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जर्मन कोचों के सहारे फूलता एशियाई फुटबॉल

१२ जनवरी २०११

भारत में फुटबॉल की जब भी चर्चा होती है तो अर्जेंटीना या ब्राजील का नाम ही उभरता है. भारतीय फुटबॉल प्रेमी अक्सर जर्मनी की ताकत को नजर अंदाज कर देते हैं, लेकिन एशिया कप बताता है कि फुटबॉल में जर्मनी का सम्मान क्या है.

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होलगर ओसिएकतस्वीर: DW

एशियाई टीमें अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में अच्छे प्रदर्शन के लिए छटपटा रही हैं और कई टीमों को सहारा दे रहे हैं जर्मनी के कोच. एशिया कप में टीमों की टक्कर के साथ कभी दोस्त रहे जर्मन खिलाड़ी भी कोच की हैसियत से भिड़ रह हैं. होलगर ओसिएक ऑस्ट्रेलिया के कोच हैं तो वोल्फगांग सिडका की अगुवाई में इराक आगे बढ़ने के लिए बेताबी दिखा रहा है.

Trainer Wolfgang Sidka
ऑस्ट्रेलिया के कोच वोल्फगांग सिडकातस्वीर: picture-alliance/dpa

वोल्फगांग सिडका इसे कोई नई बात नहीं मानते. वह कहते हैं कि कई सालों से खाड़ी के देशों को जर्मन कोच फुटबॉल के गुर सीखा रहे हैं. सिडका कहते हैं, ''मैं मध्य पूर्व के बारे में बता सकता हूं. मैं उस इलाके को काफी अच्छे से जानता हूं, मैंने बहरीन और कतर के साथ काम किया है और अब मैं इराक के साथ हूं. इन इलाकों में जर्मन कोच और जर्मनी के लोगों को खासी अहमियत दी जाती है. लोग मानते हैं कि हम बेहद अनुशासन के साथ काम करते हैं और काम के प्रति ईमानदार रहते हैं. हम सिर्फ पैसा नहीं लेते हैं बल्कि काफी कुछ देते भी हैं. यही वजह है कि यहां हमें सम्मान मिलता है.''

सिडका की टीम इराक एशिया कप की चैंपियन है और इस बार भी अपना खिताब बचाने के इरादे से उतरी है. वह कहते हैं, ''यहां कई ऐसी टीमें हैं जो खिताब जीत सकती है. हम भी उनमें से एक हैं लेकिन इस बार 8-9 टीमों से कड़ा मुकाबला है. भाग्य की भी जरूरत पड़ेगी. हमारी तैयारी अच्छी हैं और हम आशावादी भी हैं.''

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विशेषज्ञ एक अन्य जर्मन कोच की टीम को भी खिताब का प्रबल दावेदार मान रहे हैं. यह टीम है होलगर ओसिएक की ऑस्ट्रेलिया. पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 4-0 से हराया है. टीम के कोच अपनी मौजूदा टीम के बारे में कहते हैं, ''मैं खुश हूं कि लोग मुझे उपयुक्त मानते हैं और कोचिंग के लिए मुझसे करार करते हैं. मैंने कभी इसके लिए कोई कोशिश नहीं की, मेरा कोई एजेंट भी नहीं है. लोग मुझसे संपर्क करते हैं, बातचीत होती है. अन्य दावेदार भी होते हैं लेकिन अंत में मुझे ही चुना जाता है. मेरे लिए ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देश को कोचिंग देना सम्मान की बात है. ऑस्ट्रेलिया कोई ऐसा विकासशील देश नहीं है जो विदेशों से मदद लेने पर खुश हो.''

जर्मनी और एशिया के बीच फुटबॉल संबंध मजबूत होते जा रहे हैं. 1990 की विश्वकप विजेता जर्मन टीम के दो खिलाड़ी जापान को कोचिंग दे चुके हैं. ये कोच अक्सर एशिया के नए प्रतिभाशाली खिलाड़ियों मौका देते रहते हैं. भारतीय कप्तान बाईचुंग भूटिया समेत ऐसी दर्जनों एशियाई खिलाड़ी हैं जो जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा के लिए या तो खेल चुके हैं या अब भी मैदान पर हैं. इनमें बोरुसिया डॉर्टमुंड के जापानी स्टार शिनजी कागावा और वोल्फसबुर्ग के के मासिहो हासेबे जैसे नाम शामिल हैं. कुछ ही हफ्ते पहले कई जर्मन क्लबों ने कई एशियाई खिलाड़ियों के साथ करार किया है. एशिया कप में चमकने वाले खिलाड़ियों पर भी जर्मन क्लब नजरें गड़ाए बैठे हैं. 2010 वर्ल्ड कप में जर्मनी के धमाकेदार प्रदर्शन ने भी जर्मन फुटबॉल की प्रतिष्ठा बढ़ाने का काम किया है.

रिपोर्ट: अर्नब चौधरी, दोहा

संपादन: ओ सिंह