जर्मनी की कॉलोनी, टोगो
घाना से लगा हुआ पश्चिमी अफ्रीकी देश टोगो कभी जर्मनी का उपनिवेश हुआ करता था. सौ साल बाद भी यहां जर्मनी की झलक दिखती है.
कैथीड्रल
टोगो 1884 से 1914 तक जर्मनी की कॉलोनी रहा. उस दौरान की नियोगोथिक वास्तुशिल्पकला आज भी यहां के चर्च में दिखती है.
नया रूप
राजधानी लोम में सेक्रेड हार्ट कैथीड्रल की मरम्मत की गयी और वह भी जर्मनी की मदद से. नई कांच की खिड़कियां जर्मनी के न्यूरेमबर्ग से मंगवाई गयीं.
महल का बगीचा
ताड़ के पेड़ों के बीच जर्मनी ने एक महल बनवाया. यह 1898 से 1905 के बीच बनाया गया. लंबे समय तक यह गवर्नर का निवास रहा.
खंडर
आज इस महल में कोई नहीं रहता. टोगो की सरकार के पास इसकी मरम्मत करने के पैसे नहीं हैं. लेकिन आज भी बाहर सिपाही पहरा देते हैं.
सोने के लिए
यह जिला अधिकारी का पुराना दफ्तर है. यह भी आज खाली है. लोम के टैक्सी ड्राइवर और रेड़ी वाले दोपहर में यहां सोने के लिए आते हैं.
समुद्र किनारे
यह बंदरगाह 1904 में बनाया गया था. लेकिन बाद में समझ आया कि यह जहाजों के लिए बहुत छोटा है. अब यहां मछुआरे ही आते हैं.
छुक छुक
टोगो की रेल सेवा को भी मरम्मत की जरूरत है. 300 किलोमीटर लंबे रेल नेटवर्क पर अधिकतर मालगाड़ियां ही चलती हैं.
राजधानी के बाहर
सिर्फ लोम में ही नहीं, वहां से 120 किलोमीटर दूर कपालीम में भी जर्मन स्टाइल के चर्च देखने को मिलते हैं. उस समय के आर्किटेक्ट ने ज्यादातर चर्चों पर ही छाप छोड़ी है.
पहाड़ों में
1890 के बाद से टोगो के पहाड़ों में सेना की छावनी बनाई गयी ताकि व्यापार के रास्तों को सुरक्षित रखा जा सके. इस छावनी की छत गिर चुकी है, फिर भी इसमें कई परिवार रहते हैं.
कब्रिस्तान
जर्मनी से आए लोग यहां बहुत लंबा जीवन नहीं बिता पाए. कब्रों पर लिखी तारीख बताती है कि दफनाए गए लोगों की उम्र 35 साल से ज्यादा नहीं थी.