छाया से कला
२५ सितम्बर २०१४शैडो आर्ट यानि छाया की दुनिया. पहली नजर में यह एक पेड़ लगता है, लेकिन फिर डांस में डूबी के एक महिला सामने आती है. इस कलाकारी के पीछे हैं टिओडोसियो सेक्टियो ऑरेया. ग्रीस के 36 साल के ऑरेया पेशेवर वेल्डर हैं. इस हुनर को अब वह कला में ढाल रहे हैं. पहली नजर में उनका काम उलझा सा लगे, लेकिन लाइट पड़ते ही, मुग्ध करने वाली कला नजर आती है. ऑरेया खुद को शैडो आर्ट पर न्योछावर कर चुके हैं, "छाया हर कही हैं, लेकिन इस पर बहुत कम ध्यान जाता है. मैं इसे महसूस करता हूं, मैं हर कहीं दिलचस्प छाया देखता हूं. फिर आप वे चीजें देखते हैं जो छाया में छुपी होती हैं. यह सिक्के के दो पहलुओं जैसा है. दुनिया की छाया पूरी तरह असली दुनिया से अलग है, यह असीमित है और यही इसकी खूबसूरती है."
हर कला की शुरुआत कागज और पेंसिल से होती है. पहले वह छाया की आकृति बनाते हैं. फिर उसे दीवार पर लगा देते हैं. इसके बाद वह टुकड़ों टुकड़ों के सहारे एक आकार तैयार करते हैं, लैम्प की हल्की रोशनी डालने पर कला उभर आती है, "सबसे पहले मैं प्रोफाइल देखता हूं. इसकी शुरुआत छाया के विचार से होती है. तब मैं सोचता हूं कि मुझे इसे बनाने के लिए किन हिस्सों की जरूरत है. मुझे धातु के साथ काम करना पसंद है क्योंकि यह खत्म न होने वाला है. कुछ अनूठा बनाना, जो हमेशा रहे, यही मेरा मकसद है."
पाब्लो पिकासो को श्रद्धाजंलि
मेटल के टुकड़ों से ऐसा आकार बनाना वाकई कला का जबरदस्त नमूना है. उन्होंने मार्डन पेटिंग के मशहूर पेंटर पाब्लो पिकासो की 1937 में बनाई गई 3डी पेंटिग की शैडो आर्ट तैयार की है. रोशनी पड़ते ही, स्पेन के गृह युद्ध का मंजर फिर से जी उठता है. यह गैरनीका पेटिंग काली, सफेद और भूरी है, रोशनी और छाया की मदद से ऑरेया का मॉडल इसे हूबहू रिफ्लेक्ट करता है, "यह पाब्लो पिकासो को मेरी श्रद्धाजंलि है. मुझे अपनी हाथ की कारीगरी के कारण बड़े कलाकार पसंद हैं."
शुरू में उनके ढांचे कम्पाउंड कैमिस्ट्री के मॉडल की तरह दिखते हैं. उन्हें बनाने में धातु की सैकड़ों छोटी छोटी बॉलों का सहारा लिया जाता है. दा विंची, माइकलएंजेलो, पिकासो और डाली के काम से ऑरेया बहुत ज्यादा प्रभावित हैं. ग्रीस के इस कलाकार का काम कई हजार यूरो में बिकता है. फिलहाल वे यूनानी मिथकों के पात्रों की मूर्ती बनाने का काम कर रहे हैं. उनका शहर एथेंस इसकी प्रेरणा देता है. ऐतिहासिक शहर के बारे में वह कहते हैं, "शोर, खूबसूरत महिलाएं और भव्य इमारतें मुझे प्रेरणा देते हैं. मैं कुछ सकारात्मक खोजने की कोशिश करता हूं."
सिर्फ डेढ़ साल पहले अपने शौक को कला में बदलने वाला यह कलाकार, आज एक कामयाब आर्टिस्ट बन चुके हैं, वह छाया से कला में जान फूंक रहे हैं.
रिपोर्ट: मिरीयम डागान/ओएसजे
संपादन: ईशा भाटिया