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मंथन 103 में खास

११ सितम्बर २०१४

मंथन में इस बार बात सौर ऊर्जा पैनल की चोरी से निपटने के उपायों की और बंद खदान में खेले जा रहे हैं रोमांचक स्पोर्ट्स की भी.

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Trampolin
तस्वीर: Fotolia/A. Koch

जैसे जैसे सौर ऊर्जा पार्क बढ़ रहे हैं इन पर चोरों की नजरें भी बढ़ती जा रही हैं. इटली में सौर ऊर्जा पार्क के लिए लगाए गए सोलर पैनल का अगर बीमा करवाना हो तो जर्मनी से दस गुणा ज्यादा रकम देनी पड़ती है. कारण एक ही कि इसकी चोरियां भी खूब हो रही हैं. इन चोरियों को रोकने के लिए कंपनियां और व्यवसायी अलग अलग उपाय कर रहे हैं. जर्मनी के ब्लैक फॉरेस्ट में बने सोलर पार्क के मालिकों को भी यही चिंता है. इसे बनाने में चालीस लाख यूरो खर्च हुए. इसलिए प्रबंधक चोरी के बारे में सोचना भी नहीं चाहते. लेकिन जर्मनी के शहर में इस तरह के चोरों से निपटने के लिए ऐसे स्विच तैयार किए गए हैं जो सोलर पैनलों की चोरी को पकड़ सकेंगे. सोलर पैनल की चोरी रोकने के लिए किस तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, यह आपको मंथन में जानने को मिलेगा.

हाईटेक नंबर प्लेटें

इराक में पिछले कुछ सालों से हालात बहुत खराब हैं. आतंकवाद और आंतरिक लड़ाई की वजह से कारोबार और उद्योगों पर भी बुरा असर पड़ा है. हिसंक घटनाओं की वजह से वहां सुरक्षा का मुद्दा अहम है. जर्मनी की एक कंपनी को इराक में हाईटेक नंबर प्लेट और स्टैंप करने का ठेका मिला है. दरअसल इराक में अक्सर बम धमाकों के लिए अवैध कारों और गाड़ियों का इस्तेमाल होता है. ऐसे में सुरक्षा के कदम जरूरी हैं. इराकी प्लेटों में कई तरह के सिक्योरिटी फीचर्स लगाए गए हैं. जैसे कि हाई सिक्योरिटी होलोग्राम. अक्षरों में होलोग्राफिक लेबल हैं जो नंबरों और अक्षरों पर दिखाई देता है. हर प्लेट पर लेजर से लिखे गए सीरियल नंबर हैं. और बीच में एक थ्री डी वॉटर मार्क इफेक्ट है. इराक में कंपनी के पास बड़ा बाजार तो है लेकिन यहां उसके सामने चुनौतियां भी हैं. मंथन में जानिए हाईटेक नंबर प्लेटों और उनके बढ़ते बाजार के बारे में.

डूब जाएगी जमीन

जर्मनी की रुअर घाटी की कोयला खदान देश की ऐसी आखिरी खानों में है जहां अब भी खनन चल रहा है. लेकिन चार साल के बाद यहां से पत्थर का कोयला निकालना बंद कर दिया जाएगा. असल में खूब खनन की वजह से जमीन के भीतर पानी और जमीन का संतुलन बिगड़ गया है. अब आलम यह है कि पूरा इलाका डूबने की कगार पर खड़ा है. रुअर घाटी में करीब छह करोड़ टन कोयला है. कई दशकों तक जर्मन सरकार ने कोयला उत्पादन को रियायत दी, लेकिन अब खनन को जारी रखना यहां बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं. दक्षिण अफ्रीका, रूस या ऑस्ट्रेलिया से कोयला मंगाना ज्यादा सस्ता है. खदान के आसपास रहने वाले अपने भविष्य को लेकर कैसे चिंतित हैं और आने वाले समय में खदान कंपनियां जमीन को डूबने से बचाने के लिए क्या क्या कदम उठा रही हैं, ये बताएंगे आपको मंथन के ताजा एपिसोड में.

खतरों के खिलाड़ी

मंथन में इस बार आपको सैर कराएंगे जमीन के भीतर दुनिया के सबसे बड़े ट्रैंपोलीन की. इसका नाम है बाउंस बिलो. यहां घुसने से पहले पर्यटक सेफ्टी हेल्मेट और जैकेट पहनते हैं. किसी को घने अंधेरे का तो किसी को सांस फूलने का डर है. कुछ लोग इसकी बनावट देखने आते हैं. ट्रैंपोलीन में तीन जालों को एक के ऊपर एक लगाया गया है और पर्यटक इन जालों पर कूदते हैं. यह गुफा 60 मीटर लंबी और 35 मीटर ऊंची है. ट्रैंपोलीन बनाने वाली कंपनी ऐसी अजीबो गरीब जगहों पर फन स्पोर्ट्स कराती है. खदान के भीतर ट्रैंपोलीन बनाने का आइडिया कुछ दोस्तों को आया. उन्होंने जिप वर्ल्ड नाम की कंपनी बनाई और काम शुरू कर दिया. तो इस शनिवार डीडी नेशनल पर मंथन देखिए और विज्ञान की दुनिया में हो रही हलचल से रूबरू हो जाइए.

एए/आईबी