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कुत्तों का रेस्तरां

२१ जून २०१४

सिर्फ पेट भरने का ही नहीं, अच्छे खाने पर भी सभी का हक है, चाहे वह आपका पालतू कुत्ता ही क्यों ना हो. चेक गणराज्य में केवल कुत्तों के लिए एक खास रेस्तरां खुला है जहां खाने का ऑर्डर भी कुत्ते ही दे रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

'पेस्टोरेस' रेस्तरां लोगों के पालतू कुत्तों की पसंद का खाना दस्तरखान पर सजा कर पेश करता है. चेक भाषा में 'पेस' का मतलब है कुत्ता और 'रेस्टोरेस' का अर्थ है रेस्तरां. इन्हीं दो शब्दों को मिलाकर बना है इस खास रेस्तरां का नाम. दुनिया भर में पालतू कुत्तों के लिए खुल रहे रेस्तरांओं की फेहरिस्त में यह सबसे नया है. अमेरिका के 'डॉगी हैपी आवर' और जर्मनी में कुत्ते और बिल्लियों के लिए खुले 'ब्रिक एंड मोर्टार' रेस्तरां के अलावा भारत में भी कुत्तों के खाने की डेलिवरी करने वाली एक डीलक्स सर्विस शुरू हो चुकी है.

सूंघकर ऑर्डर

आमतौर पर 'पेस्टोरेस' में नजारा कुछ ऐसा होता है कि वेटर वह खास मेनू लेकर आता है जिसपर रेस्तरां में मिलने वाले सभी तरह के व्यंजनों का सैंपल लगा होता है. खाने के लिए आए मेहमान यानि कुत्ते सूंघ कर ही अपना ऑर्डर देते हैं. वेटर को समझना होता है कि अगर कोई कुत्ता खरगोश के मीट वाले सैंपल को सूंघ कर चाटने लगता है या फिर तेजी से पूंछ हिलाता है तो इसका मतलब यह है कि उसे वही खाने का मन है.

इसके बाद मनपसंद खाने को लाकर एक कम ऊंचाई वाली मेज पर पानी के एक कटोरे के साथ परोसा जाता है. रेस्तरां दो तंबुओं से मिलकर बना है जिनपर बाहर से जानवरों का खाना बेचने वाली स्पेनी कंपनी डिबाक का निशान बना हुआ है. यह रेस्तरां उसी कंपनी की चेक गणराज्य में खुली शाखा का है. अंदर काली मेजों, हरे रंग के कंबल और मुलायम कुशन वाली बैठने की जगह बनी है. मुख्य मेहमानों के साथ आने वाले लोगों के बैठने के लिए भी कुछ सीटें लगाई गई हैं.

प्रचार अभियान

इसी साल खुले इस रेस्तरां के प्रचार के लिए जुलाई के महीने में एक अभियान चलाया जा रहा है जिसमें सड़कों के रास्ते पूरे देश में जगह जगह जाने का कार्यक्रम है. पूर्व कम्युनिस्ट देश में आज कुत्तों के खाने का बाजार बहुत बड़ा हो गया है. सन् 1989 से पहले इसके जैसी बहुत सी गैर जरूरी मानी जाने वाली चीजें बाजार में मिलती ही नहीं थीं. कुत्तों को घर के बचे खुचे खाने से ही गुजारा करना होता था. पिछले पच्चीस सालों में मुक्त बाजार व्यवस्था अपनाने के साथ ही चेक गणराज्य में इन उत्पादों का बाजार खूब फला फूला है.

कातेरीना दूब्रावोवा अपने पालतू कुत्ते एश्ले के साथ पेस्टोरेस आई हुई हैं, उनका कहना है, "यह एक बहुत अच्छा आइडिया है कि कुत्ते भी बाहर खाने आ सकते हैं. पहले जब ऐश्ले हमारे साथ रेस्तरांओं में जाती थी तो वहां बैठ कर इंतजार करती थी. अब हम आपस में भूमिका बदल लेंगे." वहीं कुछ लोग इस रेस्तरां के आइडिया को ज्यादा गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. एक बेल्जियन शेपर्ड कुत्ते की मालकिन मार्टिना मिकोवा कहती हैं, "मुझे लगता है कि यह सब केवल दिखावा है. मुझे लगता है कि कुत्ता घर पर ज्यादा चैन से खाना खा सकता है और बाद में आराम भी कर सकता है."

आरआर/एमजे(एएफपी)