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चांद पर बनेगी 3डी बस्ती

२३ जनवरी २०१४

आधुनिक साइंस की सबसे बड़ी क्रांतियों में 3डी प्रिंटिंग भी शामिल है. ऐसी तकनीक, जो 24 घंटे में घर बना सकती है, सिर्फ एक प्रिंट ही तो निकालना है. और अब इस तकनीक की मदद से चांद पर बस्ती बनाने की योजना है.

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एम्सटर्डम में 3 डी प्रिंटिंग तकनीक से बनता घरतस्वीर: Carl Nasman

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की योजना है कि विशालकाय रोबोट यह काम कर सकते हैं और इसके लिए मनुष्यों को वहां जाने की जरूरत भी नहीं. योजना है कि चांद की मिट्टी से वहां घरों का निर्माण किया जाए और यह काम चांद के दक्षिणी ध्रुव के आस पास हो, जो सूर्य के सबसे नजदीक है.

चांद की मिट्टी को उस तापमान तक गर्म करने की योजना है, जब वह लगभग पिघल रही होगी. ठीक उस वक्त उसमें शामिल नैनो पार्टिकल एक दूसरे से चिपक जाएंगे और उस सांचे में ढल जाएंगे, जिसमें इन्हें गलाया जा रहा होगा. दिलचस्प बात यह कि इसके लिए आम रसोई में इस्तेमाल होने वाले माइक्रोवेव मशीन जैसे ही तापमान यानि 1,200 से 1,500 डिग्री की ही जरूरत होगी.

अनोखी तकनीक

चांद की मिट्टी में शामिल इस्पात के छोटे कण जिस वक्त इन भट्ठियों में गल रहे होंगे, खुद सूरज की रोशनी उन भट्ठियों को सौर ऊर्जा प्रदान कर रहे होंगे. यह किसी कल्पना लोक जैसी कहानी लगती है जो आने वाले कुछ सालों में सच्चाई बन जाए और चांद पर 3डी बस्ती बन जाए. इसके लिए विशाल मकड़ीनुमा रोबोटों के इस्तेमाल की योजना है. इस रोबोट में दर्जनों 3डी कैमरे लगे होंगे, जिसकी मदद से इसे सही निर्देश दिया जा सके.

Häuser 3D Druck Amsterdam
3 डी प्रिंटरों से बन सकती हैं बड़ी बड़ी चीजेंतस्वीर: Enrico Dini, 2013

अगर जरा आगे की सोचें, तो अगर ऐसी बस्तियां बन जाएं, तो चांद पर जाना आसान होगा. रिसर्च करने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए इस बात की आसानी होगी कि अगर उन्हें धूल भरी आंधी का सामना करना पड़े, तो वे इन घरों में टिक सकते हैं. अपने उपकरण यहां हिफाजत के साथ रख सकते हैं. दरअसल चांद पर उड़ने वाली धूल बहुत खतरनाक समझी जाती है. पूर्व अंतरिक्ष यात्री हरीसन श्मिट का कहना है कि "धूल ही चांद के पर्यावरण की सबसे बड़ी चुनौती है, यहां तक कि रेडियेशन से भी बड़ी."

नासा इस काम के लिए चांद पर एक ठिकाना बनाने की योजना तैयार कर रहा है. वैसे 3डी प्रिंटिंग अचानक से बड़े उद्योग में बदलता जा रहा है. जर्मनी की राजधानी बर्लिन में ऐसी कंपनियां हैं, जो लोगों के 3डी पुतले तैयार करती हैं. ऐसी ही एक कंपनी ट्विनकिंड चलाने वाले टीमो शेडेल सिर्फ पांच घंटे में बारीक हूबहू पुतला तैयार कर सकते हैं, "हम चाहते हैं कि इस तकनीक को इतना विकसित कर लें कि हर छोटी से छोटी बारीकी को इसमें उतारा जा सके और मिनिएचर में जान फूंकी जा सके." टीमो शेडेल उम्मीद करते हैं कि आने वाले कुछ सालों में यह बाजार में इतना आम होगा कि हर शख्स अपने परिवार की मूर्ती बनवा रहा होगा."

रिपोर्ट: ए जमाल

संपादन: ईशा भाटिया

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