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चिदंबरम पर मेरी राय से मिलती है पार्टी की रायः दिग्विजय

१८ जुलाई २०१०

माओवाद के मुद्दे पर खुले आम गृह मंत्री पी चिदंबरम की आलोचना करने वाले कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह के लेख से पार्टी ने भले ही खुद को अलग कर लिया है लेकिन दिग्विजय कहते हैं कि उनके विचारों में पार्टी की नीति झलकती है.

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चिदंबरम पर दिग्विजय के हमले जारी हैंतस्वीर: picture-alliance/dpa

एनडीटीवी के साथ बातचीत में दिग्विजय सिंह ने कहा, "मैंने जो लिखा, उस पर कायम हूं और यह पार्टी की नीतियों के मुताबिक है." उन्होंने चिदंबरम को "बौद्धिक अहंकारी" भी कहा था. दिग्विजय सिंह कहते हैं, "मुझे इसका अफसोस नहीं है. इसे आप एक दोस्त के बारे में की गई टिप्पणी कह सकते हैं. मैंने यह बात कही थी और फिर माफी भी मांग ली और चिदंबरम से कहा कि वह बुरा न मानें. चिदंबरम हमेशा मुझे यूपीए में विपक्ष का नेता कहते हैं. हम अच्छे दोस्त रहे हैं और आगे भी रहेंगे."

दिग्विजय सिंह ने कहा कि वन अधिनियम, खनन अधिनियम, जमीन अधिग्रहण अधिनियम में बदलावों और अनुसूचित इलाकों में बल पूर्व पंचायत के विस्तार जैसे मुद्दों पर बात करते हुए चिदंबरम को कई बातें स्वीकर करनी चाहिए. कांग्रेस नेता ने कहा कि जब उन्होंने इस बारे में गृह मंत्री से बात की तो चिदंबरम ने कहा, "मैं इस मामले को नहीं निपटा सकता हूं. आपको प्रधानमंत्री से बात करनी चाहिए."

14 अप्रैल को इकनॉमिक टाइम्स अखबार में छपे लेख में दिग्विजय ने चिदंबरम की माओवाद विरोधी रणनीति की जमकर आलोचना की. उन्होंने इस बारे में चिदंबरम की सोच को सिर्फ चंद लोगों पर केंद्रित बताया. दिग्विजय सिंह के मुताबिक गृह मंत्री सिर्फ इसे कानून और व्यवस्था का मामला मान रहे हैं.

यह लेख छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 75 जवानों और राज्य पुलिस के एक कांस्टेबल की मौत के आठ दिन बाद छपा था. इसके बाद कांग्रेस प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने यह कहा कि दिग्विजय सिंह को यह बात पार्टी के भीतर उठानी चाहिए थी. इसके जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा कि वह पार्टी के भीतर सही मंच पर इस बात को पहले ही उठा चुके हैं. दिग्विजय सिंह के मुताबिक पार्टी हाई कमान के सामने इस विषय को उठाने का असर भी हो रहा है और सरकारी नीति में बदलाव दिखने लगा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः वी कुमार