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गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड में 11 को उम्रकैद

ऋतिका पाण्डेय१७ जून २०१६

गुलबर्ग सोसाइटी केस में विशेष एसआईटी कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद और 12 अन्य को सात साल की जेल की सजा सुनाई. 2002 में गुजरात दंगों के दौरान हुए सामूहिक हत्याकांड में 69 मुसलमानों को जला कर मार डाला गया था.

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10 Jahre Pogrome in Gujarat
तस्वीर: AP

सामूहिक हत्याकांड के 14 साल बाद कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाई है. एसआईटी अदालत ने 11 दोषियों को उम्रकैद और 12 अन्य को सात साल की जेल की सजा सुनाई. इसके पहले 2 जून को केस की सुनवाई करते हुए विशेष एसआईटी कोर्ट ने 24 लोगों को दोषी करार दिया था. एक बीजेपी नेता समेत 36 लोगों को मामले से बरी किया गया जबकि 24 लोगों को दोषी करार दिया था.

कोर्ट ने जिन 36 लोगों को बरी किया था, उनमें एक पुलिस इंस्पेक्टर और बीजेपी नेता बिपिन पटेल शामिल है. आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी किया गया. कोर्ट ने विश्व हिंदू परिषद ने नेता अतुल वैद्य समेत 13 आरोपियों पर बहुत हल्के दोष तय किए थे. एसआईटी कोर्ट को दोषियों को सजा सुनाने से पहले यह जानना था कि पहले से जेल में बंद आरोपी कितने साल जेल में बिता चुके हैं.

फरवरी 2002 में गुजरात के गोधरा कांड के बाद उत्तेजित भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी पर धावा बोल कर बहुत से लोगों की हत्या कर दी. इस सोसायटी में रहने वाले कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी समेत 69 मुसलमानों को जला कर मार डाला गया था. इस हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप एक स्थानीय पुलिस इंस्पेक्टर समेत कुल 61 लोगों पर लगा था.

गुलबर्ग सोसायटी कांड में मारे गए कांग्रेस नेता जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की अपनी अर्जी में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों पर आरोप लगाया था. स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम, एसआईटी ने मार्च 2010 को नरेंद्र मोदी ने लंबी पूछताछ की जिसमें मोदी ने उन पर लगाए गए आरोपों से इनकार किया था.

27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 कोच में अयोध्या से वापसी की यात्रा कर रहे 58 हिंदू कारसेवकों को गोधरा स्टेशन के पास ट्रेन में ही जला कर मार डाला गया था. इस हत्याकांड के लिए मुसलमानों पर उंगली उठी और इसी गोधरा कांड की प्रतिक्रिया में तीन दिन तक चली सांप्रदायिक हिंसा में 1,000 से भी अधिक मुसलमानों की जान ले ली गई.