चैंपियंस लीग में म्यूनिख ने बासेल को हराया
२९ सितम्बर २०१०खेल खत्म होने से कोई एक मिनट पहले श्वाइनी ने बेहतरीन किक ली. उन्हें बासेल का गोलपोस्ट खाली दिख गया था, जिसे उन्होंने गेंद से भर दिया. मैच बायर्न म्यूनिक के हक में 2-1 से गया.
अपने ग्राउंड पर खेल रहे ग्रुप ई के मैच में बासेल के पास 18 साल के तेज तर्रार खारदान शाकिरी भी थे. टीम के अलेक्जेंडर फ्राई ने एक गोल दाग कर बासेल को आगे भी कर दिया और वहां मौजूद दर्शक खुशी से झूम उठे. लेकिन 56वें मिनट में उनकी खुशी काफूर हो गई, जब जर्मनी के राष्ट्रीय टीम के हीरो टॉमस म्यूलर गेंद लेकर बढ़े और डी के अंदर उन्हें गिरा दिया गया.
हालांकि मिडफील्डर ने गेंद खेलने की कोशिश की लेकिन रेफरी ने इसे फाउल माना और उसकी सीटी बज गई. जर्मनी की राष्ट्रीय टीम के मजबूत स्तंभ और लंबे वक्त से बायर्न म्यूनिख में खेल रहे बास्टियन श्वान्सटाइगर ने गेंद को जाल से मिलाने में कोई गलती नहीं की. स्कोर 1-1 हो गया. लेकिन रेफरी के इस फैसले के बाद गोलपोस्ट के पीछे तैनात दो रेफरियों की भूमिका पर सवाल उठ गए, जिन्हें प्रयोग के तौर पर इस बार की चैंपियंस लीग में इस्तेमाल किया जा रहा है.
हालांकि बासेल के कोच और कभी खुद भी बायर्न म्यूनिख से खेल चुके थॉर्सटन फिंक ने इस विवाद को ज्यादा तूल नहीं दिया. उन्होंने कहा कि उन्होंने गेंद ठीक से नहीं देखी लेकिन दो मौकों पर हैंड बॉल जरूर हुए, जिसमें बासेल को पेनाल्टी मिलनी चाहिए थी.
बार बार चोटिल होने वाले श्वान्सटाइगर ने इसके बाद खेल के आखिरी लम्हों में कमाल कर दिया और 89वें मिनट में एक और गोल कर अपनी टीम को शानदार जीत दिला दी.
पूरे मैच के दौरान बायर्न म्यूनिख ने सधा हुआ खेल दिखाया और सिर्फ कप्तान मार्क फॉन बॉम्मेल ने एक बार फाउल किया. टीम के कोच लुई फॉन गॉल ने अपनी टीम की प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने आधे खेल के बाद मारियो गोमेज को मैदान में उतारने का फैसला किया, जो अच्छा साबित हुआ.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एस गौड़