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चीन भूकंप-मृतकों की संख्या हज़ार के पार

१७ अप्रैल २०१०

चीन में आए विनाशकारी भूकंप के बाद मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है. शुक्रवार को अधिकारियों ने कहा कि एक हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. मातम के माहौल के बीच मलबे से अब कई जीवित लोग भी निकाले जा रहे हैं.

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भूकंप के बाद युशु एयरपोर्ट पर रह रहे लोगतस्वीर: AP

दो रात खुले आसमान के नीचे कड़कड़ाती ठंड में गुज़ारने के बाद चीन के उत्तर पश्चिम में लोगों को अब राहत के आसार नज़र आ रहे हैं. धीरे धीरे इस पहाड़ी इलाके में खाने पीने की चीज़ें, टेंट, पानी, दवाइयां और मलबा हटाने के लिए भारी मशीनरी पहुंच रही है. शुक्रवार दोपहर 41 हज़ार टेंट, करीब डेढ़ लाख कोट, और एक लाख 80 हज़ार के आसपास रज़ाइयां इस इलाके में पहुंची. डेढ़ सौ टन से ज़्यादा खाने का सामान भी जल्द ही पहुंचने की उम्मीद है.

चीनी राष्ट्रपति हू चिंथाओ ने कहा कि इस आपदा से सब मिल कर ही जूझ सकते हैं. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने के मुताबिक मरने वालों की संख्या 1,144 हो गई है जबकि 400 से ज़्यादा लोग अब भी लापता हैं. युशु में शवों का तांता लगा हुआ है. शनिवार को सामूहिक अंतिम संस्कार किया जाएगा. चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने कहा, "हम इस आपदा से निपट सकते हैं और यह साबित कर सकते हैं कि आपदाओं से जूझने में राष्ट्रीय एकता ज़रूरी है."

Erdbeben in China
बचाव कार्य के लिए एंबुलेंसतस्वीर: AP

तिब्बती इलाके में मिट्टी और लकड़ी से बने घर पूरी तरह ढह गए हैं. भूकंप ने कई परिवारों को लील लिया है. सरकारी मीडिया ने जानकारी दी है कि करीब 103 छात्र और 12 शिक्षक भी इस भूकंप में मारे गए हैं. इसी के साथ चीन में स्कूलों की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़ा हुआ है. हालांकि इस युशु प्रांत में देखा गया कि नई इमारतें पुराने भवनों की तुलना में मज़बूत रही. उन्हें भूकंप से नुकसान हुआ लेकिन गिरी नहीं.

बुधवार के दिन जब भूकंप आया उस समय जो बच्चे क्लास की तरफ़ जा रहे थे वे तो तुरंत बाहर निकल सके लेकिन जो क्लास में बैठे हुए थे वे सारे मलबे के नीचे दब गए. युशु में एक अनाथालाय के सभी 168 बच्चे बचा लिए गए क्योंकि भूकंप के समय या तो वे नई इमारत में नाश्ता कर रहे थे या फिर बाहर थे.

बौद्ध महन्त राहत और बचाव कार्य में पूरी मदद कर रहे हैं. कई इलाकें हैं जहां बड़ी मशीने नहीं पहुंच सकी हैं तो लोग हाथों से कुदाल फावडे से मलबा हटा कर लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादन ओ सिंह