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'ग्राहकों' की रक्षा के लिए बंद हो रहा है अखबार

९ सितम्बर २०१६

तुर्की में सरकार ने इस्लाम प्रचारक गुलेन के नजदीक समझे जाने वाले अखबार जमान को सरकारी आदेश से बंद कर दिया गया है. अब जर्मनी में छपने वाला उसका संस्करण भी बंद हो रहा है, ग्राहकों को बचाने के नाम पर.

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Türkei Titelseite der Zeitung Zaman
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Altan

जर्मनी में छपने वाले जमान के संस्करण की प्रबंध समिति के सदस्य सुलेमान बेग ने कहा है कि अखबार के ग्राहकों को धमकियां मिल रही थीं. "हमारे नियमित ग्राहकों के पास लोग जा रहे थे, उन्हें धमकी मिल रही थी कि यदि वे अखबार खरीदना जारी रखते हैं को उन्हें मुश्किलों का सामना करना होगा." बेग का कहना है कि अखबार "न तो साथियों का और न ही ग्राहकों का नुकसान चाहता है, जो अभी भी वफादारी दिखा रहे हैं. विफल सैनिक विद्रोह के बाद तुर्की की सरकार ने बहुत से आलोचक पत्रकारों की निगरानी शुरू की है और दर्जनों को गिरफ्तार कर लिया है.

Fethullah Gulen
तस्वीर: Reuters/C. Mostoller

सरकार विरोधी अखबार जमान को तुर्की की सरकार द्वारा बंद किए जाने के बाद जर्मनी में छपने वाला संस्करण भी 30 नवंबर से बंद हो रहा है. तुर्की में विफल सैनिक विद्रोह के बाद और एर्दोआन विरोधियों पर कड़ी कार्रवाई की शुरुआत के बाद तुर्की भाषा में छपने वाले अखबार के ग्राहकों की संख्या में कमी आई है. 2010 में उसके 30,000 अंक बिकते थे जबकि मौजूदा बिक्री 10,000 अंकों की है. नियमित ग्राहकों में कमी के बाद प्रबंधन ने दिसंबर से अखबार के बर्लिन दफ्तर को बंद करने का फैसला किया है. यह स्पष्ट नहीं है कि ऑनलाइन संस्करण का प्रकाशन जारी रहेगा या नहीं.

जमान की शुरुआत इस्लाम प्रचारक फेतुल्लाह गुलेन के हिजमत आंदोलन से हुई. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोआन जुलाई में हुए सैनिक विद्रोह के लिए गुलेन को जिम्मेदार मानते हैं. दो हफ्ते पहले जमान का फ्रांसीसी संस्करण भी बंद कर दिया गया था. मध्य जुलाई में हुए सैनिक विद्रोह के बाद तुर्की में गुलेन के नजदीकी जमान सहित कई मीडियाघरों को अध्यादेश जारी कर बंद कर दिया था. इसके पहले उसे सरकारी नियंत्रण में ले लिया गया था और सरकारी नीति पर चलने को मजबूर किया गया था. जमान के पूर्व मुख्य संपादक सुलेमान बेग कहते हैं, "तुर्की के नए तथ्य जर्मनी तक जाते हैं." बर्लिन ब्यूरो के प्रमुख दुरसुन चेलिक का कहना है कि अखबार खरीदने वालों को धमकियां मिल रही हैं.

एमजे/आरपी (एएफपी, डीपीए)