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चीन से पीछे छूट रहा है यूरोप

२६ जनवरी २०१३

दक्षिण अमेरिका में चीन की बढ़ती आर्थिक गतिविधियों से यूरोप असहज होने लगा है. संसाधनों की खोज में चीन पूरे महाद्वीप में पैठ बना रहा है. उसकी कंपनियां धीरे धीरे अमेरिका के नीचे फैल रही हैं.

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तस्वीर: Reuters

यूरोपीय संघ के नेता चिली में जारी वार्षिक ईयू-लैटिन अमेरिका सम्मेलन में दोनों पक्षों के बीच संबंध सुधारने की पुरजोर वकालत कर रहे हैं. अब तक यूरोप को दक्षिण अमेरिका के बाजार का फायदा मिलता रहा है लेकिन अब चीन इस हिस्सेदारी को तेजी से अपनी तरफ मोड़ रहा है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल इस बात पर जोर दे रही है कि उन्हें लैटिन अमेरिका के देशों के साथ संबंध और गहरे करने चाहिए.

जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के सह निदेशक गुंथर माइहोल्ड कहते हैं, "लैटिन अमेरिका के अहम देशों का चीन और प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ गजब का व्यापार है. यूरोप के लिए अपनी जगह बनाना जरूरी है. उनसे सिर्फ मुक्त व्यापार के अलावा भी बहुत कुछ की उम्मीद की जा रही है."

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बढ़ता बाजारतस्वीर: AFP/GettyImages

तेज रफ्तार पर चीन

10 साल पहले लैटिन अमेरिका में एशिया की उपस्थिति न के बराबर थी. एक दशक पहले लैटिन अमेरिका की सड़कों पर चीन और दक्षिण कोरिया की कारों की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. उस वक्त चीन में चाइनीज ट्रेनों और सड़कों की भी उम्मीद नहीं की जा सकती थी. लेकिन आज स्थिति एकदम उलट है. चीनी कंपनी जेएसी मोटर्स और सीएन ऑटो और दक्षिण कोरियाई कार कंपनियां वहां शो रूम खोल रही हैं. उनकी सस्ती कारें फोक्सवैगन, ऑडी और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियों के लिए मुश्किल खड़ी कर रही हैं.

लैटिन अमेरिका में निवेश करने वाली जर्मन कंपनियों के संघ के ब्राजील बोर्ड के प्रमुख रफाएल हाईडाड कहते हैं, "चीनी कंपनियां कभी कभार बहुत आकर्षक वित्तीय विकल्पों के साथ आती है, ऐसे में हम उसका मुकाबला नहीं कर सकते." चीनी कंपनियां तेजी से लैटिन अमेरिका की कंपनियों को खरीद भी रही हैं.

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गुंथर माइहोल्डतस्वीर: DW-TV

पिछड़ता जर्मनी

यूनएन कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (यूएनसीटीएडी) के मुताबिक 2001 में लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई द्वीपों में चीन ने 62.10 करोड़ डॉलर का निवेश किया था. 2010 में चीन का सीधा निवेश बढ़कर 44 अरब डॉलर हो गया. इन 10 सालों में जर्मनी का सीधा निवेश 41 अरब से बढ़कर 50 अरब डॉलर तक पहुंचा.

लैटिन अमेरिका में जर्मन उद्योगों के समन्वयक ओलिवर पार्शे नहीं मानते कि एशिया की बढ़ती मौजूदगी से यूरोप को बहुत ज्यादा दिक्कत होगी. वह कहते हैं, "हम एशियाई देशों को नहीं पकड़ सकते. लेकिन आने वाले सालों में हम अपनी स्थिति को सुधार सकते हैं." वह जोर देते हैं कि जर्मन कंपनियों को लैटिन अमेरिका में छोटे और मध्यम उद्योगों के साथ मिलकर काम करना चाहिए. गुंथर माइहोल्ड कहते हैं कि यूरोप को लैटिन अमेरिका के अलावा दूसरे बाजार भी तलाशने होंगे.

लैटिन अमेरिकी देशों में ब्राजील और मेक्सिको भी तेजी से तरक्की कर रहे हैं. इनकी कंपनियां भी अपने ही महाद्वीप पर प्रभाव बढ़ाना चाहती है.

यूरोपीय संघ के कारोबारियों को लगता है कि यूरोप से बाहर नए बाजार तलाश कर वे आर्थिक संकट से अच्छे ढंग से बाहर आ सकेंगे. गुंथर माइहोल्ड कहते हैं, "कम अकड़ के साथ नई शुरुआत करनी होगी." 26 और 27 जनवरी के वार्षिक सम्मेलन को इसी राह का पहला पड़ाव बताया जा रहा है.

रिपोर्ट: आस्ट्रिड प्रांगे दे ओलिवेरा/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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