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गोवा की लड़की का गीत कनाडा के लोगों की प्रेरणा

११ नवम्बर २०१०

गोवा की लड़की के रचे गीत ने कनाडा के कैलगेरी राज्य के लोगों को उनके कर्तव्य की याद दिला दी है. चुनावों से बेखबर लाखों लोग वोट डालने घर से निकल पड़े, ये 'राइज अप कैलगरी' का जादू है.

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तस्वीर: AP

मेलिसा डिसूजा ने राइज अप कैलगरी को लिखने और गाने के साथ ही इसकी धुन भी बनाई है. एक स्थानीय वेबसाइट के मुताबिक मेलिसा के लिखे गीत ने स्थानीय म्युनिसिपल चुनावों से बेखबर लोगों को उनके अधिकार का अहसास दिलाया. नतीजा ये हुआ कि स्थानीय चुनावों के लिए रिकॉर्ड 53 फीसदी वोट डाले गए. पिछले बार के चुनाव में महज 33 फीसदी वोट पड़े थे. 2007 के आम चुनावों में भी केवल 32.9 फीसदी लोगों ने ही अपने अधिकार का इस्तेमाल किया.

मेलिसा ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "जब कैलगरी के मेयर ने मुझे शपथ ग्रहण समारोह में ये गाना गाने के लिए बुलाया तो मैं दंग रह गई." मेलिसा के पति अर्ल फर्नांडिस ने इस गाने को तैयार करवाया. अर्ल एक म्यूजिक प्रोड्यूसर हैं और लंबे समय से बॉलीवुड से जुड़े रहे हैं. मेलिसा ने बताया कि जब उन्हें वोटिंग के आंकड़ों का पता चला तो उन्होंने लोगों को जगाने के लिए एक गीत बनाने का फैसला किया. वो कहती हैं, "मैंने देखा कि लोग वोट डालने जाते ही नहीं. फिर मैंने सोचा कि ऐसा क्या करूं कि लोगों को वोट डालने के लिए उनमें उत्साह भर जाए. इसके बाद मैंने राइज अप कैलगरी पर काम करना शुरू किया. ये गाना कैलगरी के लोगों को ये समझाने के लिए तैयार किया कि वो जिस पर भरोसा करते हैं उसके लिए खड़े हों और वोट डालें."

Der Blick aus meinem Fenster: Calgary, Kanada (Foto: Doris Fischer)
तस्वीर: Doris Fischer

इस साल के चुनावों में ना सिर्फ पहली बार इतनी संख्या में लोग वोट डालने आए बल्कि पहली बार एक मुस्लिम मेयर का भी चुनाव हुआ.

मेलिसा का मानना है कि उनका गीत ना केवल कैलगरी के लोगों के लिए है बल्कि पूरी दुनिया के लिए है. मेलिसा ने कहा, "हम सब के भीतर बदलाव लाने की ताकत है. हमलोगों को सिर्फ खड़े होना है और अपनी क्षमता का इस्तेमाल करना है." मेलिसा के रचे गीत में बापू का एक संदेश भी है कि दुनिया में बदलाव लाना है तो शुरुआत खुद से करनी होगी.

भारतीय मूल की मेलिसा का जन्म और बचपन से जवानी तक का सफर कनाडा के ओन्टारियो में बीता. छह साल पहले उनका परिवार कैलगरी आया. पियानो और गाने की शौकीन मेलिसा के पिता भी संगीतकार रहे हैं. मेलिसा अपने शौक का श्रेय परिवार को देती हैं. मेलिसा को अपनी जड़ों से प्यार है और वो कोंकण की संस्कृति को अपने जीवन में समेटे रखना चाहती हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एन रंजन

संपादन: महेश झा

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