ट्रिक कारें बहुत ही जल्द पेट्रोल और डीजल वाली कारों का सफाया कर देंगी. सुजुकी ने अब तक कोई भी हाइब्रिड, इलेक्ट्रिक और फ्यूलसेल कार नहीं बनाई है. सुजुकी के चैयरमैन ओसामु सुजुकी के मुताबिक टोयोटा के साथ साझेदारी से उनकी कंपनी को फायदा मिलेगा, "'टोयोटा उद्योग में अग्रणी है और ऐसी भरोसेमंद कंपनी है जो कई तरह की एडवांस और फ्यूचर टेक्नोलॉजीज पर काम कर रही है."

टोयोटा गैस-इलेक्ट्रिक हाइब्रिड कारों के मामले में काफी आगे है. कंपनी के प्रियस मॉडल ने लॉन्च के बाद काफी सुर्खियां बटोरीं, लेकिन कुछ ही समय बाद टोयोटा को दुनिया भर से 3,40,000 प्रियस कारें वापस मंगानी पड़ी. गाड़ी के पार्किंग ब्रेक में डिफेक्ट मिला.

इस बीच खुद चलने वाली कारें कई देशों में सड़कों पर उतर चुकी हैं. अमेरिकी कंपनी टेस्ला के साथ ही गूगल और एप्पल जैसी प्रमुख कंपनियां भी सेल्फ ड्राइविंग कार में निवेश कर चुकी हैं. टोयोटा अब भी इससे हिचकिचा रही है.

पहले नंबर पर रहने के बावजूद टोयोटा को लगातार जर्मन कंपनी फोल्क्सवागेन से टक्कर मिलती रही है. फोल्क्सवागेन, मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू जैसी दिग्गज जर्मन कंपनियां भी अपनी रणनीति में बड़े बदलाव कर रही हैं. जर्मनी में 2030 से पेट्रोल और डीजल के कम्बशन इंजन पर रोक लगाने पर गंभीरता से विचार हो रहा है.

(देखिये 135 साल बाद कैसे वापसी कर रही हैं इलेक्ट्रिक कारें)

ओएसजे/एमजे (एपी)