1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

चुनौतीपूर्ण काम चाहते हैं परेश रावल

३० मई २०१०

परेश रावल ने यूं तो अलग अलग तरह के किरदार निभाए हैं, पर आजकल बॉलीवुड़ में उनकी कॉमेडी ही मशहूर है. किसी खास किरदार की तमन्ना न रखने वाले परेश रावल हमेशा अपने लिए चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं चाहते हैं. डॉयचे वेले से खास बातचीत.

https://p.dw.com/p/NdE6
एक्टिंग बहुत मुश्किल काम हैः परेश रावलतस्वीर: AP

गुजराती थिएटर से नाता रखने वाले परेश रावल ने फिल्मों में शुरुआत 1984 में की. 1980 और 1990 के दशक में वह ज्यादातर नकारात्मक किरदारों में ही दिखे लेकिन 2000 में निर्देशक प्रियदर्शन की फिल्म 'हेराफेरी' ने उनके करियर को एक नया मोड़ दिया. इसके लिए उन्हें बेहतरीन हास्य अभिनेता का फिल्म फेयर पुस्कार मिला. इससे बाद हचलच, हंगामा, आवारा पागल दीवाना, मालामाल वीकली, भागमभाग, गरम मसाला और फिर हेराफेरी जैसी बहुत सी फिल्मों में वह सिने प्रेमियों को गुदगुदाते रहे हैं.

हालांकि कई लोग कहते हैं कि अब उन्हें एक जैसे ही किरदार मिल रहे हैं. ऐसे में किसी भूमिका को अलग बनाने के लिए क्या वह कुछ खास करते हैं, इस पर परेश रावल कहते हैं, "देखिए जब कोई लिखा हुआ किरदार हमारे सामने आता है तो उसमें लेखक का योगदान तो होता ही है. कुछ सुझाव निर्देशक के भी होते हैं. लेकिन बाद में तो उसे साकार एक्टर को ही करना होता है. हर एक्टर में कुछ अपनापन होता है, इसीलिए उसे किसी किरदार के लिए चुना जाता है. अगर एक्टर किरदार में वह अपनापन नहीं लाएगा तो उसे किरदार के लिए चुनने का कोई मतलब नहीं बनता."

Bollywood actor Akshay Kumar
अक्षय के साथ खूब जमी है परेश रावल की केमिस्ट्रीतस्वीर: AP

कुछ भी हो, बहुत सी फिल्में परेश रावल की कॉमेडी के दम पर ही कामयाब रही हैं. कितना मुश्किल है लोगों को हंसाना, परेश रावल कहते हैं, "देखिए एक्टिंग अपने आप में बहुत मुश्किल काम है. एक्टिंग का मतलब ही होता है रिएक्टिंग. तो आपको साथ में मिलजुल कर ही करना पड़ता है. आपके साथी कलाकार अच्छे हैं तो वह और निखर कर आती है. अब वह कॉमेडी हो, ट्रेजडी हो या फिर निगेटिव किरदार. जहां तक बात कॉमेडी की है तो वह तब मुश्किल हो जाती है जब उसे अच्छी तरह लिखा न गया हो और आपके साथ अच्छे कलाकार नहीं हैं. तब कोई भी कॉमेडी काम नहीं कर सकती."

परेश रावल 'तमन्ना' में जहां किन्नर के रूप में दिखे तो 'सरदार' में उन्होंने सरदार पटेल की भूमिका को पूरी गंभीरता से पर्दे पर उतारा. लेकिन ऐसे किरदार उनके पास कम क्यों आते हैं. परेश रावल कहते हैं, "नहीं, ऐसी बात नहीं है. मेरे पास वाकई अलग अलग किस्म के रोल आते हैं. जैसे 'ओए लकी, लकी ओए' फिल्म में ही मैंने तीन किरदार निभाए हैं. फिर 'मुंबई मेरी जान', इसके बाद 'रोड टू संगम'. लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो कामयाब नहीं होती हैं. जैसे 'रोड टू संगम', इसे हर जगह अवॉर्ड मिला है लेकिन रिलीज नहीं हो पा रही है. तो इसका मैं क्या कर सकता हूं. लेकिन लोग जानते हैं कि यह बंदा अलग अलग किस्म के रोल सकता है. इसीलिए वे मेरे पास आते हैं. तो मेरे पास कॉमेडी के साथ साथ दूसरे रोल भी आते हैं. आप देखेंगे प्रियदर्शन साब की नई फिल्म आ रही है 'आक्रोश'. यह बहुत ही दमदार फिल्म है."

Naseeruddin Shah, Indischer Schauspieler, Biennale 2006
नसीर हैं परेश रावल के आर्दशतस्वीर: DW

परेश रावल नसीरुद्दीन शाह को अपना आर्दश मानते हैं. वह कहते हैं, "वही मेरे रॉल मॉडल हैं. उनके जैसा एक्टर हिंदुस्तान में नहीं है." क्या किसी खास रोल की तमन्ना है, परेश रावल कहते हैं, "मेरा ऐसा कोई मनपंसद रोल नहीं है जो मैंने नहीं किया हो. मुझे बस चुनौतीपूर्ण काम मिलता रहे. अच्छी तरह लिखे हुए किरदार मिलें. ऐसे किरदार जिसे करते हुए मुझे शुरू में डर महसूस हो. लेकिन वह डर साथ ही साथ मुझे प्रेरित भी करे."

अंबालिका मिश्रा (संपादनः ए कुमार)