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जनता परिवार का विलय, बीजेपी निशाने पर

१६ अप्रैल २०१५

जनता पार्टी से टूटकर बने छह राजनीतिक दलों ने मिलकर संयुक्त पार्टी बनाने का निर्णय किया. केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस विलय का मजाक उड़ाते हुए कहा है कि इसका भी आने वाले बिहार चुनावों में कोई असर नहीं होने वाला है.

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Mulayam Singh Yadav Sozialistische Partei Indien Kolkata
तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

दो दशक पहले इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाने वाली जनता पार्टी टूट गई थी, जिनके छह घटक दल बुधवार को एक बार फिर साथ आए हैं. संयुक्त दल के अध्यक्ष उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव होंगे. विलय की घोषणा करते हुए जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव ने बताया कि छह सदस्यीय कमेटी नई पार्टी के नाम, निशान, झंडे और बाकी चीजों पर निर्णय लेगी. समाजवादी पार्टी, जेडीयू, आरजेडी, आईएनएलडी, जेडीएस और समाजवादी जनता पार्टी के नेताओं के मुलायम सिंह यादव के दिल्ली स्थित निवास स्थान पर मिलने के बाद शरद यादव ने घोषणा की, "हमारा विलय हो गया है."

इसी साल नवंबर में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. संसदीय चुनावों में बीजेपी की भारी जीत के बाद जेडीयू नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए आरजेडी प्रमुख लालू यादव के हाथ मिला लिया था. विलय की खबर पर टिप्पणी करते हुए बिहार में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने बताया, "पहले हुए ऐसे सभी विलय वाले प्रयोग फ्लॉप रहे हैं और इस बार भी इनका यही भविष्य होने वाला है."

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के अवसर पर पटना में एक बड़ी रैली कर राज्य में चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की. दलितों के मसीहा माने जाने वाले डॉ बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती का दिन चुनना भी दलितों को खुश करने का ही एक तरीका बताया गया. इस समय राज्य से संसद की कुल 40 में से 32 सीटें बीजेपी और सहायक दलों की हैं. पिछली बार लालू यादव और नीतीश कुमार ने अलग अलग चुनाव लड़ा था. पिछले साल के अंत में हुए कुछ उपचुनावों में दोनों साथ आए तो बीजेपी को पछाड़ने में कामयाब रहे.

बिहार में कई सालों के बाद बीजेपी अकेले चुनाव मैदान में होगी. करीब 17 सालों से वह जेडीयू के साथ थी. राज्य की उच्च जातियों को बीजेपी का जबकि दलितों, महादलितों और मुसलमानों को परंपरागत रूप से नीतीश कुमार का समर्थक माना जाता है. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा, "1977 में भी चार पार्टियां साथ आई थीं लेकिन एक साल से भी कम समय में बिखर गईं. फिर 1989 में पार्टियों का ऐसा साथ ज्यादा नहीं टिका." मोदी ने भरोसा जताया कि बिहार चुनावों में भी इनका कोई असर नहीं होगा और लोग बदलाव के लिए वोट देंगे.

आरआर/एमजे (पीटीआई)