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जर्मन राष्ट्रपति कोएलर का इस्तीफा

३१ मई २०१०

जर्मनी के राष्ट्रपति होर्स्ट कोएलर ने सोमवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अफगानिस्तान पर बयान दिया था, जिस पर खासा विवाद हो गया था. कोएलर का इस्तीफा चांसलर अंगेला मैर्केल की मुश्किलें बढ़ा सकता है.

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इस्तीफा देते वक्त होर्स्ट कोएलरतस्वीर: picture alliance / dpa

अफगानिस्तान के मुद्दे पर विवादित बयान के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया. जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल पहले ही लुढ़कते यूरो, गिरती लोकप्रियता और सर्वे में नीचे जाती चमक का सामना कर रही हैं. ऊपर से राष्ट्रपति का इस्तीफा सरकार पर और भारी पड़ सकता है. जर्मनी में राष्ट्रपति का पद भारत की तरह सांकेतिक होता है और चांसलर मैर्केल को जल्द ही किसी दूसरे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की तलाश करनी होगी.

पिछले साल मैर्केल की सरकार ने ही होर्स्ट कोएलर के नाम को राष्ट्रपति के लिए आगे बढ़ाया था और कोएलर लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति बने. लेकिन अगर इस बार मैर्केल कोई तगड़ा उम्मीदवार नहीं खोज पाईं तो विपक्षी पार्टियां उन पर हावी हो सकती हैं.

Flash-Galerie Horst Köhler tritt zurück Afghanistan
तस्वीर: AP

जर्मनी में नया कानून तभी लागू हो सकता है, जब उस पर राष्ट्रपति के दस्तखत हों. लेकिन बर्लिन की राजनीति में उसका कोई खास दखल नहीं होता है. अफगानिस्तान के मुद्दे पर कोएलर का एक बयान काफी विवादों में उलझ गया था. इसके बाद ही उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया.

राजधानी बर्लिन में आनन फानन में बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में राष्ट्रपति कोएलर पत्नी एफा लुईज़े के साथ पहुंचे. हंसमुख शख्सियत वाले कोएलर शांत और सपाट दिख रहे थे. राष्ट्राध्यक्ष के नाते आखिरी बार मीडिया से मुखातिब होते हुए कोएलर कई मौकों पर इतना भावुक हो उठे कि उनकी आवाज लड़खड़ाने लगी. कोएलर ने कहा, "मुझे अफसोस है कि मेरे बयान से मेरे देश में एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर गलतफहमी पैदा हुई."

उन्होंने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद जर्मन संसद के ऊपरी सदन बुंडेसराट के स्पीकर येन्स बोएर्नसन राष्ट्रपति का काम देख रहे हैं. 67 साल के कोएलर ने एक विशाल आर्थिक पैकेज पर अपना दस्तखत पहले ही कर दिया है और उनके इस्तीफे से जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं होता दिख रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ के पूर्व निदेशक की हैसियत से कोएलर ने यूरो जोन में जारी आर्थिक संकट पर खुल कर विचार रखे हैं.

जर्मन संसद के 622 सदस्य और 16 राज्यों से चुने जाने वाले इतने ही और सदस्य मिल कर महीने भर के अंदर देश का नया राष्ट्रपति चुनेंगे.

अफगानिस्तान से लौटने के बाद होर्स्ट कोएलर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि आर्थिक फायदे और कारोबार के लिए भी जर्मनी की सेना विदेशों में तैनात की जाती है. उनका कहना था कि जर्मनी जैसे देशों को विदेशी कारोबार पर काफी भरोसा करना पड़ता है. ऐसे में आपातकाल में सैनिक दखल की जरूरत पड़ सकती है ताकि कारोबार सुचारू रूप से चलता रहे.

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तस्वीर: picture alliance / dpa

विपक्षी पार्टियों ने कोएलर के इस बयान को आड़े हाथों ले लिया. दूसरे विश्वयुद्ध के 65 साल बाद भी जर्मनी में युद्ध, सेना और हिंसा एक बेहद संवेदनशील मसला समझा जाता है. कोएलर इससे काफी दुखी थे और उनका कहना था कि उनके दफ्तर का कोई सम्मान नहीं रह गया है.

जर्मन चांसलर मैर्केल ने कोएलर के इस्तीफे पर खेद जताया और कहा कि उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद इस्तीफा देने वाले वह जर्मनी के पहले राष्ट्रपति हैं. उनकी जगह जर्मन संसद बुंडेसराट के स्पीकर येन्स बोएर्न्सन राष्ट्रपति का काम देखेंगे. बताया जाता है कि इस्तीफे के एलान के बाद वह फौरन कार में बैठ कर राष्ट्रपति निवास से निकल गए.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ए कुमार