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ग्रीस जनमत संग्रह पर नोबेल विजेता विभाजित

मिषाएल क्निगे१ जुलाई २०१५

ग्रीस में जनमत संग्रह में वोट के मुद्दे पर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री भी विभाजित हैं. जोसेफ श्टिगलित्स और क्रिस्टोफर पिसारिडेस ने पहले कर्ज में राहत की साझा अपील की थी, लेकिन अब दोनों की राय अलग है.

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तस्वीर: Reuters/M. Djurica

गहराते कर्ज संकट के बीच ग्रीस में रविवार को होने वाले जनमत संग्रह में नोबेल विजेताओं ने अलग अलग रुख अपनाया है. पिछले तीन दिनों में नोबेल विजेताओं ने मीडिया में ग्रेफरेंडम (ग्रीक रेफरेंडम) पर अपने विचार व्यक्त किए हैं. जोसेफ श्टिगलित्स ने दैनिक गार्डियन के लिए अपने लेख में जनमत संग्रह कराने के समय की आर्थिक परिस्थियों का जिक्र किया है ताकि वे दोनों विकल्पों की जांच पड़ताल कर सकें. उन्होंने लिखा है, "ग्रीस की जनता को 5 जुलाई को वोट के लिए कोई सलाह देना मुश्किल है. कर्जदाताओं की तिकड़ी की शर्तों को स्वीकार करने या ठुकराने के दोनों ही विकल्प आसान नहीं है और दोनों में भारी जोखिम हैं."

USA Joseph E. Stiglitz Professor Columbia University
तस्वीर: World Economic Forum/Benedikt von Loebell

लेकिन श्टिगलित्स का कहना है कि हां का मतलब कभी न खत्म होने वाला डिप्रेशन होगा. हो सकता है कि इससे ग्रीस को कर्ज में राहत और अगले दशकों में वर्ल्ड बैंक से सहायता मिल जाए, नागरिकों को उसकी भारी कीमत चुकानी होगी. नतीजा जर्जर देश होगा जिसने अपनी सारी संपत्ति बेच दी और जिसके होशियार युवा लोग देश छोड़ कर चले गए.

श्टिगलित्स का कहना है कि नहीं वोट करना ग्रीस के लिए कम से कम यह संभावना खोलेगा कि अपनी मजबूत लोकतांत्रिक परंपरा के साथ वह अपना भविष्य अपने हाथों में ले सकता है. उनका कहना है कि हो सकता है कि ग्रीस का भविष्य अतीत जैसा खुशहाल न हो लेकिन उसे वर्तमान की अनुचित यातना के ऊपर प्राथमिकता दी जानी चाहिए. लेख के अंत में श्टिगलित्स ने लिखा है, "मैं जानता हूं कि मैं कैसे वोट करूंगा." और वे कोई शक नहीं छोड़ते कि वे क्या कहना चाहते हैं.

Christopher Pissarides Nobelpreisträger Wirtschaft
तस्वीर: picture-alliance/Sun Xinming/Imaginechina

इसके विपरीत क्रिस्टोफर पिसारिडेस ने एकदम उल्टा रुख अपनाया है. उन्होंने श्टिगलित्स के साथ मिलकर एक खुले पत्र में ग्रीस को कर्ज में राहत देने की मांग की थी. अब डॉयचे वेले के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने ग्रीक जनता से कर्जदाताओं की शर्तों का समर्थन करने की अपील की है. नोबेल पुरस्कार विजेता पिसारिडेस कहते हैं, "मैं हां में वोट करूंगा और मैं जिसे भी प्रोत्साहित कर सकूंगा उसे हां में वोट करने के लिए कहूंगा क्योंकि नहीं का वोट पूरी तरह बंद गली होगा जिसका मतलब ग्रीस का यूरोजोन से बाहर निकलना होगा."

पिसारिडेस की दलील है कि नो वोट के साथ उन्हें समझ में नहीं आता कि ग्रीस यूरोजोन में कैसे रहेगा और किस तरह यूरोपीय केंद्रीय बैंक से अर्थव्यवस्था को पटरी पर रखने के लिए रकम पाएगा. "ग्रीस और पीछे की ओर जाएगा, और पीछे की ओर मंदी में चला जाएगा." उन्होंने सीरिजा के नेतृत्व वाली ग्रीस सरकार की आर्थिक मामलों की हैंडलिंग पर भी गहरी निराशा जताई और कहा, "यह आर्थिक कुप्रबंधन की लंबी कहानी है."