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चीन को मिला ड्रोन का 'सबसे बड़ा ऑर्डर'

२८ फ़रवरी २०१७

अमेरिका द्वारा रक्षा बजट बढ़ाये जाने की खबरों के बीच चीन की सरकारी समाचार एजेंसी का कहना है कि चीन को सैन्य ड्रोन का सबसे बड़ा विदेशी ऑर्डर मिला है. हालांकि ऑर्डर देने वाले का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है.

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Wing Loong II
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS.com/Z. Dingzhe

शिन्हुआ की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के हथियार उद्योग को इस ऑर्डर से बहुत बल मिलेगा, जो अपना निर्यात बढ़ाना चाहता है. रिपोर्ट के मुताबिक विंग लूंग दो ड्रोन के लिए यह ऑर्डर दिया गया है. हालांकि रिपोर्ट में न तो यह बताया गया है कि ऑर्डर किसने दिया और न ही यह जानकारी दी गई है कि इसके तहत कितने ड्रोन बेचे जाएंगे.

विंग लूंग दो ड्रोन के पंख 20 मीटर लंबे होते हैं और यह मध्यम ऊंचाई तक उड़ता है. यह टोह लेने के साथ साथ हमले करने की क्षमता भी रखता है. सोमवार को ही इस ड्रोन ने पश्चिमी चीन के रनवे से अपनी पहली 31 मिनट की सफल उड़ान भरी.

चीफ डिजाइनर ली ईतोंग कहते हैं, "अमेरिका के बाद चीन भी ऐसा देश बन गया है जो इस तरह की नई पीढ़ी के बड़े, टोह लेने वाले और हमले करने में सक्षम मानवरहित हवाई वाहन तैयार कर सकता है."

चीन सैन्य ड्रोन विकसित करने के क्षेत्र में जोर शोर से जुटा हुआ है. वह चाहता है कि अपनी सस्ती टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ड्रोन के बाजार में हिस्सेदारी हासिल करे जहां अभी अमेरिका और इस्राएल का दबदबा है. चीन की कोशिश ऐसे देशों को आपूर्ति करना है जिन्हें पश्चिमी देश ड्रोन नहीं बेचना चाहते.

China Peking Wing Loong
सैनिक परेड में विंग लूंगतस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Wong

चीनी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार विंग लूंग दो से पहले आए चीनी ड्रोन की कीमत सिर्फ 10 लाख डॉलर थी. वहीं लगभग इन्हीं क्षमताओं वाले अमेरिका में तैयार एमक्यू-9 रीपर ड्रोन की कीमत लगभग तीन करोड़ डॉलर है.

चीन को अपने यहां तैयार सैन्य लड़ाकू विमान अन्य देशों को बेचने में ज्यादा कामयाबी नहीं मिली है. लेकिन उसे उम्मीद है कि ड्रोन के मामले में वह बेहतर कर पाएगा. चीनी ड्रोन के खरीददारों में नाइजीरिया, पाकिस्तान और मिस्र शामिल हैं. चीन ने नवंबर 2016 में अपना अत्याधुनिक जे-20 लड़ाकू विमान बाजोर में पेश किया था.

चीन की बढ़ती सैन्य ताकत से क्षेत्र में उसके कई पड़ोसी चिंतित हैं. इससे जहां साउथा चाइना सी में चीन का दावा मजबूत हो रहा है, वहीं ताइवान के साथ भी तनाव बढ़ा है. चीन ताइवान को अपना ही अलग हुआ क्षेत्र बताता है जबकि ताइवान दशकों से एक स्वतंत्र देश की तरह रह रहा है.

एके/एमजे (रॉयटर्स)