1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

चीन को अमेरिकी रक्षा जानकारी बेचने वाले भारतीय को उम्र कैद

१० अगस्त २०१०

अमेरिका में एक भारतीय मूल के नागरिक को चीन के हाथों रक्षा मामलों से जुड़ी जानकारियां बेचने के लिए उम्र कैद को सज़ा सुनाई गई है. नौशीर एस गोवाड़िया को क्रूज मिसाइल की तकनीक और कुछ गोपनीय जानकारियां बेचने का दोषी माना गया.

https://p.dw.com/p/Oga4
तस्वीर: AP

नौशीर एस गोवाड़िया लड़ाकू बमवर्षक विमान बी-52 के पूर्व इंजीनियर हैं. गोवाड़िया को संघीय अदालत की ज्यूरी ने सज़ा सुनाई है. अमेरिकी में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल डेविड क्रिस ने बताया कि,"गोवाड़िया ने देश के हथियारों से जुड़े कुछ अति संवेदनशील डिजाइन पैसे की खातिर चीन को सौंप दिए. गोवाड़िया को इस करतूत के लिए कोर्ट ने दोषी करार दिया है." 66 साल के गोवाड़िया को अब उम्रकैद की सज़ा झेलनी होगी. कोर्ट ने नौशीर को पांच अपराधों का दोषी माना है. इसमें पहला है चीन को ऐसे क्रूज मिसाइल का डिजाइन देना जिससे कि चीन की मिसाइलें इन्फ्रारेड मिसाइलों के जरिए पकड़ी ना जा सकें. इसके अलावा उसे तीन बार गैरकानूनी रूप से सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारियों को चीन तक पहुंचाने और 2001 से 2002 के बीच गलत टैक्स रिटर्न भरने का दोषी माना गया है.

डेविड क्रिस ने कहा कि," इस सज़ा से उन लोगों को सबक मिलेगा जो अपने फायदे के लिए देश की सुरक्षा से जुड़ी जानकारियों का सौदा करते हैं." गोवाड़िया को पहली बार 2005 में पहली बार गिरफ्तार किया गया. तब उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी किसी ऐसे शख्स को देने का आरोप लगा जो इसका हकदार नहीं था. इसके बाद उनपर 2006 और 2007 में भी इसी तरह के आरोप लगे.

Noshir S. Gowadia
तस्वीर: AP

अभियोजन पक्ष के पास मौजूद सबूतों से पता चला है कि जुलाई 2003 से जुलाई 2005 के बीच गोवाडिया ने 6 बार चीन की यात्रा की और चीन को क्रूज मिसाइल तैयार करने में मदद की. गोवाड़िया को चीन की तरफ से कम से कम 11 लाख डॉलर की रकम दी गई.

गोवाड़िया 1968 से 1986 के बीच नॉर्थरोप ग्रैमन कॉर्पोरेशन में इंजीनियर थे. इस दौरान उन्होंने बी-2 स्पिरिट बॉम्बर के लिए एक अनोखे प्रोपल्सन सिस्टम बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. ये विमान स्टील्थ बॉम्बर के नाम से विख्यात है. इसके बाद भी वो 1997 तक अमेरिकी सरकार के साथ एक ठेकेदार के रूप में जुड़े रहे और उन्हें गोपनीय जानकारियां मिलती रहीं. 1997 में उनका सुरक्षा पास खत्म कर दिया गया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन

संपादनः आभा एम