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जर्मन सेना को चाहिए अरबों यूरो

७ अक्टूबर २०१४

जर्मन रक्षा मंत्रालय बाहरी सलाहकारों की मदद से इस बात का पता कर रहा है कि जर्मनी में हथियारों की परियोजनाएं सफल क्यों नहीं होती हैं. इसकी मदद से सेना को फिर से फिट करने का इरादा है. इसमें समय लगेगा और खर्च भी होगा.

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Symbolbild Bundeswehr Ausrüstungsmängel
तस्वीर: imago/Christian Ohde

दस महीने पहले पद संभालने के बाद से यह रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लाएन की सबसे बड़ी कार्रवाई थी. उनकी स्पेशल टुकड़ी इस बार बाहर से आई थी और उन पर मुश्किल जिम्मेदारी थी. उन्हें खर्चीले और विवादास्पद शस्त्रीकरण परियोजनाओं की जांच करनी थी. इस सिविल टुकड़ी का नेतृत्व आर्थिक कंसल्टेंसी कंपनी केपीएमजी के हाथ में था. शुरुआत जून में हुई और अब दफ्तरों की मेजों पर चलने वाली यह कार्रवाई पूरी हुई है. नतीजे में आई है भविष्य में जर्मन सेना को साजो सामान की रणनीति जिसे फौरी तौर पर सीमित रूप से तैनाती योग्य समझा जा रहा है.

इस रिपोर्ट के आने के बाद रक्षा मंत्री खुद को पूरी तरह से लैस पा रही हैं. उन्होंने इसे अच्छे आधार वाली और मूल्यवान परामर्शों वाली रिपोर्ट बताया है. इसमें नौ सर्वे रिपोर्ट हैं जिन्हें 30 कंसल्टेंट ने मिलकर तैयार किया है. इसमें जर्मन सेना की कमजोरियों का खांका खींचा गया है, इसलिए फॉन डेय लाएन ने इसे मैनेजमेंट की कड़ी चुनौती बताया है. वित्तीय रूप से उन्होंने थल, वायु और नौसेना में 57 अरब यूरो की जरूरत की बात कही है, जो जर्मन सेना के कुल निवेश का दो तिहाई है.

पारदर्शिता की मांग

जर्मन रक्षा मंत्री ने कहा कि अब उन्हें पता है कि फायदा कहां है और समस्याएं क्या हैं. उन्हें यह पहले भी पता होने चाहिए था क्योंकि पुराने हो गए ट्रांसआल ट्रांसपोर्ट विमानों और लड़ाकू विमान यूरोफाइटर की मुश्किलें उन्हें पहले से पता हैं. अब खामियों की लंबी सूची की औपचारिक पुष्टि हुई है. बहाने बनाने का समय गया. रक्षा मंत्री अब एकदम नई योजना के साथ कार्रवाई कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि सेना को मुश्किल समय के लिए तैयार रहना होगा. उनकी अपील का लक्ष्य हथियार उद्योग भी है जो इन दिक्कतों के लिए समान रूप से जिम्मेदार है. रक्षा विशेषज्ञ एयरबस का हवाला देते हैं जो ट्रांसपोर्ट विमान ए400एम की आपूर्ति में सालों पीछे है.

रिपोर्ट के अनुसार कोई भी परियोजना बिना दिक्कत के नहीं चल रही है. उनमें ढाई से दस साल की देरी हुई है और इसकी वजह से कई अरब यूरो का अतिरिक्त खर्च बढ़ा है. जांच के दौरान पाई गई 140 खामियों के मद्देनजर विशेषज्ञों का कहना है कि एक नई नेतृत्व संस्कृति की जरूरत है. इसके अलावा वे ज्यादा पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं. सैन्य साजो सामानों वाली कई परियोजनाएं समय और खर्च के मामले में अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पाईं. लेकिन यह बात रिपोर्ट आने से पहले भी रक्षा मंत्रालय के वेबसाइट पर थीं.

यही वजह है कि रिपोर्ट पर सख्त प्रतिक्रियाएं हुई हैं. विपक्षी ग्रीन पार्टी के प्रमुख चेम ओएज्देमिर ने कहा कि मंत्री को फौरन अपने तबेले को साफ करने पर ध्यान देना होगा. जर्मन संसद बुंडेसटाग के रक्षा आयोग के प्रमुख हंस पेटर बार्टेल्स ने मांग की है कि खामियों के लिए हथियार निर्माताओं से हर्जाना लेने का केस करना चाहिए. और जर्मन सैनिकों का संघ चांसलर अंगेला मैर्केल से दोटूक बयान की उम्मीद कर रहा है. संघ के प्रमुख आंद्रे वुस्टनर ने कहा, "शस्त्र नीति सिर्फ मंत्रालय में नहीं बनाई जाती, इसलिए सैनिकों को उम्मीद है कि सरकार और खासकर जर्मन चांसलर सेना के बजट पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें."

रिपोर्ट: मार्सेल फुर्स्टेनाउ/एमजे

संपादन: ईशा भाटिया