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पाकिस्तान में रिश्वतखोरी के बाद एसएमएस

४ फ़रवरी २०१३

जिन्हें लगता है कि सिर्फ भारत में ही भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी है, उन्हें एक नजर पड़ोसी पाकिस्तान पर डालनी चाहिए. वहां ओसामा बिन लादेन को भी घर बनाने के लिए सरकारी अफसरों को रिश्वत देनी पड़ी. अब पाकिस्तान बदलना चाहता है.

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तस्वीर: AP

भारत की ही तरह पाकिस्तान के आम लोगों को भी छोटे से छोटे काम के लिए अफसरों की हथेली गर्म करनी पड़ती है. अगर सड़क हादसा हुआ, तो पुलिस शिकायत के लिए रिश्वत, अदालत से कागजात निकालने के लिए रिश्वत और यहां तक कि अस्पताल में रिश्तेदारों की तीमारदारी के लिए पैसे.

पाकिस्तान के सबसे ज्यादा आबादी वाले पंजाब प्रांत में सरकार ने रिश्वतखोरी पर लगाम के लिए नया तरीका निकाला है. एसएमएस और फोन कॉल से लोगों को बताना है कि उन्होंने कहां रिश्वत दी है और फिर दागी अफसरों पर कार्रवाई की जा सकती है. इस प्रोजेक्ट में लगे सरकारी अफसर नबील आवां का कहना है, "अब सरकारी अफसरों को इस बात का डर रहेगा कि उन पर निगाह रखी जा रही है. उन्हें लोगों के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है. हो सकता है कि इससे भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म न हो लेकिन कम होगा और खराब प्रशासन भी दुरुस्त होगी."

दुनिया भर में बदनाम

पाकिस्तान के भ्रष्टाचार निरोधी इकाई ने हाल ही में आंकड़े दिए हैं कि इसकी वजह से देश को हर साल अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है. आम लोग आए दिन कहते रहते हैं कि भ्रष्टाचार ही सबसे बड़ी समस्या है और यह दिन बढ़ती जा रही है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल पाकिस्तान दुनिया का 33वां सबसे ज्यादा भ्रष्ट देश बन गया है. यह सूची 176 देशों की है.

Karachi Armut karitative Organisationen
आधी आबादी पढ़ी लिखी नहीं और घूसखोरी के जाल में फंस रही हैतस्वीर: DW

देश में इसी साल चुनाव होने हैं और इससे पहले राजनीतिक पार्टियां इस तरह के हथकंडे अपना कर लोगों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर सकती हैं. इन चुनावों पर अमेरिका सहित पूरी दुनिया की नजर है. पूर्व क्रिकेटर इमरान खान इस बार के चुनाव में बड़े खिलाड़ी बन कर उभर सकते हैं, जिन्होंने भ्रष्टाचार को अपना खास मुद्दा बनाया है. लेकिन उनके सामने दो दिग्गज सत्ताधारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग हैं.

इमरान खान का गढ़ भी पंजाब में है, जहां लोग उन्हें काफी पसंद कर रहे हैं. इस वक्त पंजाब में नवाज शरीफ की पार्टी सत्ता में है और उन्हें लगता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चला कर वे लोगों के वोट पा सकते हैं. यह कार्यक्रम पाकिस्तान सूचना तकनीक बोर्ड चला रहा है, जिसे लोग एसएमएस और फोन कॉल करके रिश्वतखोरी के बारे में बताते हैं. जायदाद, स्वास्थ्य और इमरजेंसी सेवाओं पर खास नजर रखी जा रही है.

निचले स्तर पर

ज्यादातर मामले पटवारियों से जुड़े होते हैं, जो निचले स्तर के अधिकारी हैं और रिश्वतखोरी के लिए बदनाम हैं. मुलतान में एक शख्स ने एमएमएस भेजा कि नई जायदाद के रजिस्ट्रेशन के लिए उसे 15000 रुपये (करीब 9000 भारतीय रुपये) रिश्वत देनी पड़ी. इसी तरह शेखपुरा जिले के एक व्यक्ति ने बताया कि किस तरह उसे पटवारी को 1000 रुपये देने पड़े. सरकारी अधिकारियों ने कार्रवाई का भरोसा दिया है.

Ehemaliges Versteck von Osama bin Laden in Abbotabad Pakistan
ओबामा बिन लादेन के इस घर की जमीन के लिए भी रिश्वत देनी पड़ी थीतस्वीर: picture-alliance/dpa

ओसामा बिन लादेन ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास एबटाबाद में जो घर बनवाया था, उसके लिए उसके कुरियर ने पटवारी को करीब 25000 रुपये की घूस दी थी ताकि वह जमीन खरीद सके. पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों ने इस बात का खुलासा किया है.

मुलतान शहर के एक व्यक्ति का कहना है कि पुलिस केस दर्ज करने के लिए 30000 रुपये मांग रही है, जबकि एक महिला ने एमएमएस किया कि वह अस्पताल में अपने बीमार रिश्तेदारों से मिलना चाहती है और अस्पताल के अधिकारी घूस मांग रहे हैं. पंजाब के अधिकारियों ने समाचार एजेंसी एपी को ये एमएमएस दिखाए हैं लेकिन किसी का नाम बताने की इजाजत नहीं दी है.

बदलाव की उम्मीद

इस शुरुआत से भले ही पाकिस्तान के उच्च स्तरीय सरकारी भ्रष्टाचार पर भले ही ज्यादा नकेल न लग सके, लेकिन बदलाव की उम्मीद तो की ही जा सकती है. भारत में भी हाल के दिनों में एक वेबसाइट आईपेडएब्राइब डॉट कॉम की शुरुआत (मैंने रिश्वत दी) की शुरुआत हुई है, जिस पर काफी लोग अपनी बात कह रहे हैं.

Pakistan Zeitungsstand in Hyderabad
अखबारों में भी पाकिस्तान के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले आते रहते हैंतस्वीर: picture-alliance/dpa

पाकिस्तान में शिकायत मिलने के बाद लोगों के फोन नंबर एक डाटा बेस में जमा किए जाते हैं और उन्हें बाद में संपर्क किया जाता है. लोगों को एमएमएस भी भेजे जाते हैं लेकिन देश की आधी आबादी निरक्षर है और वे ये संदेश नहीं पढ़ पाते हैं. इस कार्यक्रम के तहत करीब 10 लाख लोगों को संपर्क किया गया है.

लॉस एंजेलिस में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के राजनीति शास्त्र प्रोफेसर माइकल कॉलेन का कहना है कि निचले स्तर पर भ्रष्टाचार के मामले ज्यादा दिखते हैं क्योंकि लोग इस बारे में सरकारी अफसरों को सच बताने से कतराते हैं. उनका कहना है कि इस तरह के कार्यक्रम से भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की संभावना ज्यादा होगी.

पंजाब प्रांत की सरकार ने इस मामले में मिल रही शिकायतों पर काम करना शुरू कर दिया है. हालांकि सभी इस कार्यक्रम से बहुत खुश नहीं है. कुछ लोगों का कहना है कि इससे बेकसूर लोगों को भी फंसाया जा सकता है, वहीं दूसरों का कहना है कि यह तो सिर्फ राजनीतिक ड्रामा है.

लाहौर के उच्च अधिकारी नूरुल अमीन मंगल लाख टके की बात कहते हैं कि अगर रिश्वतखोरी रुक जाए, तो फिर सारा काम काज ही ठप हो जाएगा, "मैं एक प्रैक्टिकल आदमी हूं. अगर किसी अधिकारी को लगता है कि वह फंस सकता है, तो वह इस काम को टाल देगा."

एजेए/एएम (एपी)