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जर्मन चुनाव से मुंह फेरते तुर्की के लोग

२१ अगस्त २०१७

जर्मनी और तुर्की के बीच कूटनीतिक विवाद के कारण जर्मनी के चुनाव में यहां की सबसे बड़े अल्पसंख्यकों की भागीदारी को लेकर सवाल हैं. क्या तुर्क समुदाय जर्मनी के चुनाव में हिस्सा लेगा.

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Türkei Treffen Angela Merkel & Recep Tayyip Erdogan
तस्वीर: picture-alliance/Anadolu Agency/K. Azher

24 सितंबर को बर्लिन में जब चुनाव के लिए डेनिज वोट डालने जाएंगे तो वो अपने बैलट से ही एक रेखा खींचने की तैयारी में हैं. 41 साल के टैक्सी ड्राइवर ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, "इस वक्त कोई नहीं है जिसे वोट दिया जाए." डेनिज तुर्की के उन 10 लाख लोगों में शामिल हैं जिन्हें जर्मन चुनाव में वोट डालने का हक है. रिसर्च करने वाले बता रहे हैं कि इस बार इस आबादी का ज्यादातर हिस्सा चुनाव से दूर रहने वाला है. डेनिज कहते हैं, "हरेक तुर्क जर्मनी में बड़े गर्व के साथ रहता है लेकिन बीते कुछ सालों में बहुत कुछ खराब हुआ है."

इसी तरह चुनाव पर नजर रखने वाले संगठन डाटा फॉर यू के योआखिम शुल्टे का कहना है, "इस बार हम साफ तौर पर तुर्क वोटरों की संख्या में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं. हमने इस समुदाय के लोगों को पीछे हटते देखा है." शुल्टे ध्यान दिलाते हैं कि जर्मनी में रह रहे तुर्क लोगों में तुर्क मीडिया का उपभोग पिछले केवल एक साल में 80 फीसदी बढ़ कर 90 फीसदी हो गया है.

जर्मन राजनेताओँ के लिए यह संकेत समस्या पैदा करने वाला है क्योंकि तुर्की की सरकार का समर्थन करने वाली मीडिया यह प्रचार करने में जुटी है कि जर्मनी अपने देश में रहने वाले तुर्क समुदाय के 30 लाख लोगों के प्रति बैरभाव रखता है. तुर्की के अखबारों के शीर्षकों में लगातार चांसलर अंगेला मैर्केल और उनकी सरकार की नाजियों से तुलना का जा रही है. जर्मन सरकार ने जब तुर्क मंत्रियों को इसी साल अप्रैल में तुर्की की विवादित रायशुमारी के बारे में जर्मनी में प्रचार करने से मना कर दिया तब से ही ये सिलसिला चला आ रहा है. तुर्की में जर्मन नागरिकों को जेल में डाल देने से ये विवाद और गहरा गया. इन लोगों में जर्मन पत्रकार डेनिज यूसेल और मानवाधिकार कार्यकर्ता पीटर स्टॉयड्टनर भी शामिल हैं.

इसी बीच तुर्की के राष्ट्रपति रिचप तैयब एर्दोवान ने जर्मनी पर कुर्द आतंकवादियों और 2016 में उनकी तख्ता पलट करने वालों को समर्थन देने वालों को शरण देने के आरोप लगा दिया. इसके कारण पहले से ही खुद को अलग थलग महसूस कर रहे तुर्क वोटरों का मन और खट्टा हो गया है.

बीते शुक्रवार को एर्दोवान ने जर्मनी में रह रहे तुर्क लोगों से आह्वान किया कि वो तीन प्रमुख पार्टियों को वोट ना दें. इनें चांसलर अंगेला मैर्केल की क्रिश्चियान डेमोक्रैट, उनके मध्य वामपंथी सोशल डेमोक्रैट सहयोगी और ग्रीन्स. एर्दोवान ने इन पार्टियों को "तुर्की के दुश्मन" कहा है. जर्मनी में तुर्क लोगों के संगठन के प्रमुख गोकाय सोफुओग्लू कहते है, "जाहिर है कि यह समस्या पैदा करने वाला है क्योंकि जर्मनी में राजनीतिक बहस को केवल तुर्क प्रेस के फिल्टर से देखा जा रहा है. यह कभी सकारात्मक नहीं होता कि प्रेस एकतरफा या किसी राजनीतिक एजेंडे की खबरें दिखाये."

हाल ही में यूनियन ऑफ यूरोपियन टर्किश डेमोक्रैट्स के 1000 लोगों पर कराए एक सर्वे ने बताया कि करीब 15 फीसदी लोग कह रहे हैं कि वो जर्मन चुनाव में वोट नहीं डालेंगे. 40 फीसदी लोगों ने या तो जवाब नहीं दिया या फिर कहा कि उन्होंने अभी तय नहीं किया है.

Amnesty International gegen Türkei
तस्वीर: Getty Images/S.Gallup

एसपीडी और पर्यावरणवादी ग्रीन्स को सबसे ज्यादा नुकसान होगा अगर जर्मनी के जातीय अल्पसंख्यकों का सबसे बड़ा समुदाय चुनाव से बाहर रहता है. इन पार्टियों ने पहले तुर्क लोगों से अपील में प्रवासन के फायदे और भेदभाव को खत्म करने वाले उपायों को तेज करने की बात कही थी. बर्लिन के फ्रीडरिषाइन क्रॉयजबुर्ग संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर रही एसपीडी के उम्मीदवार कांसेल कित्सिलटेपे ने इलाके में हरेक को वोट के लिए टटोला है. वो कहती हैं, "आप यहां हैं, यहां रहते हैं. अपने अधिकार का इस्तेमाल करो और वोट दें क्योंकि संघीय चुनाव का आपकी जिंदगी पर बहुत असर होगा." कांसेल ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा तुर्क वोटरों में अलगाव के पीछे यहां जर्मनी में पैदा हुए कारणों की ज्यादा बड़ी भूमिका है. जो लोग जर्मनी की मुख्यधारा की राजनीति से मुंह मोड़ रहे हैं वो, "कुछ हद तक सही हैं क्योंकि यहां दशकों से रहने के बाद भी उन्हें वो सम्मान और पहचान नहीं मिली है जो वास्तव में जरूरी है." नौकरी और घर के बाजार में तुर्क समुदाय के लोगों की एक नकारात्मक छवि जर्मन मीडिया में दिखाई देती है और इसने लोगों की धारणा बनने में मदद की है.

Türkei Wirtschaftsminister Nihat Zeybekci
तस्वीर: Getty Images/L. Schulze

तुर्की के प्रवासी कामगारों की बेटी किजिलटेपे का कहना है, "एकीकरण एकतरफा रास्ता नहीं है. हम सब को मिल कर काम करना होगा." हालांकि डेनिज की जर्मन चुनाव को लेकर मुख्य चिंता एकीकरण नहीं है. वो कहते हैं, "मैं जर्मनों को पसंद करता हूं, मैं यहां रहता हूं, यहां मेरे पड़ोसी है. सच कहूं तो मेरे उनके साथ आपस में बहुत अच्छे रिश्ते हैं." वो ध्यान दिलाते हैं कि उनके समुदाय के ज्यादा लोग उन लोगों से बात करते हैं जो धाराप्रवाह जर्मन बोलते हैं. जर्मन राजनेतओं से उनकी मांग सामान्य है. उन्हें मुश्किल होती है जब उनके बेटे को प्री स्कूल में दाखिले के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. वो राजधानी में बन रहे नए एयररपोर्ट को लेकर भ्रष्टाचार की आलोचना करते हैं उसे राष्ट्रीय शर्म बताते हैं.

हालांकि इनके साथ ही उनकी एक मांग उनके प्रवासी विरासत से जुड़ी है. जर्मनी में विदेशियों के खिलाफ भावनाओं को उकसावा दे रही दक्षिण पंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड इस बार के चुनाव के बाद संसद में पहुंच जाएगी. डेनिज कहते हैं, "जर्मनी में एक चरमपंथ की लहर के उभरने का अंदेशा है और यह मुझे डराता है."

एनआर/ओएसजे (डीपीए)