ग्रीस की मदद के लिए जर्मन प्रस्ताव स्वीकृत
८ मई २०१०601 में से 390 सांसदों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, 72 उसके ख़िलाफ़ रहे और 139 तटस्थ. इस प्रस्ताव के बाद अब सरकारी बैंक केएफ़डब्लू ग्रीस के लिए 22.4 अरब यूरो मुहैया कराएगा. यूरो मुद्रा इस्तेमाल करने वाले देशों की ओर से अगले तीन सालों के दौरान कुल मिलाकर 80 अरब यूरो की व्यवस्था की जाएगी, अंतररष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से 30 अरब यूरो मिलेंगे.
पैकेज के समर्थन के लिए एसपीडी की शर्त थी कि बैंकों द्वारा पूंजी के हस्तांतरण पर अतिरिक्त कर लगाए जाएं. सरकार में शामिल मुख्य पार्टियों सीडीयू-सीएसयू इसके लिए तैयार थी, लेकिन मोर्चे के साझेदार एफ़डीपी के वीटो की वजह से यह संभव नहीं हुआ. एसपीडी के अध्यक्ष ज़िगमार गाब्रिएल ने कहा कि वे मदद के ख़िलफ़ नहीं हैं. लेकिन यहां वित्तीय संस्थान सरकारों को बंधक बना रहे हैं. जो यूरोप को शिकार बनाने पर तुले हैं, उनके ख़िलाफ़ क़दम उठाने थे. लेकिन ऐसा नहीं किया गया.चांसलर अंगेला मैर्केल ने एसपीडी के रुख़ पर अफ़सोस जताया. साथ ही उन्होंने बैंकों को भी उनकी लालच के लिए लताड़ा.
सबसे पहले बैंक नाकाम रहे, सरकारों को मदद करने के लिए मजबूर किया, कहा जा सकता है कि विश्व अर्थनीति को एक गहरी खाई के किनारे तक ले गए. फिर हमें आर्थिक पैकेज तैयार करने पड़े. इनकी वजह से हमे कर्ज़ लेने पड़े. अब हमारे सिर पर कर्ज़ है, और इन सरकारी कर्ज़ों को लेकर अब सट्टेबाज़ी की जा रही है. यह सरासर बेइमानी है.- अंगेला मैर्केल
कोई विकल्प नहीं
मदद के पैकेज का बचाव करते हुए वित्त मंत्री वोल्फ़गांग शॉएबले ने कहा कि यह एक मुश्किल फ़ैसला है, लेकिन इसका कोई विकल्प नहीं था. अगर ग्रीस दीवालिया हो जाता, तो इसके भयानक नतीजे होते. जर्मनी के हित में भी इसे टालना था. उनकी राय में असली सवाल संयुक्त यूरोपीय मुद्रा को बचाने का था.
ग्रीन पार्टी भी बैंकों पर अतिरिक्त करों की मांग कर रही थी, लेकिन संसद में उन्होंने आर्थिक पैकेज का समर्थन किया. इसकी व्याख्या करते हुए ग्रीन संसदीय दल की नेता रेनाटे क्युनास्ट ने कहा कि वे यूरोप के लिए मतदान कर रहे हैं. सवाल यहां यूरो ग्रुप के ख़िलाफ़ हमले को रोकने का था.
सिर्फ़ वामपंथी पार्टी ने प्रस्ताव के ख़िलाफ मतदान किया. पार्टी की नेता गेज़िने ल्योच ने चांसलर मैर्केल पर आरोप लगाते हुए कहा कि सट्टेबाज़ उन्हें अंगुलियों पर नचा रहे हैं. साथ ही उनकी पार्टी इसके ख़िलाफ़ है कि बचत के नाम पर ग्रीस की जनता पर कहर ढाए जाएं.
रिपोर्टः उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादनः ए जमाल