1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जर्मनी में एनएसए पर संसदीय आयोग

Sonila Sand४ अप्रैल २०१४

जर्मनी में एनएसए की जासूसी के मामले पर संसदीय जांच शुरू हुई है. संसदीय आयोग इस सवाल से जूझ रहा है कि स्नोडेन को पूछताछ के लिए जर्मनी बुलाया जाए या नहीं और अगर हां, तो आखिर कैसे.

https://p.dw.com/p/1Bbm3
Barack Obama Yes we scan NSA
तस्वीर: picture alliance/ZUMAPRESS.com

अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए की जासूसी और व्हिसलब्लोवर एडवर्ड स्नोडेन के लीक किए गए दस्तावेजों ने दुनिया भर की सरकारों को हैरान परेशान कर दिया. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ जैसे प्रमुख नेताओं समेत आम जनता की भी हर हरकत पर नजर रखी गयी. लेकिन किसकी कितनी जासूसी हुई, इस बारे में अब भी साफ साफ कुछ नहीं कहा जा सकता. जर्मनी में अब एक संसदीय जांच आयोग इन सवालों के जवाब खोजने में लगा है.

आयोग के मुद्दे

जांच आयोग को ना केवल एनएसए बल्कि दुनिया की पांच प्रमुख खुफिया एजेंसियों के आंकड़े जुटाने होंगे. इसमें ब्रिटेन की जीसीएचक्यू, कनाडा की सीएसईसी, ऑस्ट्रेलिया की एएसडी और न्यूजीलैंड की जीसीएसबी शामिल हैं. एक साथ इन्हें 'फाइव आई' यानि पांच आंखें कहा जाता है. आयोग को इस बात का भी पता लगाना होगा कि क्या जर्मनी की खुफिया एजेंसी बीएनडी को जासूसी के बारे में कोई खबर थी. अगर हां, तो क्या उसने जासूसी को रोकने की कोई कोशिश की या फिर कहीं बीएनडी ने भी तो अपने नागरिकों पर नजर रखने के लिए इस डाटा का इस्तेमाल नहीं किया और क्या बीएनडी ने एनएसए और अन्य एजेंसियां के साथ डाटा की अदला बदली की. इसके अलावा आयोग को यह भी तय करना होगा कि भविष्य में लोगों की निजी जानकारी को किस तरह से सुरक्षित रखा जा सकता है.

विपक्ष की मांग

आठ सदस्यों के इस आयोग में जर्मनी की सभी मुख्य पार्टियों के प्रतिनिधि हैं. इसमें चार सदस्य सत्ताधारी पार्टी सीडीयू/सीएसयू के, दो सहयोगी पार्टी एसपीडी के, एक विपक्षी लेफ्ट पार्टी और एक ग्रीन पार्टी के सदस्य हैं. दोनों विपक्षी पार्टियों की मांग है कि जांच की शुरुआत में ही हर उस व्यक्ति को गवाही देने के लिए बुलाया जाए जो इस मामले से जरा भी जुड़ा है. इसमें विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर भी शामिल हैं, जो पहले चांसलर कार्यालय के मंत्री के रूप में खुफिया एजेंसियों के कोऑर्डिनेटर रह चुके हैं. फिलहाल सरकार जून के बाद से ही गवाहों को बुलाने की बात कर रही है.

स्नोडेन को बुलावा?

लेकिन आयोग के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि रूस में निर्वासन में रह रहे एडवर्ड स्नोडेन को किस तरह बुलाया जाए. विदेशियों को गवाही देने के लिए जबरन नहीं बुलाया जा सकता. ग्रीन और लेफ्ट पार्टी लंबे समय से सरकार से मांग करती आई हैं कि स्नोडेन को जर्मनी बुलाया जाए और उनसे बात की जाए. ग्रीन पार्टी के सांसद हंस क्रिस्टियान श्ट्रोएबेले स्नोडेन से मिलने रूस भी गए थे. लेकिन सरकार अभी भी इस बात को ले कर अपना मन नहीं बना पाई है. उसकी दलील है कि स्नोडेन ने पहले ही कह दिया है कि उन्हें जो भी पता था वह सब मीडिया को बता चुके हैं और अब उनके पास बताने को और कुछ भी नहीं है.

जांच आयोग के पास अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए नौ महीने का समय है. लेकिन देश में अभी से इस बात पर संदेह जताया जा रहा है कि आयोग के नतीजों से जासूसी पर किसी तरह का असर पड़ेगा.

रिपोर्ट: मोनिका ग्रीबलर/आईबी

संपादन: महेश झा