गुमशुदा चेहरे...
हर साल भारत में हजारों बच्चे गुमशुदा हो जाते हैं. कई का कभी दोबारा पता भी नहीं चलता. कुछ भाग जाते हैं, बाल मजदूरी करते हैं तो कई बंधुआ मजदूर बनाकर कैद में रखे जाते हैं.
बदनसीबी का साया
बचपन बचाओ आंदोलन द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार भारत में हर घंटे करीब 11 बच्चे लापता हो रहे हैं जिनमें से चार कभी घर वापस नहीं लौट पाते.
बंधुआ मजदूर
16 साल की पिंकी को हाल ही में दिल्ली के एक घर से छुड़ाया गया जहां वह घरेलू काम के लिए बंधक बनाकर रखी गई थी.
हर जगह ढूंढा
गुमशुदा बेटे की तस्वीर दिखाते हुए खुद पर काबू न रहा. उसकी मदद के लिए जो भी पैसे मिलते हैं उसके पिता उनसे सफर कर जगह जगह बेटे को ढूंढते है.
घर से भागे हुए
ज्यादातर घर से भागे हुए बच्चे किसी न किसी के पास बंधुआ मजदूर बनकर रह जाते हैं. कभी होटल, कभी खेत, गैराज या कभी कारखानों की नजर हो जाता है बचपन.
आस बाकी है
इस भाई हाथ में गुमशुदा बहन की तसवीरें हैं. छह साल बाद ये तसवीरें उम्मीद टूटने नहीं देतीं कि एक दिन वह घर जरूर लौटेगी.
बहुत हुआ इंतजार
बचपन बचाओ आंदोलन द्वारा बचाया गया यह लड़का अब ट्रांजिट होम में रह रहा है. वह जल्द से जल्द परिवार से मिलने के इंतजार में है.
अब कहीं मत जाना!
अर्जुन जब मां से मिला तो मां खुद पर काबू न रख सकी. उसने बताया कि उसे दो साल तक खेतों में काम करने के लिए बंधक बनाकर जंजीरों से कस कर रखा गया.
दोबारा नहीं
अपनी एक संतान खो चुकी यह महिला अब अपने दूसरे बच्चे की उंगली छोड़ने से भी घबराती है कि कहीं उसके साथ भी वहीं न हो जाए.