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सुभाष चंद्र बोस की फाइलें

ईशा भाटिया११ जनवरी २०१५

भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया है. सरकार ने फाइलों में मौजूद जानकारी को "संवेदनशील" बताया और कहा है कि इससे "भारत के अन्य देशों से संबंध खराब हो सकते हैं."

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तस्वीर: Public Domain

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार ने संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था. 1945 में नेताजी के लापता होने से संबंधित फाइलों को गोपनीय रखा गया है. परिवार ने उम्मीद की थी कि नई सरकार के आने से फैसले में बदलाव हो सकेगा. लेकिन गृह राज्यमंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी ने राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में ऐसा करने से मना कर दिया.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने सवाल किया था कि नेताजी की गुमशुदगी से जुड़ी कितनी फाइलें सरकार के पास मौजूद हैं और क्या सरकार इन्हें सार्वजनिक करने की मंशा रखती है. अपने जवाब में चौधरी ने लिखा कि प्रधानमंत्री कार्यालय के पास नेताजी से जुड़ी 60 "अति गोपनीय" फाइलें हैं. इनमें से दो को सार्वजनिक कर दिया गया है और राष्ट्रीय आर्काइव में भेज दिया गया है. इसके अलावा विदेश मंत्रालय के पास 29 फाइलें हैं, जिन्हें सरकार सार्वजनिक नहीं करना चाहती.

गृह राज्यमंत्री चौधरी ने 17 दिसंबर को राज्य सभा में पेश अपने जवाब में कहा, "विदेश मंत्रालय ने सूचित किया है कि इन फाइलों में मौजूद जानकारी संवेदनशील हैं और भारत के अन्य देशों के साथ संबंधों को देखते हुए इस वक्त इस जानकारी को सार्वजनिक क्षेत्र में लाना मुनासिब नहीं होगा."

Subhash Chandra Bose
तस्वीर: Public Domain

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की गुमशुदगी पर सरकार अब तक दो कमीशन बना चुकी है. सितंबर 1970 में बनी जस्टिस खोसला कमीशन ने 30 जून 1974 को अपनी रिपोर्ट पेश की, जबकि मई 1999 को बनी जस्टिस एमके मुखर्जी कमीशन ने नवंबर 2005 में रिपोर्ट पेश की थी. चौधरी ने बताया गृह मंत्रालय ने 1.10.2012 को दोनों कमीशनों से जुड़ी फाइलें नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया (एनएआई) के सुपूर्त कर दी थीं. उन्होंने कहा कि एनएआई ने जस्टिस मुखर्जी कमीशन की सभी फाइलों की लिस्ट भी तैयार की है, जो शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध है. इसके अलावा एनएआई के पास आजाद हिंद से जुड़ी अन्य चार फाइलें भी हैं.

सांसद रॉय ने 4 अगस्त 2014 को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर निवेदन किया था कि नेताजी की फाइलों को सार्वजनिक किया जाए, जैसे अन्य राष्ट्रीय नेताओं के मामले में किया गया है. चिट्ठी लिख उन्होंने राजनाथ सिंह को ओडिशा में दिए अपने एक भाषण को याद दिलाते हुए लिखा, "आपने कहा था कि यदि बीजेपी सत्ता में आती है, तो नेताजी के गायब होने के रहस्य को सुलझाने के लिए जरूरी कदम उठाएगी." इसके जवाब में सिंह ने कहा था कि वे मामले की जांच करा रहे हैं.