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चुनाव आयोग और गूगल का करार टूटा

९ जनवरी २०१४

भारतीय चुनाव आयोग ने सुरक्षा का हवाला देते हुए गूगल के साथ समझौता रद्द कर दिया है. समझौते के तहत मतदाता इंटरनेट में अपने पंजीकरण को लेकर जानकारी हासिल कर सकते थे.

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तस्वीर: Sajjad Hussain/AFP/Getty Images

अमेरिकी कंपनी गूगल ने कुछ दिनों पहले चुनाव आयोग के सामने प्रस्ताव रखा था जिसके तहत लोकसभा चुनावों से पहले मतदाता चुनाव आयोग की वेबसाइट में अपने पंजीकरण से संबंधित सारी जानकारी हासिल कर सकते थे. इस फैसले को लेकर कई सवाल उठे और अब मुख्य निर्वाचन आयुक्त वीएस संपत ने चुनाव आयुक्तों एचएस ब्रह्मा और एसएनए जैदी के साथ मिल कर तय किया है कि आयोग इस प्रस्ताव के साथ आगे नहीं बढ़ेगा.

निर्वाचन आयोग के मुताबिक गूगल ने एक योजना पेश की, जिसमें मतदाता निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर खुद से संबंधित जानकारी ढूंढ सकते हैं. इससे पहले आयोग ने गूगल के साथ गोपनीयता के सिलसिले में एक करार किया था. निर्वाचन आयोग का कहना है कि अब तक गूगल को किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी गई है.

कांग्रेस और बीजेपी के अलावा इंटरनेट विशेषज्ञों ने भी निर्वाचन आयोग के फैसले पर चिंता जताई और कहा कि इससे पहले और साझेदारों से मशविरा करना जरूरी था. कांग्रेस के कानूनी सेल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को इस सिलसिले में लिखा और उम्मीद जताई कि इस करार से देश की सुरक्षा पर असर नहीं पड़ेगा. बीजेपी ने भी अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस मुद्दे को लेकर सर्वदलीय सम्मेलन में बहस करने की जरूरत थी.

इंटरनेट सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी निर्वाचन आयोग से पूछा है कि देश की संवेदनशील जानकारी को किसी विदेशी कंपनी के हाथ कैसे दिया जा सकता है. हाल ही में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडन ने खुलासा किया कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी एनएसए विश्व भर में फोन और इंटरनेट पर निगरानी रखता है. आरोप लगते रहे हैं कि गूगल और एप्पल जैसी अमेरिकी कंपनियां भी एनएसए के साथ मिली हुई हैं.

Symbolbild Kampf gegen Kinderpornographie
कई देशों ने बनाए हैं साइबर सुरक्षा के लिये विशेष संस्थानतस्वीर: picture alliance/ANP

एमजी/एजेए (पीटीआई)

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