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चुनावी साल में मैर्केल की चुनौतियां

३ जनवरी २०१३

नए साल के शुरू होते ही जर्मनी चुनावी मुद्रा में आ गया है. चांसलर अंगेला मैर्केल के लिए घरेलू मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत होगी लेकिन यूरो संकट, वित्तीय बाजारों का संकट और अरब संकट जैसे मुद्दे बने रहेंगे.

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तस्वीर: dapd

संसदीय चुनाव अक्टूबर में होंगे. यूरो संकट इस साल भी जर्मन नेताओं की सहनशीलता, जेब और समय की परीक्षा लेता रहेगा. यूरोजोन के 17 सदस्यों में से पांच को मदद की जरूरत है और जर्मनी कर्ज और गारंटी देने वाला सबसे बड़ा देश है. चांसलर मैर्केल ने दिसंबर में अपने वीडियो संदेश में कहा है, "हम सब इस यूरो जोन में साथ हैं और यह मेरे काम को परिभाषित करता है. यूरोप के लिए काम का मतलब है जर्मनी के लिए भी काम." इस साल यह बयान सचमुच सच्चा साबित होगा जब कर्ज संकट का सीधा असर जर्मन बजट पर हो सकता है. मदद की मांग और तेज हो सकती है और यदि जर्मन मतदाता यूरो को बचाने की उनकी कारीगरी पर भरोसा खो देते हैं तो चांसलर के रूप में तीसरा कार्यकाल खतरे में पड़ सकता है.

लेकिन चुनाव से नौ महीने पहले चांसलर के लिए माहौल अच्छा दिख रहा है. जनमत सर्वे के अनुसार भले ही उनके गठजोड़ को बहुमत न हो, लेकिन उनके जूनियर सहयोगी फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी के पतन को अभी रोका जा सकता है. मैर्केल के सामने और कोई चारा भी नहीं है. उनकी सीडीयू पार्टी देश की सबसे मजबूत राजनीतिक ताकत है. लोग एसपीडी और ग्रीन पार्टी के गठबंधन को बहुमत देने को तैयार नहीं दिखते और चूंकि वे पूर्व कम्युनिस्टों की पार्टी डी लिंके के साथ सरकार बनाना नहीं चाहते, ऐसा नहीं लगता कि मैर्केल की सीडीयू के बिना कोई सरकार बनेगी.

गठबंधन के विकल्प

ऐसे में सीडीयू और एसपीडी का गठबंधन भी एक संभावना है. राजनीतिक प्रेक्षक कभी असंभव समझे जाने वाले सीडीयू और ग्रीन गठबंधन की संभावना पर भी विचार कर रहे हैं, हालांकि हैम्बर्ग में दोनों पार्टियों का पहला गठबंधन दो साल पहले विफल हो गया था. एक और अंजाना विकल्प नई पाइरेट पार्टी है. पिछले महीनों में कई प्रांतीय विधान सभाओं में जीतने वाली पाइरेट पार्टी के राष्ट्रीय संसद में पहुंचने की संभावना इस समय नहीं दिख रही है.

जनवरी में लोवर सेक्सनी में होने वाले प्रांतीय चुनाव पहला टेस्ट होंगे. एफडीपी पर पर्याप्त वोट न पाने के कारण विधान सभा से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है. यदि ऐसा होता है तो यह बर्लिन की गठबंधन के लिए गलत संकेत होगा. यह पार्टी प्रमुख और उप चांसलर फिलिप रोएसलर के लिए भी बुरी खबर होगी.

चुनाव अभियान यूरो संकट पर विवाद पर नहीं रुकेगा. सरकार की योजना चुनाव होने तक जर्मन बजट पर बैंकों को यूरोपीय बैंक की सीधी मदद या ग्रीस के लिए एक और कर्ज जैसे किसी भी खतरे को टालने की है.

Deutschland Wahlen Symbolbild Wahlurne Stimmzettel und Flagge
तस्वीर: picture-alliance/dpa

नई ऊर्जा नीति

आने वाले दिनों में वित्तीय और कर्ज संकट को रोकना सरकार की चुनौती होगी. वित्तीय बाजार पर नियंत्रण वित्तमंत्री वोल्फगांग शौएब्ले की प्राथमिकता है. इसमें खस्ताहाल बैंकों में पूंजी का नियमन और पूंजी का अनुपात बढ़ाकर बैंकं के कारोबार की सुरक्षा शामिल है ताकि करदाताओं को उनके बचाव में न आना पड़े.

जर्मनी ने आने वाले सालों में परमाणु ऊर्जा से किनारा करने और परमाणु बिजली घरों को बंद करने का फैसला लिया है. नई ऊर्जा नीति देश के लिए खर्चीला सौदा साबित हो सकता है. बिजली की कीमतें बढ़ रही है और जल्द ही 4 लोगों वाले परिवारों को हर साल 125 यूरो का अतिरिक्त बोझ उठाना होगा. इसका इस्तेमाल समुद्र तट पर पवन चक्कियां लगाने और पवन बिजली के ट्रांसपोर्ट के लिए पावर लाइन बिछाने पर होगा.

जर्मनी ने अपनी उच्च विकसित अर्थव्यवस्था के साथ परमाणु बिजली से नाता तोड़ने का ऐतिहासिक कदम उठाया है. लेकिन सवाल है कि क्या यह परीक्षण सफल होगा. कैपिटल बिजनेस पत्रिका के एक सर्वे के अनुसार देश के चोटी के मैनेजरों को इसमें संदेह है.

विदेश नीति की चुनौतियां

मिस्र के राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी 2013 में बर्लिन के दौरे पर आएंगे. वहां इस्लामी कट्टरपंथियों और धर्मनिरपेक्ष ताकतों के बीच गहन संघर्ष हो रहा है. यूरोपीय देशों ने अरब वसंत का समर्थन किया था और उससे अलग नतीजे की उम्मीद की थी. जर्मन सरकार वहां के विकास से संतुष्ट नहीं है लेकिन अरब दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के साथ संवाद बनाए रखना चाहती है.

यही बात ट्यूनीशिया पर भी लागू होती है, जहां जून में होने वाले संसदीय चुनावों से पहले इस्लामी कट्टरपंथी और उदारवादी ताकतें सत्ता के लिए संघर्ष कर रही हैं. सीरिया भी जर्मन कूटनीति के लिए समस्या बना रहेगा. इस साल जर्मनी नाटो सहयोगी तुर्की को सीरियाई हमलों से बचाने के लिए दो पैट्रियट मिसाइल और 400 सैनिकों को वहां तैनात करेगा. अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी से पहले 2013 में जर्मनी के 7000 सैनिक विदेशों में तैनात रहेंगे.

Deutschland Euro euroähnliche Münze mit der Abbildung Angela Merkels
तस्वीर: picture-alliance/John Greve

उग्र दक्षिणपंथी खतरा

उग्र दक्षिणपंथ इस साल भी जर्मनी में सुर्खियां पैदा करता रहेगा. जर्मन संसद के उपरी सदन बुंडेसराट ने उग्र दक्षिणपंथी पार्टी एनपीडी पर रोक लगाने की पहल की है. इस पर जर्मन संवैधानिक अदालत के फैसले की इस साल संभावना नहीं है, लेकिन उग्र दक्षिणपंथी गिरोह एनएसयू की एकमात्र जीवित सदस्य बेआटे शैपे के खिलाफ कुछ महीने बाद म्यूनिख की एक अदालत में मुकदमा शुरू होगा. उस पर दस लोगों की हत्या में शामिल होने का आरोप है.

इसके अलावा इस्लामी आतंकवाद का खतरा भी जर्मनी के ऊपर मंडराता रहेगा. हालांकि पिछले सालों में जर्मनी में कोई जानलेवा हमला नहीं हुआ है, लेकिन अमेरिका पर 2001 में आतंकी हमला करने वाले कई लोग जर्मनी में रहते थे.

रिपोर्ट: बैर्न्ड ग्रेसलर/एमजे

संपादन: ईशा भाटिया

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