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गैंगरेप मामले में फैसला दो हफ्ते में

११ जुलाई २०१३

दिल्ली गैंग रेप में किशोर संदिग्ध के मामले में फैसला दो हफ्ते बाद गुरुवार को सुनाया जाएगा. अदालत ने मामले में और दलीलें सुनी.

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तस्वीर: Reuters

सरकारी वकीलों की टीम के माधव खुराना ने बताया, "आज सुनवाई खत्म हुई है. फैसला 25 जुलाई को सुनाया जाएगा." अदालत ने पहले कहा था कि मुकदमे की सुनवाई पांच जुलाई को खत्म होगी और कि वह गुरुवार को फैसला सुनाएगी. लेकिन मुख्य मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोयल ने दोनों पक्षों की और दलीलें सुनी और नए बयानों के आधार पर उन्हें फैसले के बारे में फिर से सोचना पड़ा.

23 साल की युवा मेडिको का पिछले साल 16 दिसंबर को चलती बस में गैंग रेप कर उसे गंभीर हालत में सड़क पर फेंक दिया गया था. दो सप्ताह बाद इन चोटों के कारण उसकी मौत हो गई.

जून में 18 साल के हुए संदिग्ध की नाबालिग अदालत में सुनवाई हुई. उस पर बलात्कार, हत्या और अपहरण के आरोप लगाए गए.

किशोरों को इस तरह के अपराध के लिए अधिकतम तीन साल की सजा मिलती है जिस दौरान उसे सुधार गृह में रखा जाता है. सरकारी वकीलों ने उसे अपराध में समान रूप से भागीदार बताया है. अन्य चार की सुनवाई आपराधिक अदालत में की जा रही है. पांचवें अभियुक्त ने मार्च में जेल में फांसी लगा ली थी.

गैंगरेप के बाद कई सप्ताह तक दिल्ली में हिंसक प्रदर्शन हुए. संसद में इसके बाद बलात्कार के मामलों में कड़ी सजा देने वाले कानून बनाने का दबाव बना. पीड़िता के परिवार ने इस किशोर की सुनवाई वयस्क के तौर पर करने की अपील की. पीड़िता की मां ने उम्मीद जताई कि 25 को उन्हें न्याय मिल जाएगा.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार घर से भागे हुए आरोपी को बस की सफाई के लिए रखा गया था. अक्सर वह गाड़ी में ही सो जाता था.

किशोर ने बलात्कार में शामिल होने से इनकार किया है. हालांकि तीन साल की सजा भी भारत के लोगों में गुस्सा पैदा कर सकती है. इतना ही नहीं इस अपराध के संदिग्धों की जेल में कैदियों ने भी पिटाई कर दी थी. (68,000 रेप दर्ज, सजा सिर्फ 16,000)

दिल्ली गैंग रेप के बाद सरकार ने एक पैनल बनाई थी जिसे यौन अपराध कानूनों में बदलाव के लिए सलाह देनी थी. पैनल ने अपनी रिपोर्ट में जनवरी में कहा था कि भारत की न्याय व्यवस्था नाबालिगों को बालगृहों में जमा कर जेलों और सुधारगृहों में लगातार ज्यादा अपराधी पैदा कर रही है.

बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था हक के शाहबाज का कहना है कि इन बच्चों की देख रेख के लिए सही योजना नहीं है. वहीं महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली समाजसेवी रंजना कुमारी का कहना है कि यौन हिंसा के शिकार लोगों को न्याय दिलाने के लिए पुलिस और अदालतें बहुत धीमा काम कर रही हैं. "हमारे पास अच्छा कानून है और ऐसी महिलाओं की संख्या भी बढ़ी है जो इन अपराधों को दर्ज कराती हैं. तो क्या यह काफी नहीं है."

रंजना कुमारी का कहना है कि किशोर को इस अपराध में जो सजा मिलेगी बहुत ही मामूली होगी. उसकी सुनवाई एक वयस्क के तौर पर ही होनी चाहिए थी. "यह बहुत ही घिनौना अपराध है. उसने जब ये अपराध किया वह करीब करीब वयस्क ही था."

एएम/एमजे (एएफपी, डीपीए)

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