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चंद मिनटों में सिगरेट का धुआं हवा से गायब

२७ नवम्बर २०१०

परमाणु और अणु के स्तर पर पदार्थों के विवेचन का विज्ञान है नैनो टेक्नोलॉजी. वैज्ञानिक इस तकनीक की मदद से एक रोगन तैयार करने में लगे हैं, जो चंद मिनटों में वातावरण को धुएं, वाइरस और बैक्टीरिया से मुक्त कर देगा.

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तस्वीर: Fotolia/Anyka

चेक गणराज्य में प्राग के निकट हायरोव्स्की संस्थान में यह परियोजना चल रही है, जिसे यूरोपीय संघ की ओर से भी वित्तीय मदद मिल रही है. यहां हमारी मुलाकात होती है संस्थान के अध्यक्ष जिरी राटहौस्की के साथ. वह बताते हैं, "मिसाल के तौर पर हम शीशे का पट्टी को टाइटैनियम डाई ऑक्साइड की एक पतली परत से रंगते हैं. टाइटैनियम ऑक्साइड एक बहुत अच्छा फोटो कैटलिस्ट है, और उसकी मदद से पूरी पट्टी फोटो कैटलिस्ट के तौर पर काम करने लगती है. इसके जरिये प्रकाश के माध्यम से एअर कंडीशंड कमरों में हवा साफ की जा सकती है."

Nanospritze der ETH Zürich
तस्वीर: ETH Zürich

फोटो कैटलिस्ट ऐसे पदार्थ हैं, जिनकी मदद से प्रकाश मिलने पर रासायनिक प्रक्रिया तेज हो जाती है. इस सिलसिले में जिरी राटहौस्की को मदद मिल रही है यान प्रोखाज़का से, जो अडवांस्ड मटिरियल नामक उद्यम के मालिक हैं. उनके उद्यम में टाइटेनियम डाई ऑक्साइड से एक कैटलिटिक या उत्प्रेरक पेंट बनाया जाता है, जो बैक्टीरिया से लेकर सिगरेट के धुएं तक को साफ कर सकता है. यान प्रोखाज़का कहते हैं, "अगर हर घन मीटर क्षेत्र में एक सिगरेट का धुआं हो, उसे भी यह तेजी से दूर कर देता है. एक घंटे के अंदर हवा स्वच्छ हो जाती है."

यानी 20 वर्ग मीटर के एक कमरे में सिगरेट के धुएं, दूसरे प्रकार के प्रदूषण और उसी के साथ बदबू को दूर करने में लगभग 20 मिनट लग जाते हैं. यान प्रोखाज़का बताते हैं, "हां. हमारा दावा है कि 24 घंटे में सबकुछ साफ हो जाता है, लेकिन यह कहीं जल्दी होता है. अपने दावे के बारे में हम पूरी तरह से कायल होना चाहते थे."

फोटो कैटलिटिक पेंट की तकनीक काफी नई है. अमेरिका के लॉरेंस बर्कले नेशनल लैबोरेटरी द्वारा सन 2008 में किए गए एक अध्ययन से पता चला था कि इसके जरिये बंद कमरे में फॉर्मलडेहाइड की मात्रा बढ़ जाती है. यान प्रोखाज़का का उद्यम इसे बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है. उसके उत्पाद इस बीच स्पेन, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में भेजे जा रहे हैं. कई अन्य देशों में इसके उत्पादन के लिए लाइसेंस के निर्यात पर बातचीत चल रही है.

चेक गणराज्य में विज्ञान की इस शाखा में काफी काम हो रहा है. प्राग में एक नैनोसेंटर खोला गया है. देश के समाचार साधनों में कहा जा रहा है कि चेक गणराज्य इस तकनीक में एक वर्ल्ड पावर बन चुका है. शायद बात वहां तक न पहुंची हो, लेकिन यह देश तेजी के साथ इस दिशा में आगे बढ़ रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/उभ

संपादनः वी कुमार

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