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ग्रीस में बैंकों के बाहर लगी कतारें

२० जुलाई २०१५

आर्थिक संकट से जूझ रहे ग्रीस में बैंक फिर से खुले तो हैं, लेकिन धन निकालने की सीमाएं बनी हुई हैं. सिप्रास सरकार पर दबाव है. बुधवार को संसद में एक बार फिर राहत पैकेज पर बहस होगी.

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Bank in Athen
तस्वीर: Reuters/Y. Kourtoglou

ग्रीक राजधानी एथेंस में सोमवार सुबह से ही बैंकों के बाहर लंबी कतारें देखने को मिलीं. इन कतारों में अधिकतर बुजुर्ग लोग शामिल थे, जो पेंशन लेने के लिए बैंक पहुंचे थे. 62 वर्षीय मारिया पापादोपूलू ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "पिछले हफ्तों के मुकाबले हालात बेहतर हैं. भगवान का शुक्र है कि दोबारा दिरहम नहीं आ गया. मैं आज अपने बिल और टैक्स भरने आई हूं. पिछले हफ्ते मैं ये सब कर नहीं पाई और हम बुजुर्ग लोगों के लिए यह बहुत मुश्किल है."

बैंकों से पैसा निकालने की सीमा बढ़ाई नहीं गयी है लेकिन इसमें थोड़ा सा बदलाव कर हर दिन 60 यूरो की जगह हफ्ते में कुल 420 यूरो कर दिया है. लोगों की सुविधा को देखते हुए ऐसा किया गया है. ग्रीस के नागरिकों की शिकायत थी कि हर रोज पैसा निकालने की मजबूरी के कारण ज्यादा दिक्कतें आ रही थीं. ग्रीक बैंक एसोसिएशन के अध्यक्ष लूका कात्सेली ने बताया, "हम एक नए काल में प्रवेश कर रहे हैं और हम सब उम्मीद करते हैं कि यह सामान्य स्थिति वाला होगा."

ग्रीस के लोग बैंकों में चेक जमा करा सकेंगे लेकिन नकद राशि नहीं. वे बिल जमा करा सकते हैं और सेफ्टी डिपॉजिट से भी पैसा निकाल सकते हैं. पीरेयस बैंक के एक उच्च अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से इस बारे में कहा, "कतारों की वजह यह भी हो सकती है कि लोग अपने सेफ्टी डिपॉजिट से पैसे निकालना चाहते हैं. मुझे नहीं लगता कि बैंक के कामकाज में कोई बड़ी दिक्कत आनी चाहिए. हमारा और हमारे प्रतिस्पर्धियों का नेटवर्क ग्राहकों की सेवा के लिए तैयार है."

अब और बहस नहीं: मैर्केल

पैसा निकालने की सीमा का पालन करने के अलावा ग्रीस के लोग विदेश में पैसा ट्रांसफर भी नहीं कर सकते. जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल का कहना है कि "यह सामान्य जीवन नहीं है." नए राहत पैकेज की शर्तों को ले कर मैर्केल ने कड़ा रुख अपना रखा है. रविवार को सरकारी चैनल एआरडी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रीस पर अब वे और बहस नहीं चाहती हैं. उन्होंने कहा, "ग्रेक्जिट भी एक विकल्प था, जो हमारे सामने था लेकिन हमने दूसरे रास्ते पर चलने का फैसला लिया और अब हमें इसे लागू करना है."

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जर्मन संसद में ग्रीस पर चर्चा के दौरान चांसलर मैर्केलतस्वीर: Getty Images/AFP/T. Schwarz

पिछले हफ्ते जर्मनी के वित्त मंत्री वोल्फगांग शॉएब्ले ने पांच साल के लिए ग्रीस को यूरोजोन से बाहर किए जाने का प्रस्ताव दिया था. इसके बाद मैर्केल की सीडीयू पार्टी और गठबंधन सरकार में इस पर अलग अलग मत देखने को मिले. अंदरूनी कलह के चलते इस्तीफों का भी लगातार जिक्र हुआ. मैर्केल ने इंटरव्यू के दौरान इस पर कहा, "ना ही मेरे पास कोई आया और ना ही किसी ने मुझसे इस्तीफे की कोई बात की. मैं अब इस पर और कोई बहस नहीं चाहती हूं. किसी को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है." इसके अलावा मैर्केल ने ग्रीस को 30 से 40 फीसदी ऋण माफ कर देने के विकल्प को भी खारिज करते हुए कहा कि "हेयरकट की कोई गुंजाइश नहीं है" लेकिन राहत को ले कर कुछ दूसरे कदम उठाने के बारे में सोचा जा सकता है.

सिप्रास का इम्तहान

इस बीच प्रधानमंत्री सिप्रास पर दबाव बढ़ रहा है. बुधवार को एक बार फिर संसद में राहत पैकेज की शर्तों को लागू करने वाले विधेयक पर वोट डलना है. स्थानीय अखबार अवगी ने लिखा है कि यदि सिप्रास को इस बार किसी भी रूप में और नुकसान झेलना पड़ता है, तो ऐसे में वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. हालांकि पिछली बार हुए वोट से ठीक पहले सिप्रास ने किसी भी हालत में इस्तीफा ना देने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि "प्रधानमंत्री का काम लड़ना और फैसले लेना है, भाग जाना नहीं."

इस बीच सिप्रास की मां का कहना है कि उनके बेटे के पास इन दिनों ना खाने का वक्त है और ना सोने का. साप्ताहिक पत्रिका पारापोलिटिका से बात करते हुए उन्होंने कहा, "उसके पास और कोई चारा भी नहीं है. लोगों को उसमें विश्वास है और उसे उनका ऋण चुकाना है." 73 वर्षीय अरिस्टी सिप्रास ने कहा कि उनके बेटे के पास परिवार के लिए भी समय नहीं बचा है, "वह हवाई अड्डे से सीधे संसद चला जाता है. उसके पास अपने बच्चों के लिए वक्त नहीं है." सिप्रास की सरकार के करीब तीस नेता उनके खिलाफ खड़े हैं. ऐसे में बुधवार उनके लिए एक नया इम्तहान होगा.

आईबी/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)