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गांजे को वैध बनाने की लड़ाई

१२ अप्रैल २०१४

जर्मनी में आपराधिक कानून के 120 प्रोफेसर गांजे को वैध बनाने के अभियान में लगे हुए हैं. उन्होंने जर्मन संसद बुंडेसटाग से इस पर बहस करने की अपील की है. सरकार में इस पर मतभेद हैं.

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तस्वीर: AP

जर्मनी में करीब 30 लाख लोग चरस पीते हैं और करीब एक करोड़ चालीस लाख लोग ऐसे हैं जिन्होंने कम से कम एक बार इस नशीली दवा का इस्तेमाल किया है. जर्मनी में इसका इस्तेमाल करना गुनाह नहीं है, लेकिन इसे बेचना और उगाना अपराध माना जाता है.

कई कानून विशेषज्ञों का मानना है कि गांजा का इस्तेमाल करने वालों को अपराधी ठहराना उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता. ब्रेमन यूनवर्सिटी में क्रिमिनल लॉ के प्रोफेसर लोरेंस बोलिंगर ने दो साल पहले शिल्डो सर्कल बनाया था जिसमें अब 122 प्रोफेसर शामिल हो गए हैं जो गांजा की बिक्री और मिल्कियत को वैध बनाना चाहते हैं.

नवंबर 2013 में इस ग्रुप ने जर्मन संसद के निचले सदन से मांग की कि कई पार्टियों के सदस्यों वाला एक वर्किंग ग्रुप बनाया जाए जो जर्मनी के मादक द्रव्य कानून को परखे और वतर्मान ड्रग नीतियों का विश्लेषण करे. ग्रीन और लेफ्ट पार्टी इस आयडिया से सहमत हैं. बोलिंगर को उम्मीद है कि एसपीडी के कुछ सदस्य इसमें शामिल हो जाएंगे. एक आयोग बनाने के लिए कम से कम 120 सांसदों की जरूरत होती है.

बोलिंगर की दलील है कि गांजा इस्तेमाल करने वालों को अपराधी ठहराया जाता है क्योंकि वह काले बाजार से इसे खरीदते हैं. वे गलत लोगों की संगत में पड़ सकते हैं और उनका जीवन बरबाद हो सकता है. मादक द्रव्यों के लिए जर्मनी की आयुक्त मार्लेने मोर्टलर गांजे को वैध बनाने का कड़ा विरोध करती हैं. उनकी दलील युवाओं के स्वास्थ्य को लेकर है क्योंकि गांजे के नियमित इस्तेमाल से इसकी लत पड़ ही जाती है और साइकोसिस होने का भी डर है.

बोलिंगर ये दलील खारिज करते हैं और कहते हैं कि ये सिर्फ उनके लिए खतरनाक है जिन्हें लत का अंदेशा है. अगर मादक द्रव्य वैध होंगे तो युवा लोगों को गांजा और भांग के खतरे से आगाह किया जा सकता है.

खतरे की घंटी

एक और कारण जो बोलिंगर और उनके साथी देते हैं, वह यह है कि अगर कैनेबिस को वैध कर दिया जाएगा तो उससे गुणवत्ता बनी रहेगी. जर्मन कैनेबिस असोसिएशन के अध्यक्ष गेऑर्ग वुर्थ ने बताया कि किस तरह एक अवैध ड्रग डीलर ने गांजे के पौधे को लेड सल्फाइड से काटा और फिर उसका इस्तेमाल करने वाले 100 लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. इसलिए अगर गांजे की कालाबाजारी खत्म की जा सके तो गुणवत्ता पर नजर रखी जा सकेगी.

जर्मनी के मुन्स्टर राज्य में एसपी हुबर्ट विम्बर भी मादक द्रव्यों से जुड़े जर्मन कानून में बदलाव चाहते हैं. वो दलील देते हैं कि जर्मनी दूसरे देशों से सीख ले सकता है. पिछले साल उरुग्वे ने गांजे के नियंत्रित व्यापार को वैध कर दिया था. अमेरिका के कोलोराडो और वॉशिंगटन में इसके इस्तेमाल की आजादी है.

रिपोर्टः कार्ला ब्लाइकर/एएम

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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