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जर्मनी में इस्लामी आतंकवादियों का खतरा

२१ जुलाई २०१७

हाल ही में जी-20 सम्मेलन के दौरान जर्मन शहर हैम्बर्ग बुरी तरह दंगों की चपेट में आया तब वामपंथी आतंकवाद के उभरने की आशंका जताई गई थी. अब पुलिस कह रही है कि देश में इस्लामी आतंकवाद का खतरा बढ़ा है.

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Deutschland Köln Silvesternacht - Personenkontrollen am HBF
तस्वीर: Getty Images/M. Hitij

जर्मनी में इस वक्त करीब 700 इस्लामी कट्टरपंथी रह रहे हैं ये कहना है देश के संघीय पुलिस प्रमुख का. उन्होंने एक अखबार से बातचीत में ये भी कहा है कि कट्टर वामपंथी और दक्षिणपंथी उतने खतरनाक नहीं हैं.

जर्मनी में संदिग्ध इस्लामी चरमपंथियों की संख्या बढ़ कर 690 हो गई है. संघीय पुलिस प्रमुख होल्गर मुंच का कहना है कि इसी साल फरवरी में गृह मंत्रालय ने ये संख्या 600 बताई थी. शुक्रवार को छपे जर्मन अखबार फ्रांकफुर्टर रुंडशाउ में मुंच ने कहा है कि कट्टर इस्लाम जर्मनी में एक बड़ा खतरा है. उनका ये भी कहना है कि वामपंथी और दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों का खतरा इस्लामी कट्टरपंथ की तुलना में कम है.

Fachtagung Cybercrime Conference C³ Holger Münch Präsident des Bundeskriminalamts, Holger Münch
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Pedersen

मुंच ने कहा है, "वामपंथियों की बात करें तो जर्मन राज्यों में इनकी गणना एक हाथ की उंगलियों पर ही हो जाएगी. दक्षिणपंथियों के मामले में भी ये संख्या काफी कम है." मुंच का आकलन कई जर्मन राजनेताओं के हाल ही में जी20 सम्मेलन के दौरान हुए दंगों के बाद दिए बयानों से मेल नहीं खाता. तब राजनेताओं ने कहा था कि वामपंथी कट्टरपंथियों से खतरा बढ़ रहा है.

हालांकि मुंच ने ये चेतावनी भी दी कि धुर दक्षिणपंथियों के आतंकवाद की तरफ जाने की आशंका है. मुंच ने कहा, "वामपंथी धड़ों के हालिया अपराधों से अलग हम इस बात की बहुत आशंका देख रहे हैं कि दक्षिणपंथी आतंकवादी ढांचा खड़ी कर सकते हैं. पिछले दो सालों में प्रवासन के मुद्दे ने इन लोगों को काफी ज्यादा कट्टर बनाया है. 2015 और 2016 में शरण मांगने वाले प्रवासियों के प्रति होने वाले अपराधों से इसकी पुष्टि होती है."

इसके साथ ही मुंच ने कहा, "हम बहुत सजग हैं और लंबे समय तक सिर्फ देखते रहने की बजाय जितनी जल्दी हो सके अपनी जांच शुरू करना चाहते हैं."

जर्मनी में शरणार्थियों के रूप में सीरिया और दूसरे देशों से बड़ी संख्या में लोग आए हैं. इस वजह से दूसरी दिक्कतों के साथ ही सामाजिक ताने बाने पर भी असर पड़ा है. नववर्ष के दौरान जश्न मनाती लड़कियों के साथ बड़ी संख्या में छेडछाड़, क्रिसमस बाज़ार में आत्मघाती हमला और हाल में हुए दंगों ने लोगों को देश में बढ़ते खतरे का अहसास दिलाया है. हालांकि पुलिस ने अपनी सजगता और धैर्य से इन खतरों का ज्यादा असर नहीं होने दिया है लेकिन फिर लोगों के मन में आशंकाएं उठ रही हैं.  

एनआर/एमजे (डीपीए)