1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जरदारी ने रहमान मलिक को बचाया

१९ मई २०१०

पाकिस्तान में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भ्रष्टाचार के मामलों में गृह मंत्री रहमान मलिक की सजा माफ कर दी हैं. उन्हें माफी देने का राष्ट्रपति का फैसला हाई कोर्ट की तरफ से मलिक की सजा बरकरार रखने के चंद घटों बाद आया.

https://p.dw.com/p/NRPV
रहमान मलिकतस्वीर: Abdul Sabooh

जरदारी के प्रवक्ता फरतुल्लाह बाबर ने मंगलवार को बताया कि राष्ट्रपति ने माफी देने का फैसला किया है क्योंकि वह मानते हैं मलिक के खिलाफ मामला राजनीति से प्रेरित था जो उस वक्त के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के कहने पर चलाया गया. 2004 में एक भ्रष्टाचार विरोधी अदालत ने मलिक की गैर मौजूदगी में उन्हें तीन साल कैद की सजा सुनाई. इस मामले में दोषी ठहराए जाने के समय मलिक विदेश में थे. मलिक ने इस फैसले के खिलाफ सोमवार को लाहौर हाई कोर्ट में अपील दायर की जिसे अदालत ने खारिज कर दिया और उनकी जमानत भी रद्द कर दी.

अदालत का फैसला आने के तुरंत बाद राष्ट्रपति जरदारी सक्रिय हो गए ताकि मलिक को हिरासत में लिए जाने से बचाया जा सके. मलिक को तुरत फुरत माफी देने के सवाल पर बाबर ने कहा कि प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की सलाह पर संविधान के अनुच्छेद 45 के तहत यह माफी दी गई है. उन्होंने कहा, "मलिक कहते रहे हैं कि उन्हें राजनीतिक कारणों से प्रताड़ित किया गया है, वह भी तब जब वह देश में मौजूद नहीं थे."

मुशर्रफ को 2007 में चुनाव कराने और आठ साल के सैन्य शासन को खत्म करने के दबाव में तथाकथित राष्ट्रीय मेलमिलाप विधेयक (एनआरओ) पारित कराना पड़ा जिसके तहत उनके राजनीतिक विरोधियों की स्वदेश वापसी मुमकिन हुई. उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे भी वापस ले लिए गए. जरदारी के खिलाफ भी कई मामले थे. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे सैकड़ों मामलों को फिर से खोलने का आदेश दिया है.

यह अभी साफ नहीं है कि अदालती फैसले के बाद राष्ट्रपति की तरफ से मलिक को माफी देने पर देश की सुप्रीम कोर्ट क्या रुख अपनाएगी. वैसे भी राष्ट्रपति जरदारी के साथ न्यायपालिका के संबंध तनावपूर्ण ही रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज तारिक महमूद कहते हैं, "मलिक को बचाने के जरदारी के कदम से नया विवाद पैदा होगा. राष्ट्रपति को माफी देने का अधिकार है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वह अपराध को माफ कर सकते हैं या फिर क्या मलिक अपनी संसद की सदस्यता बरकरार रख पाएंगे."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़