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घाटी में पुलिस के खून से बची महिला की जान

२४ सितम्बर २०१०

हिंसा और विरोध प्रदर्शनों से सुलगते कश्मीर में एक पुलिसवाले ने अपना खून देकर महिला की जान बचाई. कर्फ्यू के कारण बीमार महिला के ब्लड ग्रुप का खून ढूंढना मुश्किल था और ऐसे में उसकी जान पर बन आई थी.

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फाइल फोटोतस्वीर: AP

सोपोर के चोपान में रहने वाली हजीरा की जिंदगी का दीया बुझने ही वाला था कि मोहम्मद अलीम नाम का एक कांस्टेबल किसी फरिश्ते की तरह वहां पहुंच गया. हजीरा का ब्लड ग्रुप दुर्लभ है. ऊपर से कर्फ्यू का आलम. ऐसे में तय समय के भीतर खून ढूंढ पाना नामुमकिन था. इत्तेफाक से मोहम्द अलीम की पोस्टिंग उसी बारामूला के जिला अस्पताल के बाहर ही थी जिसमें हजीरा को भर्ती किया गया.

हजीरा की हालत बिगड़ने के बाद उसे अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने तुरंत खून चढ़ाने की जरूरत बताई. ब्लड बैंक में ढूंढने पर पता चला कि उस ग्रुप का खून मौजूद ही नहीं है. कर्फ्यू के कारण बाहर से भी खून ढूंढ कर लाना मुमकिन नहीं था. किसी तरह यह खबर मोहम्मद अलीम तक पहुंच गई और फिर उसने बताया कि उसका खून भी उसी ग्रुप का है और वह खून देने को तैयार है. डॉक्टरों ने अलीम के जिस्म से दो यूनिट खून निकाल कर महिला को चढ़ाया जिसके कारण उसकी जान बच सकी.

अलीम ने हजीरा की जान की सलामती के लिए दुआ भी मांगी. अब पूरे राज्य में उसकी तारीफ हो रही है. पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हलीम को सम्मानित करने का भी एलान किया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए कुमार

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